हिंसा भड़कते ही नॉर्थ-ईस्ट पहुंचा मेन स्ट्रीम मीडिया क्योंकि अब की बार निशाने पर मोदी-शाह है

पूर्वोतर

मीडिया तेरे रंग निराले, कभी दिखाता हरा कभी दिखाता नीला!!!

जी हां मीडिया चाहे तो क्या नहीं कर सकती। किसी आंदोलन को जनमानस तक पहुंचना हो या भड़काना, मीडिया ही अग्रणी रहती है। भारत की मीडिया अक्सर जहां सत्ता होती है वहीं केन्द्रित रहती है। इतिहास ने कई बार मीडिया द्वारा अपनाए गये दोहरे चरित्र को एक्सपोज किया है और एक बार फिर से यही हुआ। पूर्वोतर के विकास की खबरों को न के बराबर दिखाने वाली मीडिया आज पूर्वोतर में फैले दुषप्रचार को सबसे पहले ब्रेकिंग न्यूज़ बना रही है। लोगों को सच न बता कर शरारती तत्वों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन को हैडलाइन बनाये हुए है। और तो और सीएबी को लेकर फैलाए जा रहे झूठ को भी बढ़ावा दे रही है जो और नहीं पत्रकारिता के मूल्य का गला घोंटकर उसे दफनाने जैसा है।

दरअसल, जब से नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों में पेश हुआ है तब से ही देश के कुछ हिस्सों में शरारती तत्व लोगों को यह कह कर भड़का रहे हैं कि यह मुस्लिम विरोधी है। इन शरारती तत्वों को बढ़ावा देने में मीडिया का पूरा हाथ रहा है। इसके बाद पूर्वोतर के राज्यों को यह कह कर भड़काया जा रहा है कि वहां रह रहे है हिंदु जिन्हें इस बिल के माध्यम से नागरिकता मिलेगी वे स्थानिये लोगों का अधिकार छिन लेंगे और अवैध बांग्लादेशियों को भी नागरिकता दी जाएगी। केवल इतना ही नहीं मीडिया और अपने आप को पत्रकार की संज्ञा देने वाले नामी-गिरामी दिग्गजों में अचानक से पूर्वोतर राज्यों के लिए प्यार उत्पन्न हो गया और सभी पूर्वोतर राज्यों के एक्सपर्ट बन गए हैं। ये सभी इस नागरिकता संशोधन बिल को पढ़े बिना ही अपनी अल्प ज्ञान से राय देने लगे हैं। हालांकि, भारत के मीडिया और पत्रकारों में रिपोर्ट की जगह ओपिनियन देना तो आम बात है।

पत्रकारिता के एथिक्स का गला घोंटते हुए ये सभी वही कर रहे हैं जो इन्हें नहीं करना चाहिए। राष्ट्रीय टीवी चैनल हो या स्थानिय सभी में वही एंकर है जो अपने शब्दों से लोगों को भड़का रहे हैं और एक तरफा तथ्यों को दिखा कर या गलत तथ्यों को दिखाकर उन्हें सड़क पर उतरने के लिए उकसा रहे हैं। इसके जवाब में जब सरकार ने किसी भी असामान्य स्थिति से उबरने के लिए कर्फ़्यू लगाया तो मीडिया चैनलों ने एतीहात बरतने की बजाय इसे और भड़काने में लग गयी। इंटरनेट और सोशल मीडिया तो आज कल किसी भी फेक न्यूज़ और गलत तथ्य के प्रचार का सबसे बड़ा माध्यम है। मीडिया हो या सोशल मीडिया सब यही कह रहे हैं कि पूर्वोतर जल रहा है और असम जल रहा है जबकि भड़का यही लोग रहे हैं।

वर्षों से नजरंदाज करने के बाद अब मीडिया को पूर्वोतर पर आए इस प्यार का कुछ और कारण नहीं है बल्कि एक ही मकसद है और वह है किसी भी कीमत पर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधना और उनके खिलाफ लोगों को भड़काना। मीडिया को 2014 से कोई ऐसा मौका नहीं मिल रहा था कि वे कोई भी दुष्प्रचार फैलाये और उन्हें सत्ता से बेदखल किया जा सके। हाँ, एक मुद्दा उठा था और वह राफेल का लेकिन उसे भी सुप्रीम कोर्ट ने गलत साबित कर दिया और सरकार को क्लीन-चिट दे दी। विपक्ष और मीडिया यह पचा ही नहीं पा रहा है कि नरेंद्र मोदी कैसे भारत में इतने लोकप्रिय हो सकते हैं और खास कर पूर्वोतर राज्यों में इसलिए अगर मीडिया में और सोशल मीडिया में फैलाये जा रहे झूठ को देखा जाए तो और विपक्ष के बयान को पढ़े तो उनकी यह कुंठा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। हाल ही में राहुल गांधी ने यह बयान दिया था कि नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) मोदी-शाह सरकार की पूर्वोत्तर को नस्ली तौर पर साफ कर देने की कोशिश है।

