यह कहना दूर की कौड़ी नहीं होगी कि केरल में सीएएए यानि सिटिजनशीप एमेडमेंट एक्ट के विरोध की जड़ें हैं। केरल कम्युनिस्टों और इस्लामिक कट्टरपंथियों का गढ़ बन चुका है। पिछले कुछ वर्षों पर नजर डालें तो कई मामले ऐसे सामने आएंगे जिसमें साफ पता चलेगा कि यह चरमपंथ किस हद तक जा चुका है। अभी हाल ही में केरल के त्रिशूर में कम्युनिस्ट पार्टी की छात्र ईकाई एसएफआई ने एबीवीपी कार्यकर्ता की बर्बरतापूर्ण तरिके से पिटाई कर डाली। इस हमले में एक अकेले एबीवीपी कार्यकर्ता को झुंड में कई वामपंथी छात्र बेरहमी से पीट रहे हैं। वीडियो में साफ-साफ देखा जा सकता है। ऐसी घटनाओं से साफ जाहिर होता है कि केरल कैसे कम्युनिस्टों और इस्लामिस्टों के जाल में फंस चुका है।
https://twitter.com/palaceintrigue_/status/1207215273276633089?s=20
अभी हाल ही में जामिया के छात्रों ने सीएए पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। जब विरोध प्रदर्शन हिंसक हुआ तो पुलिस ने थोड़ी कड़ाई बरती। इस दौरान दो लड़कियों को पोस्टर गर्ल बनाने का प्रयास किया गया। दोनों का नाम है आयशा रेना और लदीदा फरज़ाना। हालांकि इन पोस्टर गर्ल्स के चेहरे से कुछ ही घंटों में नकाब उतर गया। हमनें जब इनके सोशल मीडिया एकाउंट्स खंगाले तो पता चला कि ये पोस्टर गर्ल नहीं, ये तो जिहादी विचारधारा की हैं जिन्हें बरखा दत्त से समर्थन प्राप्त है।
यहीं नहीं जिहादी गर्ल आयशा आतंकी याकूब मेमन की समर्थक भी है। वो भारत को एक फासिस्ट देश के दौर पर देखती है। आयशा का कहना है कि मोदी ही नहीं बल्कि पूरा हिंदुस्थान ही फासिस्ट है। बता दें कि याकूब मेमन 1993 हमले का दोषी था जिस पर 317 लोगों की हत्या का इल्जाम था। जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश से साल 2015 में फांसी की सजा दी जा चुकी है।
एक आतंकी को मौत की सजा देना आयशा को पसंद नहीं आया और इसके लिए वो अपने फेसबुक से पोस्ट करके लिखती है- ‘माफ़ करना याकूब, हम तुम्हें बचा नहीं पाए।’ 317 लोगों के खून से सने हाथ को इस जिहादी महिला ने सार्वजनिक रूप से समर्थन करने की जुर्रत की है। फिर भी हमारे लेफ्ट लिबरल ब्रिगेड के लोग उसे पोस्टर गर्ल बनाने पर तुले हैं। इसी तरह ये जिहादी गर्ल अफजल गुरू को भी अपना गुरू मानती है। इनके अनुसार संसद पर हमला करने वाला आतंकी समाजसेवी था।
#CAAProtests "FACE" #AyshaRenna (Doll) is sympathizer of Terrorist #YakubMemon & Her husband #AfsalRahman is sympathizer of Terrorist #AfzalGuru. Fact remains that #JamiaProtests were facilitated by Radical I's'lamists & #JamiaTerroristNexus is badly exposed. pic.twitter.com/beLvyBmqjz
— Avinash Srivastava 🇮🇳 (@go4avinash) December 18, 2019
याकूब मेमन और अफ़ज़ल गुरु जैसे आतंकवादियों के लिए सहानुभूति रखना इन अर्बन नक्सलियों के लिए आम बात है, लादीदा ने जिहाद के लिए खुले तौर पर फेसबुक पोस्ट करके सभी सीमाएं पार कर ली है। मोपला दंगों को अक्सर केरल में ब्राम्हणों के खिलाफ ही दिखाया जाता है। इसमें कहा जाता है कि गरीब मुस्लिमों को सताया गया था। इन दोनों लड़कियों ने मोपला दंगों को लेकर भी फेसबुक पर एक पोस्ट किया जिसमें उनका कट्टरपंथी चेहरा साफ-साफ देखा जा सकता है। इस पोस्ट में लदीदा एक ऐसे आदमी को अपने बाप के तौर पर देखती है जो मोपला दंगों का मास्टरमाइंड था। यह आदमी खिलाफत आंदोलन का चेहरा था जिसने देश को बांटने का काम किया था।
