प्रोपगैंडा फैलाने में सबसे आगे रहने वाले देवदत्त पटनायक एक आदर्श विद्यार्थी की भांति ही समय पर उठते हैं, नाश्ते में ब्रेड ऑमलेट की भांति मैक्स मूलर के शास्त्र खाते हैं, और दूध हॉर्लिक्स की तरह ही सनातन धर्म पर वेंडी डोनिगर का प्रोपगैंडा घोलकर पीते हैं और फिर निकल पड़ते हैं अपना फ़्रौड दुनिया भर में फैलाने। सनातन धर्म पर झूठ बोलना उनके लिए अत्यंत आवश्यक है, और प्रोपगैंडा उनके लिए ऑक्सिजन समान है।
पर आजकल लगता है मानो देवदत्त पटनायक अपनी सुध-बुध गंवा बैठे हैं। हाल ही में एक यूजर के जवाब में उन्होंने अपनी सहिष्णुता दिखाई और इसके बाद से मानो उनके ऊपर अपने आप को एक्स्पोज़ करने का भूत सवार हो गया। ये हम यूं ही नहीं कह रहे बल्कि जिस तरह से उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट पोस्ट किए हैं और यूजर्स को रिप्लाई दिए हैं उससे उनका पाखंडी स्वभाव खुलकर सबके सामने आया है। यकीन न हो तो इन ट्वीटस को ही देख लीजिये:
आपको ज्ञान से दस्त होता है ना ? 🤣🤣🤣
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) October 11, 2019
हेलो मूर्ख महिला : तुम ऐसी बातों के दूर रहो . टिक टोक खेलो नहीं तो और बदसूरत बनोगी . मेरा विनम्र सजेस्चन है 🙏🏽
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) October 12, 2019
चुप पश्चहत्य पाखंडी
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) October 12, 2019
हेलो मूर्ख महिला : तुम ऐसी बातों के दूर रहो . टिक टोक खेलो नहीं तो और बदसूरत बनोगी . मेरा विनम्र सजेस्चन है 🙏🏽
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) October 12, 2019
इन ट्वीटस को देखकर तो यही लगता है कि देवदत्त पटनायक अपने होश में नहीं हैं, उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है।
अपने आप को हिन्दू शास्त्रों का ज्ञाता मानने वाले देवदत्त पटनायक ने हाल ही में राफेल की शस्त्र पूजा और भारत के आर्थिक स्थिति को लेकर बेहद आपत्तीजनक ट्वीट शेयर किया। इस ट्वीट में वे कहते हैं, “गाय पवित्र है। गौमूत्र से शुद्धि मिलती है, परंतु लिम्बू मिर्ची से काम नहीं चलता। इसकी खुशबू से रक्षा नहीं होती। लगता है हिन्दुत्व के संसार में प्रचार प्रसार की बड़ी तगड़ी प्रतियोगिता चल रही है। गो लक्ष्मी बनाम कड़क लक्ष्मी, नहीं? पर अब अर्थशास्त्री पूछते हैं, धन लक्ष्मी कहाँ हैं? क्या वो आ रही है, जा रही है या सो रही है?”
Cows are sacred. It's urine purifies.
Limbu-mirchi is not. Its smell does not protect.
Sound like fierce advertising competition in Hindutva world.
Go-Lakshmi versus Kadak-Lakshmi.
But where is Dhana-Lakshmi, ask economists?
Is she coming, going or asleep? pic.twitter.com/iPbgOsRXC7— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) October 10, 2019
इस ट्वीट के उत्तर में एक यूजर मीषा पाटिल ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा, “ अच्छा तो स्वघोषित शास्त्री [लेखक] अब एक पेड ट्रोल की तरह व्यवहार कर रहे हैं। हाँ श्रीमान, जब आपके पेड ट्वीट हम पढ़ते हैं तो हम भी पूछते हैं की यमराज कहाँ हैं?”
Oh the so called self proclaimed author seems more like paid troll these days. Yes Mr when we read your paid tweets we also tend to ask where is yamraj
— Misha patil (@misha_patil) October 10, 2019
इसपर देवदत्त पटनायक अपना आपा खो बैठे और उन्होंने तुरंत पोस्ट किया, “चुप चुड़ैल, जलती क्यों है? लिम्बू मिर्ची बंद हुआ क्या?”
इस पोस्ट से देवदत्त पटनायक ने अपना स्वभाव पूरी तरह से सबके समक्ष उजागर किया है। कहने को वे सनातन शास्त्रों के ज्ञाता है, लेकिन वे वास्तव में एक ऐसे पाखंडी है जो ज़रा सी चुनौती मिलने पर ही वे बिलबिला उठते हैं।
हालांकि, ये देवदत्त का कोई पहला ट्वीट नहीं है, जिसने उनका पाखंडी स्वभाव उजागर किया हो। पिछले कुछ दिनों से देवदत्त पटनायक ऐसे ट्वीट पोस्ट कर रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य एक है – सनातन धर्म के अनुयायियों को अपमानित करना और उन्हें भड़काना। जब एक सोशल मीडिया यूजर ने देवदत्त के पाखंडी अनुसंधान की आलोचना की, तो देवदत्त ने एक ऐसा ट्वीट पोस्ट किया, जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए, कम है –
This is how cocky stupidity spreads. It’s like looking at a prepubescent child’s photo and concluding “It PROVES he never ever had a moustache in his life.“ Harappa civilisation waned 4000 years ago and Aryan migration waves started only 3500 years ago. India is mixed not ‘pure’. https://t.co/QdMlLtHj4i
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) September 6, 2019
You love tearing . So much suppressed violence. abused as a child ?
