प्रियंका गांधी वाड्रा ने साबित कर दिया है कि वो राहुल गांधी से भी बड़ी पप्पू हैं

प्रियंका गांधी वाड्रा

PC: InToday

जब आपको अपनी पहचान बनाने का एक सुनहरा अवसर मिले, और आप उसमें भी गुड़ गोबर कर दे, तो संसार आपको किस दृष्टि से देखेगा? कुछ ऐसा ही काँग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ हुआ है, जिन्हें पिछले एक वर्ष से कांग्रेस राजनीति में मेगा लॉन्च देने के लिए असंख्य प्रयास कर चुकी है। परंतु जितनी बार भी उन्हें राजनीति में लॉन्च करने का प्रयास किया गया है, उतनी बार प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी और अपने पार्टी की धूम धड़ाके से भद्द पिटवाई है।

हाल ही में प्रियंका गांधी पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने और पार्टी की स्थिति का जायज़ा लेने लखनऊ के दौरे पर गयी थीं। अपने आधिकारिक रूट से इतर जाने पर जब पुलिस अफसरों ने उन्हें टोका, तो उनके गुर्गे पुलिस अफसरों से ही बदतमीजी करने लगे। बात यहीं पर नहीं रुकी, प्रियंका गांधी ने तो अपने ही काफिले की सुरक्षा इंचार्ज पर गला दबाने और हाथापाई करने तक का आरोप लगा दिया

हालांकि, घटना का वीडियो सार्वजनिक होने पर ये साफ हो गया कि यह प्रियंका गांधी वाड्रा ही थी, जो न केवल यातायात नियमों का उल्लंघन कर रही थीं, अपितु पुलिस कर्मचारियों से बदतमीजी से पेश भी आ रही थीं। ऐसे में सोशल मीडिया यूज़र्स ने जमकर प्रियंका गांधी वाड्रा को उनके झूठे आरोपों के लिए लताड़ा और यूपी पुलिस एवं सर्कल ऑफिसर अर्चना सिंह के समर्थन में ट्विटर पर ट्रेंड किया।

परंतु प्रियंका गांधी वाड्रा यहीं थोड़ी न रुकी। उन्होंने आगे बढ़कर वही किया, जिसके लिए उनके भ्राता और पूर्व काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सुप्रसिद्ध हैं। उन्होंने योगी आदित्यनाथ के सीएए के विरोध के नाम पर दंगाइयों को देख लेने की चेतावनी पर उनके भगवा वस्त्रों पर टिप्पणी की और कहा, “यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने भगवे वस्त्रों के साथ अन्याय कर रहे हैं, क्योंकि ये रंग हिन्दू धर्म का प्रतीक है, जो हिंसा या बदला को बढ़ावा नहीं देता”।

शायद प्रियंका दीदी ने अपने बड़े भ्राता से कोई सीख नहीं ली है। राहुल गांधी जिस ध्रुवीकरण की राजनीति के विरुद्ध लड़ने का दावा करते हैं, उसी ध्रुवीकरण को उन्हें खुद कई बार बढ़ावा दिया है। ये राहुल गांधी ही थे जिन्होंने कहा था कि ‘जो लोग मंदिर जाते हैं, वही लड़कियों को छेड़ते भी हैं’। ये वही राहुल गांधी हैं, जिनके लिए आतंकवाद का भी एक ही धर्म होता है, और उसे सिद्ध करने के लिए उनके चाटुकारों ने अनैतिकता की सारी सीमाएं लांघ दी थी। अब ऐसा ही कुछ प्रियंका गांधी भी कर रही हैं तभी तो राजनीतिक एजेंडा साधने के लिए वो लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन में शामिल दबंगों का समर्थन किया, और सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए योगी सरकार के कदम का विरोध किया। इसके साथ ही इसे आम जनता से प्रतिशोध की राजनीति करार दे दिया।

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यदि प्रियंका गांधी वास्तव में एक परिपक्व नेता के रूप में सामने आना चाहती थीं, तो उन्हें कम से कम अपनी पार्टी के छवि को ध्यान में रखते हुए एक ऐसे नेता की छवि प्रस्तुत करनी चाहिए थी, जो सस्ती राजनीति में विश्वास नहीं रखती। परंतु वर्तमान उदाहरणों को देखते हुए हमें ऐसा तो बिलकुल नहीं लगता कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी में रत्ती भर भी अंतर होगा। इनके चुनावी प्रचार के असर के बारे में हम कुछ न बोले तो अच्छा होगा।

प्रियंका गांधी वाड्रा के नखरे यहीं पर नहीं रुकते। हिन्दुत्व पर अपने हमले के दौरान ही प्रियंका गांधी ने कहा था कि ‘मुझे अपनी सुरक्षा की कोई परवाह नहीं है। परंतु जब मोदी सरकार ने नवंबर में गांधी परिवार समेत कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार के सदस्यों से एसपीजी सुरक्षा हटाई गयी, तो सुरक्षा चूक के कारण एक अनाधिकारिक वाहन पर ही प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा ने आसमान सिर पर उठाते हुए इस सुरक्षा चूक की तुलना देश में महिलाओं की सुरक्षा से कर दी। हालांकि, बाद में सीआरपीएफ़ ने पोल खोलते हुए बताया कि कैसे एसपीजी सुरक्षा के कई नियमों प्रियंका गाँधी वाड्रा ने उल्लंघन किया था।

इसके अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा ने कई अवसरों पर झूठी खबरों के जरिये अपनी छवि को सशक्त करने का भी असफल प्रयास किया। उदाहरण के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी क्षेत्र में हुई  एक आपसी झड़प को जातिवादी रंग देने का प्रयास किया, और पोस्ट किया था, “उत्तर प्रदेश में दबंगों ने गवाही देने के लिए भयावह तरीके से दलित भाइयों की पिटाई कर दी। भाजपा सरकार मूकदर्शक बनी देख रही है। हर रोज दलितआदिवासियों पर दबंगअपराधी खुलेआम हमले कर रहे हैं। कानूनव्यवस्था का ये हाल और दलित आदिवासियों पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

हालांकि, यूपी पुलिस ने उनके प्रोपेगंडा को ध्वस्त करने में तनिक भी समय नहीं गंवाया और उन्हें भ्रामक खबरें फैलाने के लिए आड़े हाथों भी लिया। मैनपुरी पुलिस के अनुसार, “उक्त खबर का खण्डन किया जाता है। झगड़ा राजपूत परिवारों में हुआ था। जिसमें अभियोग पंजीकृत कर विधिक कार्यवाही की जा रही है।

प्रियंका गांधी को कई बार बेशर्मी से सफ़ेद झूठ बोलने के लिए आड़े हाथों लिया गया है। परंतु वे अपनी गलतियों से कोई सीख लेना ही नहीं चाहती। राहुल गांधी की बहन होने के नाते ये एक नायाब केस लगता है, जहां भाई बहन में इस बात की प्रतिस्पर्धा होती है कि कौन ज़्यादा बेवकूफ़ लगता है। शायद काँग्रेस एक नए पप्पू की तलाश में है, और फिलहाल इस पद के लिए प्रियंका गांधी इस दावेदारी में सबसे आगे दिखाई दे रही हैं।

 

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