‘देश के ये जांबाज सर्दी, गर्मी और बारिश की परवाह किए बिना जान को हथेली पर रखकर अपनी ड्यूटी पर डटे रहते हैं। जब कोई संकट या मुश्किल आती है तो यह पुलिसकर्मी न धर्म पूछता है न जाति पूछता है, न ठंड देखता है न बारिश देखता है और आपकी मदद के लिए आकर खड़ा हो जाता है।’ ये शब्द हैं देश के प्रधानमंत्री मोदी के जो उन्होंने रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में कहे। इन शब्दों की गहराई को कौन नहीं समझता। 26/11 हमले के दौरान आतंकी अजमल कसाब को पकड़ने वाले तुकाराम ओम्बले हो या बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के होनहार इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा हो, दोनों ने ही आतंकियों को पकड़ने और देश की रक्षा के लिए एक पल के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। फिर भी नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में राजनेता हो या पत्रकार या हो देश के कुछ युवा सभी ने पुलिस पर हमला करने और उन्हें घेरने का एक मौका नहीं छोड़ा।
https://twitter.com/Uppolice/status/1208811150147604480
देश के कई राज्यों से नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध की आड़ में देश के रक्षकों पर हमले की कई खबरें न केवल सामने आयीं बल्कि कुछ वीडियो भी सामने आये। फिर भी देश के पुलिसकर्मियों ने अपने कर्तव्य का पालन करने में अपने कदम को पीछे नहीं खींचे। देश की पुलिस कई मौकों पर चाहे वो आतंकी हमला हो या दंगे या कोई आम घटना वो हमेशा आम जनता की रक्षा के लिए कुर्बानियां देती आई है परन्तु ये दुखद है कि वो अपने ऊपर हुए एक वार का जवाब दे तो पूरे देश में उन्हें खूब खरी खोटी सुनाने का काम शुरू हो जाता है। हद तो तब हो जाती है जब कुछ पत्रकार और राजनेता इस अवसर का सितेमल अपने हित और एजेंडे के लिए करते हैं। कुछ उदाहरण आप खुद देख लीजिये।
In a viral video from #Jamia we saw two young women save a male friend from police lathis by giving him cover. We also saw the same women standing atop a roof raising hands in another viral image. I meet Ladeeda Farzana & Ayesha Renna, sheroes of Jamia & Shaheen whom they saved pic.twitter.com/q8qfvIDMFT
— barkha dutt (@BDUTT) December 16, 2019
Top two pics from Bengal where Police is facing flak for 'inaction' in controlling protestors. Bottom pics from Delhi where Police is criticised for 'over action' against protestors. Many cops are injured in both the places.
Whoever wins, Police is sure to lose. Either way. pic.twitter.com/8dCKjuEt02
— Arun Bothra 🇮🇳 (@arunbothra) December 16, 2019
Police firing caught on camera during yesterday's violence over #CitizenshipAct in Kanpur, day after UP top cop’s claim of “no bullet fired”.#CAA #CAAProtests #CitizenshipLaw pic.twitter.com/6uiCpTEGqa
— NDTV (@ndtv) December 22, 2019
परन्तु कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने हिंसा और विरोध के पीछे की वास्तविकता को सभी के सामने रखा उसे भी जरा देखिये:
ये दिल्ली हैं
IPS ऑफिसर रोहित राजबीर और अन्य पुलिस वालों पर बड़े बड़े पत्थरों से हमला किया गया
उन्मादी भीड़ जान से मारने पर उतारू थी
रोहित जी घायल हैं पर चिंताजनक नहीं हैं
फिर भी कई बड़े बड़े पत्रकार इन चीजों से ध्यान हटाने के लिए हमको हिंसक बता रहे हैं pic.twitter.com/yc9pwd8hMB
— Kapil Mishra (Modi Ka Pariwar) (@KapilMishra_IND) December 22, 2019
ये दिल्ली के सीलमपुर का कल का वीडियो है जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया था। इस पत्थरबाज़ी में शहादरा के एडिशनल डीसीपी रोहित राजबीर सिंह भी घायल हुये थे। वीडियो में दिख रहा है पत्थरबाजों से बच कर भागने के दौरान रोहित नीचे गिर पड़ा था। pic.twitter.com/7kO7P97WIg
— Jitender Sharma (@capt_ivane) December 21, 2019
पुलिस पर बम फेक रहे थे लेकिन बम हाथ मे ही फट गया! ये कैसी साजिश? कौन बना रहा है ऐसे बम? लोकतंत्र में प्रदर्शन जायज़ है लेकिन इस तरह के प्रदर्शन को क्या कहे? क्या ऐसे लोग देश के लिए खतरा नहीं? #CAAProtest #CAASupport #CAA_NRC #NRC_CAA pic.twitter.com/9wnXca2Rnt
— Pinky Rajpurohit 🇮🇳 (@Madrassan_Pinky) December 19, 2019
प्रधानमंत्री मोदी ने पुलिसकर्मियों पर हुए हमले के मुद्दे को उठाकर न केवल एजेंडावादियों को आड़े हाथों लिया बल्कि उन लोगों को भी श्रम महसूस करने पर मजबूर कर दिया जिन्होंने कुछ अफवाहों में पड़कर देश के रक्षकों पर ही हमले किये। देश की सेना के साथ ये देश के पुलिसकर्मी ही हैं जो आंतरिक सुरक्षा के लिए अपनी जान को हथेली पर रख दिन-रात मुस्तैद रहती है। यही नहीं अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए देश की आजादी से लेकर अब तक हजारों पुलिस जवान बलिदान दे चुके हैं। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि “आजादी के बाद 33 हजार से ज्यादा पुलिसवालों ने, शांति के लिए, आपकी सुरक्षा के लिए शहादत दी है”।
देश में आतंकी हमला हो या साधारण अपराध या कानून व्यवस्था का बिगड़ने की स्थिति हो पुलिस हमेशा तत्पर रहती है और आम जनता किसी भी स्थिति में पुलिस की ओर बड़ी उम्मीदों से देखती है। शांतिपूर्ण वातावरण को उपलब्ध कराने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी पुलिस पर होती है। परन्तु ये शर्मनाक है कि कुछ लोग केवल विरोध के नाम पर इन्हीं के ऊपर हमले करने से पहले इनके बारे में एक बार भी नहीं सोचती। ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर पुलिस दबंगों के खिलाफ कार्रवाई करे तो वो क्रूरता कैसे और कुछ लोग उनपर विरोध के नाम पर पत्थर फेंके तो वो न्यायिक या उनका अधिकार कैसे?