ममता बनर्जी को अपने राज्य यानी पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों से इतना लगाव हो गया है कि वे इन्हें बचाने के लिए और अपनी ध्रुवीकरण की राजनीति आगे बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जाती दिखाई दे रही हैं। ममता बनर्जी पहले ही NRC और संशोधित कानून का विरोध कर चुकी हैं। हालांकि, अब उन्होंने एक कदम आगे बढ़ाते हुए उनके राज्य में NPR यानि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर से संबन्धित चल रहीं सभी गतिविधियों को रोक दिया है। उनका यह कदम मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति के तहत उठाया कदम माना जा रहा है। इससे पहले वे नागरिकता कानून के खिलाफ भी एक बड़ी रैली का आयोजन कर चुकी हैं।
बता दें कि एनपीआर के तहत राज्य में रह रहे सभी नागरिकों तथा गैर-भारतीय निवासियों का आंकड़ा जुटाया जाना है और इसे राष्ट्रीय स्तर पर NRC लागू करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। केंद्र सरकार ने अगले वर्ष सितंबर तक राज्य में NPR से संबन्धित सभी कार्यों को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, कल पश्चिम बंगाल सरकार के गृह मंत्रालय ने एक आदेश पारित करते हुए यह निर्देश दिया कि राज्य में राज्य सरकार की इजाजत के बिना NPR पर कोई काम नहीं होगा , जिसके बाद अब राज्य में NPR की गतिविधियों पर रोक लग गयी है।
ममता सरकार का यह फैसला मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है। वहीं, CAA को लेकर ममता ने कहा है कि अगर केंद्र को इस कानून को पश्चिम बंगाल में लागू करना है, तो उसे उनकी लाश पर से गुजरना होगा। उन्होंने कहा है “अगर आप मेरी सरकार को बर्खास्त करना चाहते हैं तो कर दें, लेकिन मैं कभी भी नागरिकता संशोधन कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने दूंगी”। स्पष्ट है कि अपने मुस्लिम-प्रेम में अब उन्हें अपनी राजनीति की फिक्र है, देश की नहीं।
बता दें कि इस हफ्ते CAA को लेकर पश्चिम बंगाल में हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। विरोध प्रदर्शनों में कई बसों और ट्रेनों में आगज़नी की घटनाएं देखने को मिली थीं। इसको देखते हुए राज्य के पांच जिलों में इन्टरनेट भी बंद कर दिया गया था। अब माना जा रहा है कि इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के आगे झुककर और मुस्लिमों का ध्रुवीकरण करने के लिए ममता सरकार ने यह कदम उठाया है। वर्ष 2021 में राज्य में चुनाव होने वाले हैं और ममता ने अभी इस इसके लिए तैयारी कर दी है, जिसके कारण अब वे मुस्लिम तुष्टीकरण करती दिखाई दे रही हैं।