PK खुलेआम एंटी-BJP ताकतों की एकजुट कर रहे हैं पर बीजेपी बस देख रही है!

प्रशांत किशोर JDU

PC: InToday

भारत विश्व के उन देशों में से है जहां राजनीति में मल्टीपार्टी सिस्टम है और सरकार बनाने के लिए अक्सर गठबंधन बनाना ही पड़ता है। अब अगर गठबंधन सत्ता के लोभ में या विचारधारा के विपरीत होता है तो ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाता होता है। कर्नाटका में कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन इसका एक उदाहरण कह सकते हैं ऐसे कई और उदाहरण आपको देखने को मिल जायेंगे यदि आप भारत की राजनीति के इतिहास को पढेंगे। राष्ट्रीय स्तर हो या राज्य स्तर दोनों ही स्तर पर गठबंधन का यह खेल देखने को मिलता है। बिहार की राजनीति भी इससे अछूती नहीं है और यह 15 वर्षों से चलता आ रहा है। परंतु अब नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के मुद्दे पर बिहार की दोनों सत्ताधारी पार्टियां यानि भाजपा और JDU अलग-अलग छोर पर खड़ी दिखाई दे रही हैं। यही मौका है जब भाजपा को गले में नासूर बनी नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड से गठबंधन तोड़ लेना चाहिए।

दरअसल, JDU के उपाध्यक्ष प्रशान्त किशोर ने अब मुखर होकर विपक्षी पार्टियों पर डोरे डालना शुरू कर दिया है। पहले तो JDU  ने नागरिकता संशोधन कानून पर BJP को संसद में समर्थन किया परन्तु प्रशांत किशोर के बयान के बाद नीतीश कुमार का बिहार में एनारसी को न लागू करने वाला बयान कई सवाल खड़े करता है। पहले स्वयं पार्टी के उपाध्यक्ष का विरोध करना और फिर पार्टी के सुप्रीमों का बयान दर्शाता है कि भाजपा के साथ जेडीयू केवल होने का दिखावा कर रही है। प्रशांत किशोर के विरोध के बावजूद नागरिकता संशोधन कानून पर JDU  का रुख नहीं बदला। पर प्रशांत किशोर का गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से एकजुट होने की बात कहना और फिर राहुल गाँधी को धन्यवाद करना कहीं न कहीं प्रशांत किशोर की फ्रंटफूट से भारतीय राजनीति में खेलने की मंशा को जाहिर करता है।

दरअसल, प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी और अन्य विपक्षी पार्टियों को भी भाजपा के खिलाफ लामबंद करना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में प्रशांत किशोर ने अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी का धन्‍यवाद किया है।  उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ जंग में साथ आने के लिए राहुल गांधी को धन्‍यवाद। प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा, ‘सीएए, एनआरसी के खिलाफ नागरिकों के आंदोलन में शामिल होने के लिए राहुल गांधी को धन्‍यवाद। लेकिन आप जानते हैं कि आम जनता के प्रदर्शन से आगे बढ़कर हमें राज्‍यों को कहना होगा कि वे एनआरसी को रोकने के लिए इसे ना कहें। हम आशा करते हैं कि आप कांग्रेस पार्टी को आधिकारिक रूप से यह घोषणा करने के लिए मना लेंगे कि कांग्रेस शासित राज्‍यों में एनआरसी नहीं होगा।’

प्रशांत ने कहा कि अमित शाह द्वारा संसद में एनआरसी बिल लाने का वादा तभी टूटेगा जब कई राज्य की सरकारें इसे अपने यहां लागू करने से मना कर दें। CAA के खिलाफ भी कांग्रेस समेत भाजपा विरोधी दल ने वोटिंग की थी लेकिन वे इसे कानून बनने से नहीं रोक पाए, परन्तु विपक्षी दल एकजुट हों तो अब ये हो सकता है।

https://twitter.com/PrashantKishor/status/1209330363249463296?s=20

बता दें कि एनडीए के अंदर प्रशांत किशोर ऐसे पहले नेता हैं जिन्होंने नागरिकता संशोधन कानून का जमकर विरोध किया है। जदयू द्वारा संसद में इस बिल के समर्थन के बावजूद प्रशांत लगातार इसके खिलाफ आवाज उठाते रहे। रविवार को भी प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर सीएए और एनआरसी को लागू होने से रोकने के लिए दो सुझाव दिए थे। पहला, सभी प्लेटफॉर्म पर अपनी आवाज उठाकर शांतिपूर्वक विरोध को जारी रखें और दूसरा, यह कि सुनिश्चित करें कि सभी 16 गैर भाजपा मुख्यमंत्री अपने राज्यों में एनआरसी को लागू नहीं करें।

बिहार में प्रशांत किशोर की राजनीतिक विरोधी पार्टी आरजेडी के अलावा समाजवादी पार्टी, AIMIM और केरल में भी राजनीतिक दल सड़कों पर उतर चुके हैं। वहीं, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी जैसे कई अन्य विपक्षी दल अपने बयानों से सरकार के फैसलों के खिलाफ कई बार अपना विरोध जता चुके हैं।

भाजपा को प्रशांत किशोर और JDU के रुख को देखते हुए तुरंत गठबंधन तोड़ देना चाहिए, क्योंकि JDU वही काम कर रही है जो काम एक विपक्ष करता है। ऐसे में ऐसी पार्टी के साथ सरकार में रहने या सरकार चलाने का कोई मतलब नहीं है वो भी तब जब न विचारधारा मेल खा रही है और न ही भाजपा को  राष्ट्रीय मुद्दे पर समर्थन मिल रहा।

वैसे भी प्रशांत किशोर लगभग सभी विपक्षी पार्टियों के लिए रणनीतिकार के तौर पर काम कर चुके हैं और कुछ के लिए अभी भी कर रहे हैं, चाहे वे कांग्रेस हो या शिवसेना या फिर तृणमूल कांग्रेस या फिर आम आदमी पार्टी। इन सभी पार्टियों की रणनीति और काम करने के तरीके को वो अच्छी तरह से समझते हैं, और इन पार्टियों के डाटा पर भी प्रशांत किशोर की IPAC का ही कंट्रोल है। ऐसे में प्रशांत किशोर इन पार्टियों को अपने कहे मुताबिक भाजपा के खिलाफ जाने और समर्थन देने के लिए आग्रह कर सकते हैं और ये पार्टियाँ शायद इसके लिए मना भी न करें। ऐसे में भाजपा को समय की प्रतिकूलता को देखते हुए बिहार में JDU से तुरंत ही अपना समर्थन वापस लेना चाहिए और नीतीश को appease करना बंद करना होगा।

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