ट्रू इंडोलॉजी ने बड़े प्रेम से वामपंथी इतिहासकार देवदत्त पटनायक की धज्जियां उड़ाई

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बात अगर काल्पनिक इतिहास रचने की हो, तो काफी समय तक रोमिला थापर, इरफान हबीब, बिपिन चन्द्रा जैसे लोगों का हमारे देश में बोलबाला हुआ करता था। आजकल इस क्षेत्र में देवदत्त पटनायक जैसे लोगों की बहार रहती है। देवदत्त पटनायक काल्पनिक इतिहास ही नहीं रचते हैं, बल्कि शास्त्रों को भी अपने एजेंडे अनुसार अनुवादित करते रहते हैं।

यूं तो देवदत्त पटनायक किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, परंतु महाशय अपने आप को वेदों और धर्म शास्त्रों के प्रकांड पंडित मानते हैं। एपिक टीवी चैनल पर ये ‘देवलोक विद देवदत्त पटनायक’ के नाम से शो भी चलाते हैं। लेकिन हर बार पटनायक के गलत तर्कों पर लोग क्लास लगा देते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। दरअसल, संजीव भट्ट ने मई 2018 में जीटी रोड पर एक ट्वीट किया था जिसकी बखिया उधेड़ते हुए ट्रू इंडोलॉजी नाम के एक ट्विटर हैंडल ने कई ट्वीट्स किए। इसमें ट्रू इंडोलॉजी ने जीटी रोड की इतिहास के बारे में कई बातें कहीं।

ट्रू इंडोलॉजी लिखता है, “यदि शेर शाह सूरी ने ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण किया था, तो मेगास्थनीज ने हिंदूकुश को बंगाल से जोड़ने वाली एक 1800 किलोमीटर लंबे ग्रैंड ट्रंक रोड का उल्लेख शेर शाह सूरी से 1800 वर्ष पहले कैसे किया?”

जिन्हें नहीं पता हो, तो बता दें कि ट्रू इंडोलॉजी एक विश्लेषण पर आधारित ट्विटर हैंडल है, जो भारतीय इतिहास की वास्तविकता को समय-समय पर जनता से साझा करती रहती है। इसे कई बार वास्तविक इतिहास साझा करने के लिए लेफ्ट लिब्रल्स द्वारा धमकाया और ट्विटर से सस्पेंड भी किया जा चुका है, पर अभी तक ट्रू इंडोलॉजी अपने विचारों से टस से मस नहीं हुई है।

परंतु ट्रू इंडोलॉजी यहीं पर नहीं रुकी। उन्होंने आगे ये भी ट्वीट किया, “हमें धन्य होना होगा यूनानियों का, जिन्होंने प्राचीन भारत का अपने इतिहास में उल्लेख किया। वरना ग्रैंड ट्रंक रोड का पूरा श्रेय शेर शाह सूरी या किसी अन्य अफगान शासक को चला जाता। ग्रैंड ट्रंक रोड का सबसे पहला आधिकारिक उल्लेख मेगास्थीनीज़ की ‘इंडिका’ में किया गया है।

ट्रू इंडोलॉजी के इस ट्वीट से मानो देवदत्त पटनायक को सबसे गहरा आघात पहुंचा। इसीलिए उन्होंने तुरंत एक व्यंग्यात्मक ट्वीट करते हुए कहा, “कुछ लोग यूनानियों को ग्रैंड ट्रंक रोड का उल्लेख करने का श्रेय क्यों देते हैं? इसका सर्वप्रथम उल्लेख ऋगवेद और शतपथ ब्राह्मण के उल्लेख में पाया गया है, जब उन्होंने विदेह माधव के अग्नि से होते हुए सप्त सिंधु से कुरु पांचाल की यात्रा की थी। अपने आप से घृणा करने वाले कुछ हिन्दू वेदों के यूनानी उल्लेख को ज़्यादा प्राथमिकता देते हैं”।

https://twitter.com/devduttmyth/status/1203471803408093184

पर शायद देवदत्त बाबू को इस बात का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था कि ट्रू इंडोलॉजी आखिर किस चिड़िया का नाम है। मानो इसी अवसर की प्रतीक्षा करते हुए ट्रू इंडोलॉजी देवदत्त पर टूट पड़े और प्रत्युत्तर में ट्वीट किया, “हैलो गोलू, आप सभी मायनों में गलत है –

इसके अलावा ट्रू इंडोलॉजी ने ये भी बताया कि कैसे ऋग्वेद में कुरुश्रवन को छोड़ कुरु शब्द का कहीं उल्लेख नहीं किया गया है। ट्वीट में आगे कहा गया है, “पांचाल का भी ऋग्वेद में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। शतपथ ब्राह्मण भी जीटीआर का कोई उल्लेख नहीं करते। पता नहीं गोलू हर बार इतना गलत कैसे हो जाता है”।

यह पहली बार नहीं है जब देवदत्त पटनायक की इस तरह से धज्जियां उड़ाई गई हों। राफेल के शस्त्र पूजन पर देवदत्त ने कहा था, गाय पवित्र है। गौमूत्र से शुद्धि मिलती है, परंतु लिम्बू मिर्ची से काम नहीं चलता। इसकी खुशबू से रक्षा नहीं होती। लगता है हिन्दुत्व के संसार में प्रचार-प्रसार की बड़ी तगड़ी प्रतियोगिता चल रही है। गो लक्ष्मी बनाम कड़क लक्ष्मी, नहीं? पर अब अर्थशास्त्री पूछते हैं, धन लक्ष्मी कहाँ हैं? क्या वो आ रही है, जा रही है या सो रही है?”

इस पर जब एक ट्विटर यूजर ने इस ट्वीट के उत्तर में एक यूजर मीषा पाटिल ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा, “अच्छा तो स्वघोषित शास्त्री [लेखक] अब एक पेड ट्रोल की तरह व्यवहार कर रहे हैं। हाँ श्रीमान, जब आपके पेड ट्वीट हम पढ़ते हैं तो हम भी पूछते हैं की यमराज कहाँ हैं?” तो इसपर देवदत्त भड़क गए और उन्होने ट्वीट किया, “चुप चुड़ैल, जलती क्यों है? लिम्बू मिर्ची बंद हुआ क्या?” नित्यानन्द मिश्रा नामक विद्वान ने जब इनका कच्चा चिट्ठा सबके सामने खोला, तो भी देवदत्त बाबू खिसियानी बिल्ली की तरह ब्राह्मण समुदाय का अपमान करने में जुट गए। ट्रू इंडोलॉजी ने एक बार फिर अपने ट्वीट थ्रेड से सिद्ध कर दिया कि गधे को कितना भी पीट लो, वो घोड़ा नहीं बन जाएगा।

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