दरअसल, केरल में 1921 में मोपला दंगे हुए और जातीय हिंसा हुई। जिसके परिणामस्वरूप अनुमानित 10,000 हिंदू मारे गए और यह माना जाता है कि दंगों के मद्देनजर 1,00,000 हिंदुओं को केरल छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। एक फेसबुक पोस्ट में लदीदा ने मैल्कम एक्स, अली मुसलीयर और वरियामकुनाथ की वाहवाही कर रही है। अली मुसलीयर और वरियामकुननाथ ने मोपला दंगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अली मुसलीयार 1921 में केरल के मोपला दंगों में एक नेता थे और खिलाफत आंदोलन में एक सक्रिय संचालक थे जिन्होंने अंततः देश के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण का नेतृत्व किया था।
Did Ladeeda actually write this on her pages? I find that tough to believe & isn’t she a Farzana @BDUTT pic.twitter.com/a5TBjKe9cv
— Sona Mohapatra (@sonamohapatra) December 17, 2019
एनी बेसेंट ने अपनी पुस्तक ‘द फ्यूचर ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स’ में इन घटनाओं का वर्णन किया है। इस हिंसा में लूट और हत्या बड़े स्तर पर किया गया। यहां तक कि हिंदुओं के पास से कपड़े तक छीन लिए गए। बाबासाहेब अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक, पाकिस्तान या भारत के विभाजन में लिखा है, “हिन्दुओं के खिलाफ मालाबार में मोपलाओं द्वारा किए गए खून-खराबे और अत्याचार अवर्णनीय थे। पूरे दक्षिण भारत में, हर वर्ग के लोगों में भय की लहर फैल गई थी, जो तब तेज़ हो गई थी जब ख़िलाफ़त के कुछ नेता इतने गुमराह थे कि “मोपलाओं को बहादुर लड़ाई के लिए बधाई देने” के संकल्प पारित कर रहे थे और वो भी मात्र इस्लाम के खातिर।
वरियामकुननाथ मुसियार का घनिष्ठ विश्वासपात्र था जिसने खुद को ‘अरनद के सुल्तान’ के रूप में माना। केरल का क्षेत्र जहां मोपला दंगा हुआ, वहां उसे ‘मोपला दंगों का जनक’ माना जाता है और अंग्रेजों के जाने से पहले केरल में एक समानांतर सरकार चलाई। आदित्य मेनन जैसे कट्टर वामपंथी मुशायरे और वरियामकुंठ जैसे आतंकवादी इन जिहादियों के मूर्तिपूजक हैं। ये जिहादी विचारधारा की लड़कियां इसी मुसियार और वरियामकनाथ को स्वतंत्रता सेनानी मानती हैं।
बता दें कि मुसल्लर एंड कंपनी के नेतृत्व में मोपला दंगा एक स्वतंत्रता आंदोलन नहीं था। बल्कि यह खिलाफत आंदोलन जैसे इस्लामिक एजेंडे का समर्थन था। इस दंगे में हिंदुओं और अन्य गैर-मुस्लिमों को विशेष रूप से लक्षित किया गया था।
The Mopillah rebellion led by Musliyar and company was not a freedom movement. It was religious warfare with the goal of establishing a Khilafat. Hindus and other non-Muslims were specifically targeted, butchered and/or forcibly converted. Not something anyone should be proud of. https://t.co/vvKgyUHxup
— Rupa Subramanya (@rupasubramanya) December 17, 2019
ऐसे जिहादी और कट्टरपंथी विचारधारा के युवाओं का इस तरह से देश विरोध में शामिल होने से साफ पता चलता है कि केरल का भविष्य फिर से अंधेरे की ओर जा रहा है। एबीवीपी के कार्यकर्ता सीएए पर जागरूकता अभियान चला रहे थे लेकिन यह वामपंथियों और इस्लामिस्टों को पंसद नहीं आया और वामपंथी छात्रों की भीड़ ने बेहद बर्बर तरीके से एक एबीवीपी के कार्यकर्ता की पिटाई कर देते हैं।
सच कहें तो केरल सिर्फ वामपंथियों और नक्सलियों का अड्डा ही नहीं बन गया है बल्कि यह आतंक समर्थित लोगों का अड्डा भी बन गया है और यह भारत के लिए बिल्कुल भी अच्छा संकेत नहीं है। जल्द से जल्द केरल के इस घाव की दवाई करनी चाहिए ताकि आने वाले दिनों में कहीं गले की नासूर न बन जाए।