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) September 6, 2019
यह तो कुछ भी नहीं है। अभी एक ट्वीट पर जब एक यूजर ने देवदत्त के वैश्विक इतिहास पर दिये गए विचारों को अटपटा बताया।
Go to sleep stupid boy and apologise to your mother for your birth
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) July 2, 2019
इसपर देवदत्त का कहना था, “मूर्ख लड़के। जा कर सो जाओ और पैदा होने के लिए अपनी माँ से माफी मांग लो”। शायद इसी अड़ियल और आपत्तीजनक स्वभाव के लिए ये बुद्धिजीवियों में बड़े लोकप्रिय भी हैं, जो इनकी आलोचना पर इनके बचाव के लिए सामने आ जाते हैं, विश्वास नहीं होता तो यह देख लीजिये –
Their is no religion in the world that is fair to women and treats them at par with the men . It is beyond my understanding why educated and informed women follow such set of beliefs which are actually biased against them .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) November 11, 2018
Women not allowed into Hindu temple – Hindus are misogynistic, patriarchal 😈
Nuns not allowed to hear confessions in Church – respect the religion. 😜
Women not allowed to lead prayer in mosque – kindly respect the religion. 😜
BTW , if you retweet this you become ‘Sanghi’ 🤣— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) August 24, 2018
देवदत्त ने अपने इस ट्वीट में देवदत्त ने सनातन धर्म के बारे में कई भ्रामक तथ्य लिखे। जब एक ट्विटर यूजर ने इन्हे इस बात के लिए आड़े हाथों लिया, तो गीतकार एवं अपने वामपंथी विचारों के लिए आलोचना के केंद्र में रहने वाले लेखक जावेद अख्तर ने देवदत्त के बचाव में ट्वीट पोस्ट किये –
Their is no religion in the world that is fair to women and treats them at par with the men . It is beyond my understanding why educated and informed women follow such set of beliefs which are actually biased against them .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) November 11, 2018
अपने इस ट्वीट् के जरिये जावेद अख्तर ने देवदत्त के बयानों का न केवल समर्थन किया, अपितु अपनी बात को मनवाने के लिए एक बेतुका बयान भी दिया। इससे पहले भी देवदत्त ने इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का बेहद घटिया प्रयास किया था, जब उन्होंने रोमिला थापर के एक विवादास्पद बयान का बचाव करते हुए यह ट्वीट पोस्ट किया –
She is referring to Yudhisthira as a ‘character in an epic’ composed 2000 years ago who is traumatised by war. With a historical figure Ashoka who ‘wrote edicts’ 2300 years ago proclaiming his remorse. Chill https://t.co/weVkbEq4mT
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) September 21, 2019
इस ट्वीट में देवदत्त लिखते हैं, “ वे युधिष्ठिर के बारे में बात कर रही हैं, जो 2000 वर्ष पहले लिखे गए एक ‘महाकाव्य के चरित्र’ हैं और जो युद्ध से पूरी तरह टूट चुका था। उसकी तुलना अशोक जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व से की गयी है, जो 2300 वर्ष पहले युद्ध की भयावहता को देख काफी लज्जित हुये थे, chill”।
इतना ही नहीं, देवदत्त पौराणिकता के नाम पर सनातन शास्त्रों का अपमान करते ज़्यादा दिखे हैं। शास्त्र तो छोड़िए, उन्होंने तो अपने विषैले प्रोपगैंडा को फैलाने में वास्तविक इतिहास तक को नहीं छोड़ा। पद्मावत के विवाद पर जब इनके प्रोपगैंडा का कुछ यूज़र्स ने विरोध किया, तो उन्होंने सनातन संस्कृति के बारे में कुछ पोस्ट किया –
Some women believe death is better than rape. Really?
Surviving and thriving despite violent monsters is not an option? Really?
This is how we support patriarchy. https://t.co/ZU9kQsedmq— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) November 17, 2017
They say you are a marital rapist 😱 true?
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) November 17, 2017
देवदत्त पटनायक कितने सहिष्णु और संयमित है, इस बात का पता तब चला जब नित्यानन्द मिश्रा नाम के एक व्यक्ति ने उनके पुस्तकों और लेखों में कमियाँ गिनाई, तो देवदत्त ने ट्विट्टर पर रोना धोना मचा दिया, और पूरे ब्राह्मण समुदाय का भद्दा मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया।
सच पूछें तो देवदत्त पटनायक ने अपने सीमित संस्कृत ज्ञान को सॉफ्टवेयर द्वारा किए गए अनुवाद के साथ मिलाकर एक अधपकी खिचड़ी तैयार की है। इस तरह से वे अपने स्वयं के बनाए जाल मे फंसते ही जा रहे हैं। अपनी लेखनी में देवदत्त पटनायक बौद्ध धर्म को वैराग्य, मठवास, नारिवादिता, अहिंसा और जाति विरोध जैसे लोकप्रिय विचारों का जनक बताते हैं, जो की असत्य है। जिस तरह से उन्होंने हाल ही में अपनी आलोचना करने वालों को जवाब दिया है, उससे यह स्पष्ट पता चलता है कि देवदत्त पटनायक की मानसिक हालत ठीक नहीं है, और उन्हें अब दवा की नहीं, दुआ की ज़रूरत है।