FIR, आंसू गैस और अंधाधुंध कुटाई- योगी की यूपी पुलिस ने दिया गुंडों से निपटने का रामबाण इलाज

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सीएबी पर जहां एक विशेष समुदाय ने बंगाल और उससे सटे राज्यों में आतंक मचाया हुआ है, तो वहीं यूपी सरकार ने एक बार फिर उन राज्यों को सुशासन का एक पाठ पढ़ाया है जहां कुछ उपद्रवी युवाओं ने हिंसा का माहौल बनाए हुए हैं। कुछ दिन पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने 21 विद्यार्थियों और 500 अन्य लोगों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की है।

सूत्रों की मानें तो एएमयू के ये विद्यार्थी इस प्रदर्शनों को शहर के हर चौराहे पर करना चाहते हैं। जब पुलिस ने उन्हें रोका, तो ये उपद्रवी उग्र होने लगे, और उन्हें धक्का देकर नारेबाजी करने लगे। यूपी पुलिस के अनुसार ये ‘विद्यार्थी’ आईपीसी की धारा 144 का उल्लंघन करने लगे और सरकारी अफसरों को उनकी ड्यूटी निभाने से रोक रहे थे।

यूपी सरकार ने सीएबी के विरुद्ध चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रण में करने के लिए कमर कस ली है। राज्य में छिटपुट विरोध प्रदर्शनों के अलावा हिंसा की कोई खबर अभी तक नहीं आई है। बता दें कि राज्य में लगभग 20 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है, फिर भी शांति का माहौल व्याप्त है। यही नहीं, जहां कहीं भी प्रदर्शन उग्र होते दिखाई दे रहे हैं, वहां पर यूपी पुलिस अपनी ट्रेडमार्क कार्रवाई करने से बिलकुल भी नहीं हिचकिचा रही है।

दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल रोहिंग्या एवं बांग्लादेशी घुसपैठियों के हाथों जल रहा है, और कई स्थानों पर उपद्रवी बसों, ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों को या तो आग के हवाले कर रहे हैं या फिर वहां पत्थरबाजी और तोड़फोड़ कर रहे हैं। सबसे ज़्यादा हिंसा मुर्शिदाबाद और हावड़ा से रिपोर्ट हुई है, जहां अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों की तादाद सबसे ज़्यादा है। फलस्वरूप दक्षिण पूर्वी रेलवे और पूर्वी रेलवे को अपने कई ट्रेन रद्द कराने पड़े।

ऐसे ही असम में भी कानून व्यवस्था बिगड़ गयी थी। असम सरकार ने सीएबी के विरुद्ध हिंसक प्रदर्शनों की संभावना के बारे में ध्यान नहीं दिया था। इसी कारण सार्वजनिक प्रॉपर्टी, सरकारी बस, ऑफिस और रेलवे लाइनों को काफी नुकसान पहुंचा। कई लोग पुलिस की फायरिंग में भी मारे गए थे। फिलहाल के लिए स्थिति नियंत्रण में है। असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महन्ता की माने तो ‘पत्थरबाजी, गाड़ियों को आग लगाने और लोगों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की वीडियोग्राफी की जा चुकी है। कार्रवाई जल्द ही होगी।

दिल्ली में स्थिति कुछ खास बेहतर नहीं थी। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में भी प्रदर्शन काफी हिंसक हो गए। वहां के उपद्रवियों ने प्रदर्शन के नाम पर न केवल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, बल्कि पुलिस के साथ पत्रकारों पर भी हमला किया, और कश्मीरी उपद्रवियों की भांति पत्थरबाजी भी कर रहे थे, जिसके चलते उसके आसपास के मेट्रो स्टेशन को कुछ देर के लिए बंद कराना पड़ा।

ऐसे में योगी सरकार को यूपी में कानून व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए जितना प्रशंसित करें, वो कम होगा। जो राज्य कानून व्यवस्था के मामले में कभी उपहास का पात्र बना हुआ था, वो आज दूसरे राज्यों के लिए किसी प्रेरणास्त्रोत से कम नहीं है, खासकर जब विद्यार्थियों के वेष में छुपे उपद्रवियों को नियंत्रित करना हो। असम, बंगाल और दिल्ली पुलिस को अपने उत्तर प्रदेश पुलिस से सीख लेनी चाहिए और उपद्रवियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार का रहम नहीं करना चाहिए। पिछले ढाई वर्षों में कई चुनौतियों से जूझते हुए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी सरकार ने भविष्य के लिए एक सशक्त पुलिस व्यवस्था का मार्ग अवश्य प्रशस्त किया है।

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