मुंबईवासियों आपके सिर पर मंडरा रहा है खतरा, NCP छोड़ सकती है भीमाकोरेगांव के आतंकी

भीमा कोरेगांव, एनसीपी, उद्धव ठाकरे, शिवसेना

PC: sachkhabar

महाराष्ट्र में सरकार बनते ही महाविकास अगाढ़ी की कांग्रेस, NCP और शिवसेना ने अपने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। एक तरफ शिवसेना के उद्धव ठाकरे बुलेट ट्रेन रोकने की बात कर रहे हैं तो वहीं मेट्रो कार शेड को उन्होंने रोक ही दिया है। यही नहीं उद्धव ठाकरे ने नानर रिफायनरी के आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमों को वापस लेने का ऐलान किया है। अब एक नए बयान में NCP के एक नेता ने भीमा-कोरेगांव हिंसा में गिरफ्तार अर्बन नक्सलियों को रिहा करने की मांग की है। जिस सोच के साथ यह गठबंधन आगे बढ़ रहा है उससे तो यही लगता है कि मुंबई फिर से अंडरवर्ल्ड के काले साये की ओर बढ़ रहा है।

दरअसल, महाराष्ट्र की मुर्बा-कलवा सीट से राकांपा विधायक डॉ. जितेंद्र अव्हाड़ ने ट्वीट कर मराठी में लिखा है-,

आरे आंदोलन में गिरफ्तार किए गए लोगों को मुक्त कर दिया गया है, अब इस सरकार को भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों को पिछली सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों से मुक्त करना चाहिए…हां … यह हमारी सरकार है।

इस ट्वीट में उन्होंने मुख्यमंत्री ठाकरे और कैबिनेट मंत्री जयंत पाटिल को भी टैग किया। अव्हाड़ ने यह भी कहा कि पिछली सरकार ने फर्जी मामले दर्ज किए थे।

आपको बता दें कि पिछले वर्ष जून में महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच के दौरान 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस की जांच में ये पाया गया था कि माओवादी 21 मई 1991 में हुई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे। पीएम मोदी की हत्या की साजिश से जुड़ी कड़ी में पुलिस की स्पेशल टीम ने देशभर के कथित नक्सल समर्थकों के घरों व कार्यालयों पर ताबड़तोड़ छापेमारी करनी शुरू की। अकादमिक, वकील, मीडिया और तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर के कई हाई प्रोफ़ाइल लोगों के घरों पर छापेमारी की गयी थी। इस मामले में पुलिस ने सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवर राव, वेरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया था।

इन सभी कार्यकर्ताओं पर भीमा कोरेगांव हिंसा एल्गार परिषद से जुड़े होने का भी आरोप है। पुलिस ने आरोप लगाया है कि इन अर्बन नक्सलियों ने पुणे में एल्गार परिषद सम्मेलन में सहायता की थी जिसके बाद ही हिंसा फैली थी। जून में पांच अन्य कार्यकर्ता शोमा सेन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, रोना विल्सन और सुधीर ढवाले भी गिरफ्तार किए गए थे।

इस गिरफ्तारी को लेकर पूरे देश में वामपंथी गैंग ने विरोध करना शुरू कर दिया था। गिरफ्तारी को लेकर बढ़ते विवाद के बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा जहां कोर्ट ने अपने फैसले में गिरफ्तार किए गए सभी पांच कार्यकर्ताओं को हाउस अरेस्ट करने के आदेश दिए थे। इसके बाद सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवर राव, वेरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा के मामले में एसआईटी से जांच कराने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में इस मामले में एसआईटी जांच से इंकार कर दिया था।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पुणे पुलिस को ही इस मामले की जांच आगे बढ़ाने को कहा था। इसके बाद रोमिला थापर ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने इतिहासकार रोमिल थापर की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दिया जिसमें रोमिला ने एसआइटी को भीमा कोरेगांव मामले की जांच करने और महाराष्ट्र पुलिस को अपनी जांच रोकने के लिए कहा था। इसके बाद गोंजाल्विस और सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण परेरा की जमानत याचिका को भी पुणे हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया और इसके साथ ही वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण परेरा को गिरफ्तार करने के आदेश दिए।

NCP इन खतरनाक नक्सलियों को छोड़ने की बात कर रहा है उनके बारे में महाराष्ट्र पुलिस ने दावा किया था कि तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता शहरों में अपनी पकड़ बना रहे थे और अपने गढ़ में नक्सलियों के लिए टॉप ग्रेड के हथियारों की खरीद के लिए सीपीआई (माओवादी) के साथ मिलकर साजिश रच रहे थे। NCP ने इस मांग के साथ ही अपना वास्तविक रूप दिखा दिया है कि वह किस तरह से नक्सलियों की समर्थक और हितैषी है।

NCP के कई नेताओं का अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद से रिश्ते छिपे नहीं हैं और अब इन अर्बन नक्सलियों का समर्थन महाराष्ट्र के लिए ही नहीं बल्कि देश की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है। जब यह नक्सली प्रधानमंत्री को मारने की साजिश रच सकते हैं तो यह देश में तबाही फैलाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अगर इस गठबंधन ने उन लोगों को छोड़ दिया तो महाराष्ट्र खासकर मुंबई को अपने नब्बे के दशक के लिए दोबारा तैयार रहना होगा जहां सिर्फ गुंडा और आतंकियों का राज था।

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