अपनी विफलता का ठीकरा PM मोदी पर फोड़ने के लिए KCR ने जगन की तरफ हाथ बढ़ाया, जगन ने झटका

केसीआर

तेलंगाना में के चन्द्रशेखर राव के नेतृत्व में तेलंगाना राष्ट्रीय समिति यानि TRS की सरकार को अब एक साल होने को है और इस एक साल में केसीआर ने राज्य की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। राज्य का बजट एक ही साल में 1 लाख 85 हज़ार करोड़ रुपये से घटकर महज़ 1 लाख 35 हज़ार करोड़ रह गया है। इसके साथ ही सरकार को अब कई सरकारी योजनाओं की फंडिंग को कम करना पड़ रहा है। ये सब हुआ है TRS की समाजवादी आर्थिक नीतियों की वजह से! TRS ने राज्य में ऐसी नीतियों को अपनाया कि आज राज्य की अर्थव्यवस्था कई बुरे संकेत दे रही है। हालांकि, केसीआर ने अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए इसका सारा जिम्मा केंद्र सरकार पर सौंपने का मन बनाया। केंद्र को आड़े हाथों लेने के लिए उन्होंने आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी का साथ लेने का मन बनाया, लेकिन रेड्डी ने उनका साथ देने से साफ तौर पर मना कर दिया, जिसका संकेत उन्होंने CAB यानि नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करके दिया, वहीं TRS ने इस बिल का राज्यसभा में विरोध किया था।

बता दें कि पिछले एक साल में TRS ने राज्य में कई समाजवादी सरकारी योजनाओं को लागू किया। उदाहरण के तौर पर उन्होंने ऋतु बंधु योजना को लागू किया जिसके तहत किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से हर साल 8 हज़ार रुपए दिये जाने लगे। इसके अलावा उन्होंने ऋतु बीमा योजना को लागू किया जिसके तहत तनाव में मरने वाले किसानों के परिवारजनों को 5 लाख रुपये दिये जाने का प्रावधान किया गया। TRS  ने इन जन-लाभकारी योजनाओं को बिना किसी रणनीति के लागू किया और राज्य की अर्थव्यवस्था को बदहाल कर दिया।

उन्होंने अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए जगन मोहन रेड्डी की सरकार के साथ मिलकर केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोलने की रणनीति बनाई, लेकिन रेड्डी ने उनको अकेले छोड़ दिया। जगन ने शुरू में तो केसीआर  को गोदावरी और कृष्णा नदी को जोड़ने के प्रोजेक्ट पर साथ मिलकर काम करने का आश्वासन दिया लेकिन, बाद में वे इससे मुकर गए, जिसके बाद अब केसीआर ने केंद्र के खिलाफ अकेले ही मोर्चा खोलने का मन बनाया है। हालांकि, केंद्र के साथ विवादों में रहकर वे राज्य की अर्थव्यवस्था को किस प्रकार ठीक कर सकते हैं, ये तो वे ही जानते हैं। अभी केसीआर की योजना है कि केंद्र सरकार के साथ तनाव को बढ़ाकर अपनी विफलताओं और राज्य की बिगड़ती अर्थव्यवस्था का जिम्मा केंद्र के सर मढ़ दिया जाये। हालांकि, यह उनकी राजनीति के लिए कितना सही होगा, यह तो समय ही बताएगा।

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