PM मोदी के ‘लखटकिया चश्मे’ पर इतना शोर क्यों? क्या देश के प्रधानमंत्री को इतना भी अधिकार नहीं?

PC: Amar Ujala

कल साल का आखिरी सूर्य ग्रहण था और सभी की तरह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भी इस ग्रहण को देखने की उत्सुकता थी। इसी वजह से वो केरल पहुँच गए और सूर्य ग्रहण देखते हुए अपनी एक फोटो ट्वीटर पर शेयर की। इसके बाद तो मोदी विरोधियों का पूरा इकोसिस्टम एक्टिव हो गया और उनकी फोटो को ज़ूम कर जांच पड़ताल करने लगा। इसी पड़ताल में इस गैंग ने पाया कि मोदी जी का चश्मा जर्मनी की मेबैक(Maybach) कंपनी की है जिसकी कीमत एक लाख से ऊपर की है। बस फिर क्या था प्रधानमंत्री मोदी को इतने महंगे चश्मे के लिए ट्रोल किया जाने लगा। अब ऐसे लोगों से मैं यह पूछना चाहता हूं कि आखिर देश के प्रधानमंत्री महंगे चश्मे या महंगे कपड़े क्यों न पहने? क्या भारत के प्रधानमंत्री को इतना भी हक़ नहीं है? स्वतन्त्रता के बाद से आज तक सभी नेता, पत्रकार, और एक्टिविस्ट सभी गरीबी ही बेचते आये हैं और देश की जनता को बेवकूफ बना कर खुद रुपये विदेशों में जमा करते रहे हैं। उनसे तो यह लाख गुना अच्छा ही है।

दरअसल, जब प्रधानमंत्री ने अपनी फोटो ट्विटर पर शेयर की तभी एक यूजर ने उनकी फोटो पर कमेंट किया कि इस फोटो के बहुत मीम बनेंगे। इसपर प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि “आपका स्वागत है, आनंद लीजिए”। इसके बाद ट्विटर पर क #CoolestPM)  भी ट्रेंड करने लगा।

परंतु, मोदी विरोधियों को यह हजम नहीं हुआ और वे लगे फोटो की चीर-फाड़ करने और इसी दौरान उन्हें चश्में की कंपनी दिखी और वे इसी से प्रधानमंत्री का मज़ाक उड़ाने लगे।

https://twitter.com/Radhika_Khera/status/1210083893224689665

एक यूजर ने मोदी के इस चश्मे को जर्मनी का चश्मा बताया और साथ ही कीमत का ब्यौरा भी पेश किया है। चश्मे की कीमत जानने के बाद लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह के कामेंट करने लगे। वहीं एक यूजर ने लिखा, “सर हमको भी फकीरी का अनुभव करना है। हमको भी 1.5 लाख का चश्मा पहनने की इच्छा है।” तो वहीं दूसरे यूजर ने लिखा “ये देश का पैसा है चाय वाला 1.5 लाख का चश्मा लगा रहा है”।

 

 

यह सोचने वाली बात है कि देश के प्रधानमंत्री के कपड़ों और चश्मा का इस तरह से मज़ाक उड़ाया जा रहा है। स्वतन्त्रता से ही देश के नेता गरीबी का दिखावा कर देश की जनता को लूटते आए है। भारत की राजनीति में गरीबी और साम्यवाद को दिखा कर वोट पाने का पुराना इतिहास रहा है।

आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का मान सम्मान बढ़ रहा है और प्रधानमंत्री विश्व के प्रमुख हस्तियों में गिने जाते हैं। परंतु कल में जीने वाले लोगों की मानसिकता में कोई परिवर्तन नजर नहीं आ रहा और वो चाहते हैं कि देश दुनिया के दूसरे देशों के सामने गरीब ही दिखे और देश का प्रधानमंत्री फटे कुर्ते पहन का देश के गरीब होने का दिखावा करे। इसी गरीबी का दिखावा करने की मानसिकता ने हमें आज भी गरीब बना कर रखा हुआ है, जिससे निकलने की आवश्यकता है। ऐसे ही लोग किसी की सफलता पर खून के आँसू रोते हैं, उसे बद्दुआ देते है। कांग्रेस और उसके इकोसिस्टम में गांधी परिवार के तलवे चाटने वालों को आज भी यह विश्वास नहीं होता है कि कैसे एक सामान्य परिवार का व्यक्ति प्रधानमंत्री बन गया और वह भी कांग्रेस के सहारे के बिना। यही खीझ समय-समय पर बाहर आती रहती है। कुछ समय पहले ही राहुल गांधी की एक तस्वीर सामने आई थी जिसमें वे अपने कुर्ते से फटे जेब से हाथ निकाल कर दिखा रहे हैं कि उनका कुर्ता फटा है।

अब जनता तो इतनी मूर्ख नहीं है कि उसे राहुल गांधी के बारे में पता न हो या उनके नाम विदेशों में जमा धन को लेकर अनजान हों, लेकिन फिर भी दिखावे के लिए फटा कुर्ता दिखाना था। हालांकि, जनता ने लोक सभा चुनाव में इसी दिखावे का परिणाम भी दे दिया जो गरीबी बेच कर वोट पाने की चाहत रखते थे।

आज हमे गर्व करना चाहिए कि एक सामान्य परिवार से आया हुआ व्यक्ति अपनी मेहनत से पहले गुजरात जैसे राज्य का मुख्यमंत्री बनता है, और फिर विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री बनता है। अब जब वह मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बन ही सकता है तो वह अपनी पसंद की चीजें क्यों नहीं पहन सकता? क्या प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए मिलने वाली सैलरी में वो इतना भी अफ्फोर्ड नहीं कर सकते ? आखिर भारत जैसे देश जिसे एक जमाने में सोने की चिड़िया कहा जाता था, उसका प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति को अच्छे कपड़े और महंगे चश्मे पहनने का भी अधिकार नहीं है? आखिर ये लोग चाहते क्या हैं कि देश का प्रधानमंत्री जो 130 करोड़ जनता का विश्व के सामने प्रतिनिधि है वह गरीब ही दिखे? ऐसे लोगों के लिए चुल्लू भर पानी भी अधिक है। अब देश बदल रहा है और इस देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो सनातन धर्म से जुड़े होने के साथ साथ tech-savy भी है और विश्व के शीर्ष नेताओं में गिने जाते हैं।

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