झारखंड में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर लिबरल्स को अपने शब्दों के जाल में फंसा लिया है। बिना किसी समुदाय या पार्टी का नाम लिए पीएम मोदी ने कहा,
‘जो आगजनी कर रहे हैं वो टीवी पर देखे जा सकते हैं। उन्हें उनके कपड़ों से पहचाना जा सकता है’।
उन्होंने आगे कहा, ‘पूरा देश देख रहा है, संसद में विधेयक पारित होने के बाद लोगों का विश्वास मोदी में अटूट हो चुका है। विपक्ष की गतिविधियां इस बात की सूचक है कि नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद में पारित कराना 100 प्रतिशत सही रहा है’।
इस बयान से पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल में सीएए के विरोध के नाम पर हो रहे उपद्रव पर प्रकाश डाला है। सीएए के विरोध के नाम पर दंगाइयों ने मुर्शिदाबाद में एक पुलिस थाने पर हमला किया, और मुर्शिदाबाद के बेलडांगा स्टेशन को भी तहस नहस का दिया। दंगाइयों ने एम्बुलेंस तक को नहीं छोड़ा और उसपर पत्थरबाजी करने लगे। हावड़ा में कई जगह उपद्रवियों ने चलती ट्रेनों पर पत्थरबाजी की, जिसमें यात्री भी सवार थे।
इन उपद्रवियों को टीएमसी ने मानो खुली छूट दे दी है, क्योंकि राज्य में हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है। रविवार को खबर आई कि आरपीएफ़ के काफिलों पर हमला किया गया और सागरदिघी एवं रामनगर में लगभग 4 आरपीएफ़ वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। बेलडांगा में कुछ आरपीएफ जवान को उपद्रवियों ने पीटा भी, जिसके कारण उन्हे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
परंतु हिंसा की आग यहीं तक नहीं रुकी। सीएए के विरोध के नाम पर उमड़ी हिंसा मालदा को भी चपेट में ले चुकी है, जहां उपद्रवियों ने रविवार को भालुका रेलवे स्टेशन को भी आग के हवाले कर दिया। उन्होंने न केवल स्टेशन पर रेलवे ट्रैक पर अवरोध खड़ा किया, अपितु टिकट काउंटरों में भी आग लगाई। कुछ दिनों की हिंसा में उपद्रवियों ने 5 ट्रेन, 3 रेलवे स्टेशन, एक दर्जन बस और एक टोल प्लाज़ा को आग के हवाले कर दिया है। बंगाल में जो कुछ भी हो रहा है, उसे आतंकवाद से कम तो नहीं माना जा सकता।
यह महज संयोग तो नहीं हो सकता कि बंगाल में हिंसा प्रमुख रूप से मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में सबसे ज़्यादा है, जो भारत बांग्लादेश की सीमाओं पर स्थित है और दोनों ही बांग्लादेशियों की घुसपैठ के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि कौन पश्चिम बंगाल में हिंसा के लिए जिम्मेदार है, परंतु लेफ्ट लिबरल इस पर मौन व्रत धारण करे बैठे हैं।
शायद इन वामपंथियों को समझ में आ चुका था कि पश्चिम बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रही हिंसा उसे और सशक्त बना रही है। चूंकि यह हिंसा संसद में विधेयक के पारित होने के ठीक बाद हुई थी, इसलिए इस अधिनियम का महत्व सबको समझ में आने लगा। इसीलिए वामपंथी गैंग जानबूझकर पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा पर मौन रहा। जो भीड़ हिंसा को भारत के लिए हानिकारक मानते थे, वे सभी पश्चिम बंगाल में उपद्रव होने पर चुप्पी साधे बैठे हैं।
परंतु पीएम मोदी ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं तभी तो जैसे ही उन्होने ‘कपड़ों’ वाला बयान दिया, लिबरल्स मानो खुद ही उनके द्वारा खोदे गए गड्ढे में कूदने के लिए उमड़ पड़े। द वायर की स्टार रिपोर्टर आरफा खानुम शेरवानी और सबा नक़वी तो पूछने लगीं कि किन कपड़ों की बात हमारे प्रधानमंत्री कर रहे हैं?” इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये लोग पीएम मोदी पर वैमनस्य फैलाने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि पीएम मोदी तो महज सत्य बोल रहे थे।
द वायर के संस्थापक एवं संपादक एमके वेणु ने ट्वीट किया, “किसी और प्रधानमंत्री ने इस तरह का भड़काऊ बयान कभी नहीं दिया होगा। मोदी जी पुलिस हेडक्वार्टर्स पर जमा हुए विद्यार्थियों की संख्या देखिये, उनके कपड़े कोई इशारा नहीं करते”। सीताराम येचुरी और शहला राशिद जैसे लोग पश्चिम बंगाल की हिंसा पर मानो आँखें मूँदे बैठे थे और इसके लिए भी पीएम मोदी और पुलिस को दोषी ठहरा रहे थे।
“Those who are creating violence can be identified by their clothes itself.”
Who are these mysterious people that the Prime Minister is referring to ? Who are these people who can be identified by their clothes ? https://t.co/lrrlfJHG9X— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) December 15, 2019
No other Prime Minister would have made such an incendiary, dog whistle statement. Modi ji just see the students gathered at police headquarters and their clothes don’t indicate anything. https://t.co/S45ImqfT9O
— M K Venu (@mkvenu1) December 15, 2019
https://twitter.com/Shehla_Rashid/status/1206216865543929856
What clothes is our PM referring to…the PM of all Indians.. https://t.co/7rONbHglCj
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) December 15, 2019
What were the 'clothes' protestors in Assam who were shot dead were wearing, Mr PM? Modi has a long past record of using communal dog-whistles to attack genuine political movements. This one is no different, but it amply clarifies the real intentions of this govt. pic.twitter.com/EO22qjzQZ6
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) December 15, 2019
‘By their clothes itself’. https://t.co/h5feDDFoou
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) December 15, 2019
सत्य तो यही है कि यह पीएम मोदी नहीं थे जिनहोने पश्चिम बंगाल में हिंसा भड़काई हो। ये वामपंथी ही थे जिनहोने नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में निरंतर भ्रामक खबरें फैलाकर सांप्रदायिक हिंसा बढ़ावा दिया। जब उनके कारण बंगाल में हिंसा ने विकराल रूप धारण कर लिया, तब वे मौन व्रत धारण कर बैठे। परंतु जैसे ही पीएम मोदी ने इनकी कलई खोली, लिबरल्स के पैरों तले ज़मीन ही खिसक गयी। उन्होने बिना सोचे समझे पीएम मोदी पर हमला बोल दिया, और उन्हें यह भी नहीं पता था कि वे उसी पश्चिम बंगाल की हिंसा का हिस्सा बन गए, जिससे वे अभी तक भागने का प्रयास कर रहे थे। उन्हे अब न केवल घुसपैठियों का बचाव करना होगा, अपितु उन्हे बंगाल में हो रही हिंसा को भी अपने शैली के अनुसार उचित ठहराना पड़ेगा। सच कहें तो पीएम मोदी ने लिबरल्स के लिए अपने बयान से एक गहरा गड्ढा खोदा, जिसमें लिबरल्स बिना किसी हिचकिचाहट के कूद पड़े।