दुनिया गोल के बजाए चपटी हो सकती है, सूर्य पूर्व के बजाए पश्चिम से उदय हो सकता है, पर हमारा पड़ोसी देश अपना स्वभाव बदल दे? ये बिलकुल नहीं हो सकता। पाक के रेल मंत्री शेख राशीद अहमद ने करतारपुर कॉरीडोर पर अपनी सरकार और प्रशासन की इतनी बड़ाई की कि बातों-बातों में वे अपनी ही सरकार की पोल खोल दिए। उन्होंने खुद ही स्वीकार लिया कि पाकिस्तान द्वारा करतारपुर कॉरीडोर खोले जाने के पीछे की मंशा स्पष्ट थी– भारत में हर प्रकार से अशांति फैलाना।
शेख राशिद अहमद ने हाल ही में कहा, “करतारपुर कॉरिडोर को खोलकर जनरल बाजवा ने भारत को जिस तरह के घाव दिए हैं उसे वह हमेशा याद रखेगा। जनरल बाजवा ने यह कॉरीडोर खोलकर भारत को बहुत बड़ा झटका दिया है। इस प्रोजेक्ट से पाकिस्तान ने अमन का एक नया पैगाम स्थापित किया है, और सिख समुदाय का दिल जीत लिया है”।
परंतु ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि पाक ने भारत में अशांति फैलाने हेतु इस तरह के नापाक कदम उठाए हों, और न ही यह पहली बार हुआ है कि शेख राशीद अहमद ने बड़बोले रवैये से पाक की भद्द पिटवाई हो। करतारपुर कॉरीडोर पर पाक की दरियादिली पर भारतीय एजेंसियों और कई भारतीय राजनेताओं को प्रारम्भ से ही पाक प्रशासन पर संदेह था। स्वयं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह [सेवानिर्वृत्त] ने कई बार यह संदेश दिया कि पाक प्रशासन पर करतारपुर के परिप्रेक्ष्य में कत्तई भरोसा नहीं किया जा सकता।
ऐसे में शेख राशीद का बयान इस बात की ओर संकेत देता है कि पाक अब पंजाब के रास्ते भारत में अपनी आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहता है। चूंकि कश्मीर में उनके इरादों पर भारतीय सुरक्षाबलों एवं केंद्र सरकार की मुस्तैदी ने पानी फेर दिया है, इसलिए वे अब पंजाब की ओर अपनी गिद्ध दृष्टि गड़ाए हुए हैं। जब पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरीडोर के उदघाटन के लिए खालिस्तानी नेता गोपाल सिंह चावला को अपना प्रतिनिधि बनाया, तो उसी समय हमनें समझ लिया था कि दाल में कुछ तो काला है। गोपाल चावला न केवल एक खलिस्तान समर्थक हैं, बल्कि वे पाक में बैठे बैठे भारत के विरुद्ध आतंकी गतिविधियों में भी सक्रिय पाये गए हैं।
खालिस्तान समर्थक गोपाल चावला का मीडिया से बातचीत करना और सिख श्रद्धालुओं को खालिस्तानी बोलना काफी कुछ बताता है। इसी ओर इशारा करते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा था कि करतारपुर कॉरीडोर को लेकर केंद्र सरकार को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि इसके सहारे पाकिस्तानी आईएसआई खालिस्तान के लिए ‘रेफेरेंडम 2020’ नामक अभियान को बढ़ावा देता है।
अमरिंदर सिंह के अनुसार, “कॉरिडोर को खोलना ISI का एजेंडा हो सकता है। इसका उद्देश्य रेफरेंडम-2020 के लिए हो सकता है, जिससे सिख भाईचारे को प्रभावित किया जा सके। खालिस्तान समर्थित संगठन सिख फॉर जस्टिस द्वारा भी ऐसा किया जा रहा है। पाकिस्तान द्वारा कॉरिडोर व गुरु नानक के नाम पर यूनिवर्सिटी शुरू करने जैसे फैसलों पर भारत को सतर्क रहने की जरूरत है। इनके पीछे छिपे एजेंडे को भी ध्यान से परखने की जरूरत है। भारत को इस मामले में पाकिस्तान के सिर्फ चेहरे पर नहीं जाना चाहिए, सभी चीजों को समग्र तौर पर लेना चाहिए”।
इतना ही नहीं, करतारपुर कॉरीडोर के उदघाटन पर पाकिस्तान ने आने वाले श्रद्धालुओं को भड़काने हेतु खालिस्तानी उग्रवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर भी लगाए थे। इसके अलावा पाक ने वहां एक बम भी स्थापित किया, जिसके लिए लिखा है कि 1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना ने इस पवित्र स्थल को निशाना बनाने की कोशिश की थी। ऐसे में शेख रशीद के बयान ने यह स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान का इरादा करतारपुर कॉरीडोर के रास्ते अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देना है, परंतु वे भूल रहे हैं कि अब उनकी दाल यहाँ नहीं गलने वाली।