लालू यादव को झारखंड विजय का श्रेय देना हास्यास्पद

लालू यादव

हाल ही में झारखंड के विधानसभा चुनावों में भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा। उन्हे 81 सीटों की असेम्बली में केवल 25 सीट प्राप्त हुई। उधर राज्य में प्रमुख विपक्ष के तौर माने जाने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सभी को चौंकाते हुए 30 सीटों पर विजय प्राप्त की है और काँग्रेस समर्थित गठबंधन के साथ उन्होने कुल 47 सीट प्राप्त की है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसके प्रमुख नेता हेमंत सोरेन को इस विजय का श्रेय देता। परंतु ऐसा कुहक भी नहीं हुआ। चारा घोटाले के लिए जेल में बंद एक कैदी इस पूरी विजय का श्रेय लूटता दिखाई दे रहा है, सौजन्य इंडियन मीडिया। आईएएनएस की एक रिपोर्ट के अनुसार राजद प्रमुख लालू यादव ने अपने पुत्र तेजस्वी को समझाया कि वे गठबंधन में और सीटों की मांग न करे, जिसके कारण गठबंधन यथावत रहा। इस रिपोर्ट को टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडिया टुडे ने बढ़ा चढ़ा कर प्रदर्शित किया।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि लालू यादव को राजनीति की अच्छी ख़ासी समझ है, परंतु उन्हे भी पता है कि उनके बेटे का झामुमो काँग्रेस गठबंधन में ज़्यादा सीटें मांगना हास्यास्पद ही होगा। इसी चुनाव का उदाहरण देख लीजिये, गठबंधन में राजद को 8 सीटें मिली थी, परंतु उन्हें केवल 1 सीट पर विजय प्राप्त हुई। इससे मीडिया के गुटों को स्पष्ट हो जाना चाहिए था कि राजद का वास्तव में गठबंधन में क्या स्थान है, पर ऐसे कैसे चलता? आखिर एजेंडा ऊंचा रहे हमारा।

दोनों टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडिया टुडे ने आईएएनएस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि: “उनका राजनीतिक प्रभुत्व भले ही कुछ लोगों के मस्तिष्क से मिट चुका हो, परंतु रांची के बिरसा मुंडा जेल में चारा घोटाला मामले में जेल में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू यादव की भविष्यवाणी फिर से सत्य साबित हुई। झारखंड में अपनी पार्टी, झामुमो और कांग्रेस को शामिल करते हुए विपक्षी गठबंधन को बचाकर उन्होने भाजपा की हार सुनिश्चित की”। इन मीडिया हाउसों यह दावा करने से भी नहीं हिचकिचाई कि यह लालू यादव ही हैं जिन्होंने राज्य में भाजपा को हराया है। अरे भई , फेंकने का शौक है तो पार्क जाओ, खेलों में शामिल हो, पत्रकारिता में इतनी लंबी लंबी कौन फेंकता है?

भले ही राजद उनके गठबंधन का हिस्सा नहीं बनता, परंतु झामुमो-काँग्रेस अपने आप में ये चुनाव जीतने में सक्षम थी। केवल एक सीट जीतने पर भी मीडिया द्वारा महिमामंडित किया जाना केवल एक संकेत देता है कि कैसे लालू के लिए मीडिया उनके लिए अपनी छिपे हुए सम्मान को दूर नहीं कर पाया है। किसी के लिए यह सोचना कि राजद किसी भी चुनाव में भाजपा को संभवतः ‘पराजित’ कर सकता है, इसका सीधा मतलब यह होगा कि उनकी राजनीति का ज्ञान न्यूनतम है।

 

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