“कांग्रेस, लेफ्ट और मीडिया, सब का एक ही निशाना है-सनातन धर्म”:नेपाल के पूर्व डिप्टी PM

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दुनियाभर में वामपंथी तंत्र हिंदुओं के खिलाफ शुरू से ही एजेंडा चलाता रहा है। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है, वहीं कुछ धर्मों का तुष्टीकरण किया जाता है। अब नेपाल के पूर्व उप-प्रधानमंत्री कमल थापा ने दुनियाभर के हिंदुओं से लेफ्ट के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है। उनके मुताबिक दुनिया का वामपंथी तंत्र सनातन धर्म को बर्बाद करने पर तुला हुआ है, और हिंदुओं को इसे समझना होगा। दुनिया में अभी नेपाल और भारत ही हिन्दू-बहुल लोकतान्त्रिक देश है, जो कि धर्मनिरपेक्ष देश है। इन दोनों देशों में ही लोकतन्त्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर मीडिया और साहित्य जगत सनातन धर्म को अपना निशाना बनाता है।

दरअसल, कमल थापा ने अपने एक ट्वीट के जरिये अपनी पीड़ा को ज़ाहिर किया। उन्होंने वेदिक स्कॉलर डॉ डेविड फ़्रोले के एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए अपनी बात कही। डेविड फ़्रोले ने अपने ट्वीट में लिखा था ‘सदियों से राजनीतिक और धार्मिक तौर पर हिंदुओं पर अत्याचार किया जा रहा है। भारत में अब कांग्रेस, लेफ्ट मीडिया और साहित्य जगत ने इसका बीड़ा उठाया है। हिंदुओं को उनके मंसूबों को पहचानकर उनके खिलाफ खड़ा होना चाहिए’।

डेविड फ़्रोले के इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कमल थापा ने लिखा ‘यह नेपाल के हिसाब से भी एकदम सही बैठता है। नेपाली कांग्रेस में लेफ्ट के साथ-साथ लेफ्ट मीडिया, साहित्य नेपाली मर्यादा, संस्कृति, धर्म, परंपरा और पहचान को मिटाने पर तुले हुए हैं। आइए सब हिन्दू सनातन धर्म की रक्षा के लिए एकजुट हों’।

कांग्रेस और वामपंथियों की सत्ता सम्बन्धी रणनीति पर अगर ध्यान दिया जाए, तो कहना गलत नहीं होगा कि वर्षों से एक षड्यंत्र के रूप में देश की हिन्दू जनता को बांटा गया और उसका उपयोग सत्ता हथियाने के लिए किया गया। जनता को धीरे-धीरे जातियों में बांटने की जो शुरुआत हुई, उसका एकमात्र मकसद देश की हिन्दू संस्कृति और समाज को खंड-खंड करना था। स्वतंत्रता मिलने तक कांग्रेस के नेहरू-गांधी जैसे नेता एक षड्यंत्र के तहत जातियों में बंटते जा रहे हिन्दू समाज के साथ ही अन्य पंथ के लोगों को एकसाथ लेकर चलते रहे। लेकिन स्वतंत्रता के बाद जब सत्ता मिलने का प्रश्न आया तो हिन्दू समाज को जाति और धर्म के विभेद में बांधने का अभियान ही प्रांरभ हो गया।

इसे अंजाम देने में कांग्रेस का ही सबसे बड़ा हाथ था। अब नेपाल में भी लेफ्ट शक्तियों के इस एजेंडे का पर्दाफाश हो रहा है। हिन्दू विरोधी विचारधारा तथा वामपंथियों की अराजकतावादी प्रवृत्तियों के कारण नेपाल ने विश्‍व में एकमात्र हिन्दू राष्ट्र होने की अपनी प्रतिष्ठा खो दिया तथा नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था । माओवादियों तथा वहां के राजनितिक दलों के अधिकतर सदस्यों पर ईसाई देशों से धन मिलने का आरोप लगता रहता है। हिंदुओं को हिन्दू-विरोध मानसिकता वाले लोगों से सतर्क रहने की आवश्यकता है और इसीलिए अब नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री ने यह बात कही है।

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