अगर याद करें तो असम में हुए बम धमाकों से पहले शायद ही पूर्वोतर का कोई राज्य मीडिया में स्थान बना पाया था। हर वर्ष असम और अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ आती है लेकिन कोई ग्राउंड रिपोर्टिंग नहीं होती, मीडिया कवरेज तो दूर की बात है। न ही इस बाढ़ की चर्चा टीवी और समाचार पत्र करते और न ही सोशल मीडिया। मुंबई में आई बाढ़ को पटना या गुवाहाटी के बाढ़ की तुलना में अधिक कवरेज मिलती है।

और तो और पिछले 5 वर्षों में हुए विकास कार्यों को किसी ने कवर नहीं किया कि किस तरह पूर्वोतर में सड़क बना कर दुर्गम क्षेत्रों को एक दूसरे से जोड़ा गया है। पुल और रेल स्टेशन बना कर आवाजाही को सुगम बनाया या फिर किस तरह से लगभग सभी राज्यों में 12 एयरपोर्ट का निर्माण कर बाकी देश से जोड़ा गया। मीडिया को इससे लेना देना ही नहीं है। आखिर रहेगा भी क्यों ? इससे मोदी की वाह-वाही जो हो जाएगी। असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाले 9.15 किलोमीटर लंबे पुल के बन जाने से दोनों प्रदेशों के बीच की यात्रा का समय 6 घंटे से कम होकर मात्र एक घंटे हो चुका है। इस पुल के चालू होने से असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग के लिए संपर्क सुनिश्चित हुआ और रोजाना लगभग 10 लाख रुपए की पेट्रोल और डीजल की बचत होने लगी है। इसके तहत हेलीकॉप्टर के जरिये चिकित्सा सेवा दी जाएगी। सिक्किम को पहला हवाई हड्डा पाकयोंग मिला, भारत का सबसे बड़ा पुल भूपेन हजारिका सेतु की वजह से अरुणाचल से जुड़ी चीन-भारत सीमा पर देश की स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है

मोदी सरकार अब तक पूर्वोत्तर में रेल नेटवर्क के विकास पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। अरुणाचल प्रदेश में 11 रेलवे परियोजनाएं प्रगति पर हैं जो जल्‍द ही राज्‍य का चेहरा बदल देगा। पूर्वोत्तर क्षेत्र में राजमार्गों के विकास के लिए एक विशेष निगम राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम’ की स्थापना की गई है। इसका उद्देश्य क्षेत्र के हर जिले को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ना है। यह निगम ब्रह्मपुत्र नदी पर तीन नए पुलों का निर्माण कर रहा है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में 34 सड़क परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है, जिसमें 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से 1,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हो रहा है।

परन्तु मीडिया ने कभी इसे प्रमुखता से नहीं दिखाया क्योंकि इससे उनका एजेंडा नहीं चलेगा। जो परियोजनाएं 20 वर्षों से लटकी पड़ी थी उन्हें जमीनी हकीकत देने के बाद कई नए विकास परियोजनाओं को पूरा भी किया जा चुका है लेकिन शायद देश में मीडिया को यह दिखाने से TRP नहीं मिलेगी।

इस तरह से नज़र अंदाज करने के बाद अब CAB के मुद्दे पर अचानक से मीडिया अपने ताम-झाम के साथ सिर्फ और सिर्फ पूर्वोतर पर फोकस कर रहे है और लोगों में आपसी वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रहे है। कई चैनल तो लाइव अपडेट चला रहे हैं और लोगों को आतंकित कर रहे हैं बजाए इस नागरिकता संशोधन बिल के बारे में बताने के।

अचानक से पूर्वोत्तर के प्रति इस प्यार का और इतने बड़े लेवल पर कवरेज का एक ही उद्देश्य है जिसे हमने ऊपर बताया और वह था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किसी भी कीमत पर दुष्प्रचार करना। हालांकि, लोगों के समक्ष कश्मीर और 370 की तरह इसकी भी सच्चाई सामने आएगी। इसके साथ ही हम आम जनता से यही अनुरोध करेंगे की कि वो किसी भी भ्रामक प्रचार और खबर पर विश्वास करने से पहले तथ्यों की जांच कर लें।

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