नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर देश में मचे बवाल के बीच अब केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर काम करना शुरू कर दिया है। कल यानि बुधवार को केबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बिल के लिए मंजूरी दे दी।
क्या है ये NPR ?
NPR भारत में रहने वाले स्वाभाविक निवासियों का एक रजिस्टर है। इसे ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। नागरिकता कानून, 1955 और सिटिजनशिप रूल्स, 2003 के प्रावधानों के तहत यह रजिस्टर तैयार होता है।
उद्देश्य क्या है ?
एनपीआर का पूरा नाम ‘नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर’ है। इसके तहत 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा। कर्मचारी देशभर में घर-घर जाकर नागरिकों से जानकारी एकत्रित करेंगे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि एनपीआर अपडेशन के दौरान व्यक्ति द्वारा दी गई जानकारी को ही सही माना जाएगा, उसे कोई दस्तावेज नहीं देना होगा।
किस कानून के तहत किया जा रहा है?
NPR को स्थानीय (गांव/ उप नगर), उप जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नागरिकता कानून 1955 व नागरिकता नियम, 2003 के तहत तैयार किया जाएगा। देश के सभी नागरिकों का इसमें पंजीकरण अनिवार्य है।
नागरिकता कानून, 1955 को 2004 में संशोधित किया गया था, जिसके तहत NPR के प्रावधान जोड़े गए। सिटिजनशिप ऐक्ट, 1955 के सेक्शन 14A में यह प्रावधान तय किए गए हैं कि केंद्र सरकार देश के हर नागरिक का अनिवार्य पंजीकरण कर राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है। इसे नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीयन और राष्ट्रीय पहचान) नियम 2003 के प्रावधानों आधार पर स्थानीय (ग्राम/कस्बा/तहसील) /उपजिला/जिला/राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है।
सरकार देश के हर नागरिक का रजिस्टर तैयार कर सकती है और इसके लिए नैशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी भी गठित की जा सकती है।
क्या होगी NPR की प्रक्रिया?
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवर को कहा कि यह कोई लंबा फॉर्म या प्रपत्र नहीं होगा। बल्कि एक मोबाइल एप होगी, जो स्व-घोषणा की सुविधा प्रदान करती है। किसी भी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। कोई प्रमाण आवश्यक नहीं है। किसी बायोमेट्रिक की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों ने इसके लिए पहले ही स्वीकृति दे दी है। जावड़ेकर ने कहा कि सभी राज्यों ने इसे पहले ही अधिसूचित भी कर दिया है।
आवश्यक जनसांख्यिकीय विवरण में आपका नाम और आपके माता-पिता का नाम और आपके पति या पत्नी का नाम, साथ ही साथ लिंग, जन्म तिथि, जन्म स्थान, राष्ट्रीयता (घोषित), स्थायी और वर्तमान पता (यदि कोई है तो), वहां रहने या निवास करने की अवधि, व्यवसाय और शैक्षणिक योग्यता जैसी बुनियादी जानकारी शामिल होगी।
कब शुरू हुई थी प्रक्रिया?
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में साल 2010 में एनपीआर बनाने के लिए पहल की गई थी। साल 2011 में हुई जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था। तब 2011 के लिए हुई जनगणना के साथ ही एनपीआर का डाटा इकट्ठा किया गया था, जिसे 2015 में घर घर जाकर अपडेट किया गया था। अपडेट आंकड़ों के डिजिटलीकरण का काम पूरा होने के बाद अब 2021 की जनगणना के साथ (असम को छोड़कर) सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एनपीआर को अपडेट किया जाएगा। अब फिर 2021 में जनगणना होनी है। ऐसे में एनपीआर पर भी काम शुरू हो रहा है।
किसे माना जाएगा सामान्य नागरिक?
एनपीआर के लिए नागरिक की जो परिभाषा तय की गई है, उसके मुताबिक जो व्यक्ति पिछले 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा हो या एक व्यक्ति जो वहां अगले 6 महीने या उससे ज्यादा निवास करने का इरादा रखता है, उसे नागरिक माना जाएगा।
क्या एनआरआई भी होंगे एनपीआर का हिस्सा?
एनआरआई भारत के आम नागरिक नहीं माने जाते और उनके बाहर रहने के चलते उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। यदि वह भारत आते हैं और यहां रहने लगते हैं तो उन्हें भी एनपीआर में शामिल किया जा सकता है।
नपीआर-एनसीआर- में अंतर
गौरतलब है कि एनपीआर और एनआरसी दोनों ही नागरिकों से जुड़े हैं लेकिन इनमें काफी अंतर है। एनआरसी के जरिए केवल देश में अवैध तौर पर रहने वाले लोगों की पहचान करना है, वहीं एनपीआर में एक ही जगह पर छह माह या उससे अधिक वक्त तक रहने वालों रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
तीन चरणों में पूरी होगी प्रक्रिया
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होगी। पहला चरण 1 अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर 2020 के बीच होगा, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। दूसरा चरण 9 फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। तीसरे चरण में 1 मार्च 2021 से 5 मार्च 2021 के बीच संशोधन की प्रक्रिया होगी।
एनपीआर और आधार के बीच क्या संबंध है?
एनपीआर भारत में रहने वाले लोगों का एक आम रजिस्टर है। इसके तहत जुटाए गए डेटा को यूआईडीएआई को री-ड्युप्लिकेशन और आधार नंबर जारी करने के लिए भेजा जाएगा। इस रजिस्टर में तीन मुख्य चीजें- डेमोग्राफिक डेटा, बॉयोमीट्रिक डेटा और आधार नंबर शामिल होंगे।