जैसी उम्मीद थी, वैसा हो भी गया। नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दाखिल हो गई है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के चार सांसदों ने अपनी याचिका में कहा कि देश का संविधान धर्म के आधार पर वर्गीकरण की इजाजत नहीं देता। ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, इसलिए इस विधेयक को रद्द किया जाए। इस केस के लिए मुस्लिम लीग के तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल उतरेंगे।
यह पहली बार नहीं है कि कपिल सिब्बल किसी ऐसे विवादित मामले में या ऐसे विवादित व्यक्ति को बचाने कोर्ट में उतरे हो जो प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से देश विरोधी हो या हिन्दू विरोधी।
आइए जानते हैं कांग्रेस के दिग्गज नेता और देश के वरिष्ठ वकीलों में गिने जाने वाले कपिल सिब्बल और उनके विवादित केस के बारे में।
कपिल सिब्बल ने 1970 में बार एसोसिएशन जॉइन किया था। हालांकि वर्ष 1973 में उन्होंने आईएएस की परीक्षा पास की थी लेकिन सफल होने के बावजूद उन्होंने सिविल सर्विस जॉइन नहीं की। उनका मानना था कि एक वकील के सामने आईएएस ऑफिसर जीरो होता है।
कानून की प्रैक्टिस उन्होंने वर्ष 1974 से शुरू की। बता दें कि सिब्बल ने हॉवर्ड लॉ स्कूल से कानून में मास्टर्स की पढ़ाई की है। 1983 में उन्हें सीनियर एडवोकेट बनाया गया। वो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिशन के प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं।
कपिल सिब्बल कांग्रेस पार्टी के ‘लीगल ईगल’ की बैटरी में ऐसे सबसे हाइ पावर के सेल है जो कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को, उनके किए के लिए बचाने कोर्ट में उतरे हैं। उनके पास अक्सर मीडिया में चर्चित और देश विरोधी विवादित मामले ही आते हैं।
मोदी विरोध करने वालों को तो कपिल सिब्बल बचाने में सबसे आगे रहे हैं। उदाहरण के लिए वे तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात सरकार के खिलाफ केस में मदद करने पहुंचे थे। इस चर्चित गुलबर्ग फंड में धोखाधड़ी मामले में कांग्रेस ने तीस्ता की खूब मदद की क्योंकि कांग्रेस के पास कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि तीस्ता ने अपने मोदी विरोधी प्रचार में कांग्रेस की खूब मदद की थी। वहीं एक और घोटाले ‘श्रद्धा स्कैम’ में वह घोटाले की आरोपी तृणमूल कांग्रेस के लिए वकालत करने कोर्ट में उतरे थे। इसके बाद देखें तो उन्होंने तेजपाल छेड़छाड़ के मामले में तहलका के तेजपाल की तरह केस लड़ा था। अब आते है गांधी परिवार के मामलों पर। कपिल सिब्बल ने नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जेल जाने से बचाया।
कपिल सिब्बल ने बीसीसीआई, आईपीएल सट्टेबाजी के मामले में एन श्रीनिवासन को बचाया था। यहीं नहीं, वे भगोड़े और किंगफिशर एयरलाइंस के विजय माल्या को भी कोर्ट में बचाने उतरे थे।
कपिल सिब्बल सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद के मामले में भी पैरवी कर चुके हैं। यहीं नहीं, कपिल सिब्बल ने ‘तीन तलाक’ के प्रावधान को भी बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। तीन तलाक मसले को लेकर इन्होंने कोर्ट में कहा था कि महिलाओं की बुद्धि कम होती है। इस पर इन्हें सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल होना पड़ा था तथा मुस्लिम महिलाओं ने उनकी जमकर आलोचना की थी। कपिल सिब्बल अपने योग्यता से कोर्ट में चुनावी चाल भी चलते हैं और चर्चित मामलों को टालने के लिए दलील देते है। उदाहरण के लिए गुजरात चुनाव के ऐन पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से बाबरी मस्जिद मामले को टालने की सिफारिश की थी, ताकि इस मामले को बीजेपी गुजरात चुनाव में न भुना सके। इस बात को लेकर उनकी सोशल मीडिया और मीडिया सहित बीजेपी ने खूब आलोचना की। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक और हलाला के मसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से कपिल सिब्बल केस लड़ रहे हैं।
कपिल सिब्बल ने अपने साथी और कांग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदम्बरम को INX मीडिया और एयरसेल मैकसिक्स मामले में गिरफ्तारी से बचाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया था लेकिन फिर भी वे सफल नहीं हो पाये थे। हालांकि कुछ दिन बाद बे जरूर उन्हें बेल दिलाने में सफल हुए थे।
कपिल सिब्बल अक्सर ही किसी घोटालेबाज को कोर्ट में बचाते नज़र आते हैं, लेकिन मजाल है कि कोई इन पर सवाल खड़ा कर दे। ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि यह आज के दौर में लिबरल ब्रिगेड के चहेते नेता और वकील हैं। बरखा दत्त द्वारा तिरंगा टीवी मामले में इनके खिलाफ केस किए जाने के बाद भी लिबरल ब्रिगेड इनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलना चाहता है। यह इनके व्यक्तित्व और पावर को ही दर्शाता है।