जामिया की ‘Shero’ आयशा को वामपंथियों का दो टूक जवाब, ‘अपनी राय अपने पास रखो’

आयशा

हमारे देश में कम्युनिस्ट और इस्लामिस्ट की सांठ-गांठ के बारे में सभी को पता है लेकिन जब भी इन दोनों के बीच दरार पैदा होती है जीत कम्युनिस्टों की ही होती है। इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि इन कम्युनिस्टों की कितनी मजबूत पकड़ है। कल यानि रविवार को ऐसा ही कुछ देखने को मिला जब जामिया में प्रदर्शन के दौरान पोस्टर गर्ल बनने वाली और पुलिस को उंगली दिखने वाली आयशा रेना को केरल में कम्युनिस्टों से माफी मांगनी पड़ी।

बता दें कि लिबरलों की नई नवेली “shero” और कट्टर इस्लामिस्ट आयशा को नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था।

विरोध प्रदर्शन पर केरल के मल्लापुरम पहुंचकर आयशा ने कहा कि ‘हम अल्पसंख्यकों या मुस्लिम बहुजन राजनीति को उभरता हुआ देखने वाले हैं, हम चंद्रशेखर आजाद जल्द की जल्द रिहाई चाहते हैं।’ यही नहीं उसने केरल के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि ‘पिछले दो सप्ताह के अंदर जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कई विद्यार्थियों को पिनरई विजयन की सरकार और पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, हम चाहते हैं कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।’ बस फिर क्या था पिनराई विजयन के नाम लेना ही उन कम्युनिस्टों को नाराज करने के लिए पर्याप्त था।  आयशा द्वारा मुख्यमंत्री विजयन पर ये आरोप लगाए जाने के बाद वामपंथी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के कार्यकर्ता उसके विरोध में मल्लापुरम की सड़कों पर उतर आए हैं, कार्यकर्ताओं की मांग है कि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का नाम इस तरह लेने के लिए आयशा को माफी मांगनी चाहिए।

https://twitter.com/AdvaitaKala/status/1211178502302486529?s=20

 

जामिया की ये “shero” शायद भूल गयीं थीं कि यह केरल है दिल्ली नहीं है जो  कम्युनिस्ट शासित राज्य है जहां बोलने की आजादी नहीं होती है। इस घटना का जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें उत्तेजित सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं को उसे कहासुनी करते देखा जा सकता है जिसके बाद उसे माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया। आयशा रेना ने कार्यकर्ताओं के साथ तर्क करने की कोशिश की और कहा, “मैंने जो कहा वह मेरी राय है?” अब एक कम्युनिस्ट शासित राज्य में कोई अपनी राय व्यक्त करने की गलती कैसे कर सकता है! कम्युनिस्टों ने तुरंत उसे यह कहकर रोक दिया कि “क्या राय है? तुम अपना ओपिनियन नहीं रख सकती। अपनी राय तुम घर पर बोलना, यहाँ नहीं।”

आयशा रेना जब दिल्ली में जामिया विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रही थी तब उसके फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के लिए कोई खतरा नहीं था। आयशा रेना दिल्ली में लिबरल ब्रिगेड की “shero” बन सकती थी हैं क्योंकि यहाँ दिल्ली पुलिस के सामने बोलने की पूरी आजादी थी। अब जब वह केरल गयी और केरल के सीएम, विजयन का नाम लिया तो तुरंत उसे उसकी जगह दिखा दी गयी और आयशा और उसका इंटरव्यू लेने वाली पत्रकार भी कम्युनिस्टों के सामने अब चुप हो गयी है। किसी का भी कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ वक्तव्य नहीं आया है।

इसके साथ ही CAA के विरोधी गुट में पनप रही दरारें अब सामने पर आ गई हैं। वास्तव में, इस्लामवादी-कम्युनिस्ट गठबंधन किसी भी समय टूट सकता है और यह घटना इसकी एक छोटी सी झलक है। इस्लाम और साम्यवाद के बीच आपसी संघर्ष को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। एक तरफ आयशा रेना जैसों के लिए  शरिया कानून को छोड़कर कोई और कानून कानून नहीं है तो वही दूसरी तरफ, कम्युनिस्टों के लिए उनके शीर्ष नेताओं के शब्द ही अंतिम शब्द है। ऐसे में भला इन दो विचारधाराओं में कभी सामंजस्य कैसे हो सकता ही।

Free speech, liberalism and tolerance पर विचार पर कम्युनिस्टों और इस्लामवादियों दोनों के लिए एक मात्र दिखावा है। असली इरादा उनके नापाक एजेंडे को आगे बढ़ाने का है और दूसरों के आदर्शों का अनादर करके सिर्फ अपने हित की रक्षा करना है।

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