फेम की भुक्कड़ मीडिया एक बार फिर सक्रिय हो चुकी है। तेलंगाना में एक पशु चिकित्सक के साथ हुए दुष्कर्म पर सांप्रदायिकरण न करने की दुहाई देने वाली मीडिया अब खुद सांप्रदायिकरण करने पर तुली हुई है। कल तक जो ‘रेपिस्ट का धर्म नहीं होता’ का राग अलाप रहे थे, आज वही दुष्कर्मियों की जाति तक को चिन्हित कर उन्हें अपमानित करने पर तुले हुए हैं, और इनमें सबसे आगे चल रहे हैं अजित अंजुम।
उन्नाव के सभी दरिंदे त्रिवेदी और वाजपेयी हैं .ऊंच कुल-गोत्र के ब्राह्मण.तभी बलात्कारियों का धर्म देखकर शोर करने वाले सन्नाटे में हैं या कुछ कहकर खानापूर्ति कर रहे हैं .अगर ये भक्तों के 'टारगेट वाले' होते न तो पूरी ट्रोल आर्मी दिन-रात काम पर लगी होती.#Unnao #EncounterNight https://t.co/dTFq6ffwNi pic.twitter.com/zOxR29Dkx8
— Ajit Anjum (@ajitanjum) December 6, 2019
न्यूज़ 24, इंडिया टीवी और टीवी9 भारतवर्ष के लिए काम कर चुके अजित अंजुम ने हाल ही में उन्नाव केस को लेकर एक ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें लिखा था, “उन्नाव के सभी दरिंदे त्रिवेदी और वाजपेयी हैं ऊंच कुल-गोत्र के ब्राह्मण। तभी बलात्कारियों का धर्म देखकर शोर करने वाले सन्नाटे में हैं या कुछ कहकर खानापूर्ति कर रहे हैं। अगर ये भक्तों के ‘टारगेट वाले’ होते न तो पूरी ट्रोल आर्मी दिन-रात काम पर लगी होती”।
अजित अंजुम ने उन्नाव की बेटी को जलाने वालोे बलात्कार के अभियुक्तों का पूरा नाम लिख दिया.
सरनेम समेत कि वे तीन वेदों के ज्ञाता हैं.
बस, उनको तकलीफ हो गई. #जागोओबीसीजागो
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) December 7, 2019
इस ट्वीट का स्पष्ट अर्थ ये है कि दुष्कर्मी पर तभी बात होगी लेकिन तब ही जब वह अल्पसंख्यक नहीं होंगे। अजित के बाद द प्रिंट के पत्रकार दिलीप सी मण्डल ने ट्वीट किया, “अजित अंजुम ने उन्नाव की बेटी को जलाने वाले बलात्कार के अभियुक्तों का पूरा नाम लिख दिया। सरनेम समेत कि वे तीन वेदों के ज्ञाता हैं। बस, उनको तकलीफ हो गई”।
फिर क्या था, हफ्तों से मौन व्रत धारण करे बैठी लिबरल ब्रिगेड को मानो आवाज़ सी मिल गयी और इन सभी ने एक बार फिर ब्राह्मण समुदाय को निशाने पर लेना शुरू कर दिया।
यही नहीं #HangBrahminRapists ट्विटर पर ट्रेंड होना शुरू हो गया। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब अजित अंजुम ने किसी अपराध का इस तरह से घटिया राजनीतिकरण किया हो। मुजफ्फरपुर के जिस कवरेज के लिए अंजना ओम कश्यप को खूब खरी खोटी सुनाई गयी थी, उसी मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से संबन्धित कवरेज पर अजित अंजुम अंजना ओम कश्यप से दस कदम आगे रहे। वो न केवल एक नर्स पर चिल्लाये थे बल्कि, उन्होंने आईसीयू में एक रोगी बच्चे के उपचार को लेकर डॉक्टर को ही निशाने पर ले लिया था जबकि डॉक्टर लगातार कम से कम समय में बच्चों के उपचार के लिए तत्पर थे, लेकिन अजित अंजुम ने यहाँ डॉक्टर का समय बर्बाद करने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी।
परन्तु, यहां अजित अंजुम ब्राह्मणों को निशाने पर लेने में अपने अभियान में अकेले नहीं थे। अपने ट्वीट्स के लिए अक्सर विवादों के घेरे में रहने वाले अशोक स्वेन ने एक बार फिर वही किया और उन्नाव मामले पर ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा, “उसका दुष्कर्म किया और फिर शिवम त्रिवेदी और शुभम त्रिवेदी ने उसे आग के हवाले किया। उनके एनकाउंटर को कितने लोग सेलिब्रेट करेंगे?” ध्यान देने वाली ये है कि यहां पर अशोक स्वेन ने जानबूझकर इनके उपनाम पर ज़ोर दिया है। जबकि हैदराबाद के केस में इनका एक अलग ही रुख देखने को मिला, अशोक स्वेन ने आरोपियों के एनकाउंटर का विरोध करते हुए इसे देश में असभ्य करार दिया। अशोक स्वेन ने ट्वीट कर क्या कहा वो आप खुद देख लीजिये:
https://twitter.com/ashoswai/status/1202990512992468997
इसी भांति कारवां मैगजीन के संपादक हरतोष सिंह बल ने भी अभियुक्तों की जाति पर विशेष ध्यान देते हुए तंज़ कसा, “यह स्वागत योग्य है कि यूपी पुलिस 5 ब्राह्मण अभियुक्तों के वैधानिक अधिकारों की रक्षा कर रही है। क्या यह अधिकार सभी समुदायों के नागरिकों को मिल सकते हैं?”
it is good that a trigger-happy UP police has so far ensured that the legal rights of the 5 brahmin rape accused who have tried to burn the complainant to death have not been violated. can we extend such consideration to other communities, to all citizens.https://t.co/EgnSH9gWUD
— Hartosh Singh Bal (@HartoshSinghBal) December 6, 2019
अपने इन ट्वीटस से लेफ्ट लिबरल्स ने सिद्ध कर दिया है कि जब बात देश को नीचा दिखाने की हो, तो उनका कोई सानी नहीं है। हैदराबाद और मंदसौर जैसे केस में मौन साधने वाले इन बुद्धिजीवियों की आत्मा को चोट भी सहूलियत अनुसार ही पहुंचती है, और इसे समझने के लिए शायद कठुआ केस से बेहतर कोई उदाहरण नहीं हो सकता। जम्मू कश्मीर पुलिस की चार्जशीट के आधार पर जिस तरह बुद्धिजीवियों की गैंग ने सनातनियों को अपमानित किया वो भला किससे छुपा है।
ये वही लोग हैं जो कहते फिरते हैं कि आतंकवाद और दुष्कर्म करने वाले अपराधी का कोई धर्म या कोई जाति नहीं होती। और यही लोग अवसर के अनुसार अपने इसी उसूल को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते। जिस तरह हैदराबाद के केस पर इस गैंग ने चुप्पी साधे रखी, उससे इनका घिनौना चेहरा देश के सामने आ गया। इस अवसरवादी और एक धर्म के प्रति इनके नफरत को देखकर तो यही लगता है कि ज़मीन निगल जाये, या आसमान फट जाये, पर ये लेफ्ट लिबरल्स भारतीयों, विशेषकर सनातनियों से घृणा करना नहीं छोड़ेंगे।