भारत और पाकिस्तान के बीच सरहद पर अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, पिछले कुछ समय में बॉर्डर पर पाकिस्तान की ओर से युद्धविराम के उल्लंघन लगातार किए जा रहे हैं। पाकिस्तान पहले ही अगस्त से लेकर अक्टूबर तक 950 से ज़्यादा बार सीजफायर का उल्लंघन कर चुका है। इसके अलावा पिछले कुछ दिनों से LOC के आस-पास पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम भी सक्रिय है। कल ही भारतीय सेना ने BAT के एक हमले को नाकाम किया था। इस सब के बाद अब भारतीय सेना ने पाकिस्तान को मज़ा चखाने की पूरी तैयारी कर ली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय सेना ने सीमा पर भारी हथियारों की तैनाती कर दी है।
दरअसल, सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा है कि एलओसी पर स्थिति कभी भी खराब हो सकती है और भारतीय सेना किसी भी समय जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। सेना प्रमुख ने कहा, ”सीमा पर स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है, लेकिन हम पूरी ताकत के साथ जवाब देने के लिए तैयार हैं।” सेना प्रमुख का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब ऐसी खबरें आ रही हैं कि पाकिस्तान अपने अवैध कब्जे वाले कश्मीर का स्टेटस बदल सकता है और उसे अपने दूसरे राज्य में मिला सकता है।
पाकिस्तान द्वारा पहले कदम में ‘आजाद जम्मू एंड कश्मीर मैनेजमेंट ग्रुप’ का नाम बदलकर ‘जम्मू एंड कश्मीर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस’ कर दिया गया है। इसका नोटिफिकेशन 11 दिसंबर को जारी किया गया था। इससे कुछ दिन पहले ही पीओके के प्रधानमंत्री फारूक हैदर खान ने कहा था कि वह पीओके के आखिरी प्रधानमंत्री हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार इमरान ने पीओके का दर्जा बदलने का कानूनी आधार तैयार करने के लिए संबंधित विभागों को निर्देश दिया है।
अब ऐसे में भारतीय सेना के प्रमुख द्वारा ऐसे बयान के कई मायने माने जा रहे हैं। POK से सटी सीमा पर भारतीय सेना की इस तैयारी से इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अनुच्छेद 370, राम मंदिर और CAA कानून को पारित करने के बाद अब भारत सरकार का ध्यान पीओके पर हो सकता है। पाकिस्तान को भी इस बात की आशंका है, इसीलिए उसने अपने कब्जे वाले कश्मीर के प्रशासन में बदलाव करना शुरू कर दिया है। इससे पहले सेना प्रमुख ने कहा था कि पाकिस्तान ऐसा देश है, जो खुद को ही खत्म करने की ओर आगे बढ़ रहा है। जनरल रावत ने कहा था कि पाकिस्तान की स्थिति ऐसी है कि वह अपने आप ही अनियंत्रित हो रहा है। अब भारतीय सेना के इस बयान के बाद पाकिस्तान में सुरक्षा स्थिति और ज़्यादा गंभीर हो सकती है।