आखिरकार ‘सेक्युलर हृदय सम्राट’ उद्धव ने ठान ही लिया कि भीमा कोरेगांव के आतंकियों को छोड़ा जाएगा!

आधिकारिक घोषणा हो गई है!!

उद्धव, भीमा कोरेगांव, शिवसेना

महाराष्ट्र में सरकार बनते ही महाविकास अगाढ़ी की कांग्रेस, NCP और शिवसेना ने अपने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी आतंकियों को छोड़ने का आश्वासन दिया है। एक तरफ शिवसेना के उद्धव ठाकरे बुलेट ट्रेन रोकने की बात कर रहे हैं तो वहीं मेट्रो कार शेड को उन्होंने रोक ही दिया है।

यही नहीं उद्धव ठाकरे ने नानर रिफायनरी के आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमों को वापस लेने का ऐलान किया है। अब एक नए बयान में NCP के एक नेता ने भीमा-कोरेगांव हिंसा में गिरफ्तार अर्बन नक्सलियों को रिहा करने की मांग की है। जिस सोच के साथ यह गठबंधन सरकार आगे बढ़ रही है उससे तो यही लगता है कि मुंबई फिर से अंडरवर्ल्ड के काले साये की ओर बढ़ रही है।

दरअसल, महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को एनसीपी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को यह आश्वासन दिया कि 2 और 3 जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के संबंध में दलित कार्यकर्ताओं के खिलाफ दायर आपराधिक मामले वापस ले लेंगे। इस प्रतिनिधिमंडल में कैबिनेट सदस्य जयंत पाटिल, छगन भुजबल और विधायक प्रकाश गजभिये शामिल थे।

इससे पहले महाराष्ट्र की मुर्बा-कलवा सीट से राकांपा विधायक डॉ. जितेंद्र अव्हाड़ ने भी ट्वीट कर यही मांग की थी। उन्होंने कहा था कि-

‘आरे आंदोलन में गिरफ्तार किए गए लोगों को मुक्त कर दिया गया है, अब इस सरकार को भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों को पिछली सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों से मुक्त करना चाहिए…हां … यह हमारी सरकार है।’

इस ट्वीट में उन्होंने मुख्यमंत्री ठाकरे और कैबिनेट मंत्री जयंत पाटिल को भी टैग किया है। अव्हाड़ ने यह भी कहा कि भीमा कोरेगांव के आतंकियों पर पिछली सरकार ने फर्जी मामले दर्ज किए थे।

आपको बता दें कि पिछले वर्ष जून में महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच के दौरान 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस की जांच में ये पाया गया था कि माओवादी 21 मई 1991 में हुई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे। पीएम मोदी की हत्या की साजिश से जुड़ी कड़ी में पुलिस की स्पेशल टीम ने देशभर के कथित नक्सल समर्थकों के घरों व कार्यालयों पर ताबड़तोड़ छापेमारी करनी शुरू की। अकादमिक, वकील, मीडिया और तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर के कई हाई प्रोफ़ाइल लोगों के घरों पर छापेमारी की गयी थी। इस मामले में पुलिस ने सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवर राव, वेरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया था।

इन सभी कार्यकर्ताओं पर भीमा कोरेगांव हिंसा एल्गार परिषद से जुड़े होने का भी आरोप है। पुलिस ने आरोप लगाया है कि इन अर्बन नक्सलियों ने पुणे में एल्गार परिषद सम्मेलन में सहायता की थी, जिसके बाद ही हिंसा फैली थी। जून में पांच अन्य कार्यकर्ता शोमा सेन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, रोना विल्सन और सुधीर ढवाले भी गिरफ्तार किए गए थे।

इस गिरफ्तारी को लेकर पूरे देश में वामपंथी गैंग ने विरोध करना शुरू कर दिया था। गिरफ्तारी को लेकर बढ़ते विवाद के बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा जहां कोर्ट ने अपने फैसले में गिरफ्तार किए गए सभी पांच कार्यकर्ताओं को हाउस अरेस्ट करने के आदेश दिए थे। इसके बाद सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवर राव, वेरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा के मामले में एसआईटी से जांच कराने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में इस मामले में एसआईटी जांच से इंकार कर दिया था।

शिवसेना इन खतरनाक नक्सलियों को छोड़ने की बात कर रही है। उनके बारे में महाराष्ट्र पुलिस ने दावा किया था कि तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता शहरों में अपनी पकड़ बना रहे थे और अपने गढ़ में नक्सलियों के लिए टॉप ग्रेड के हथियारों की खरीद के लिए सीपीआई (माओवादी) के साथ मिलकर साजिश रच रहे थे।

अपने आदर्शों के ठीक विपरीत पहले शिवसेना की उद्धव सरकार ने भीमा कोरेगांव के आतंकियों को छोड़ने का निर्णय लिया है। कभी ऐसे संगठनों को महाराष्ट्र से उखाड़ फेंकने की बात करने वाली शिवसेना अब सत्ता के नशे में चूर होकर इन्हीं गतिविधियों पर आंखें मूंदे बैठी है। बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों का मखौल उड़ाते हुए उद्धव दिन ब दिन महाराष्ट्र को गर्त में धकेलने पर तुले हुए हैं।

अब इन अर्बन नक्सलियों का समर्थन महाराष्ट्र के लिए ही नहीं बल्कि देश की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है। जब यह नक्सली प्रधानमंत्री को मारने की साजिश रच सकते हैं तो यह देश में तबाही फैलाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अगर इस गठबंधन ने उन लोगों को छोड़ दिया तो महाराष्ट्र खासकर मुंबई को अपने नब्बे के दशक के लिए दोबारा तैयार रहना होगा जहां सिर्फ गुंडा और आतंकियों का राज था।

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