डेटा और तथ्यों के साथ अमित शाह ने CAB पर दिया विपक्ष को धोबी पछाड़!

मजा आगया!

अमित शाह

नागरिकता संशोधन विधेयक के लोकसभा में पेश होने के दौरान सदन ने अमित शाह का वो रूप दिखा, जिसके लिए कोई भी तैयार नहीं था। अमित शाह ने न केवल अपना बेबाक रूप दिखाते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक का पुरजोर समर्थन किया, अपितु विपक्ष, विशेषकर काँग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उसकी हिपोक्रिसी के लिए भी उसे जमकर लताड़ा। यही नहीं जब इस दौरान सपा के प्रमुख अखिलेश यादव ने कुछ कहा तो अमित शाह ने जवाब दिया कि, ‘अखिलेश जी जल्दी समझ में नहीं आएगा’।

नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा में आज पेश किया गया। कुछ विपक्षी पार्टियां, खासकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और एआईएमआईएम इस बिल की धुर विरोधी हैं। AIMIM  अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तो सदन में बिल के पेश होने के दौरान भाजपा को न केवल अमित शाह ने मुखर रूप से विरोधियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘जब इन्दिरा गांधी आर्टिकल 14 का आह्वान करते हुए बांग्लादेशियों को शरण दे सकती है, तो हम क्यों न वहां के अल्पसंख्यकों को शरण दे?”

इसके पश्चात अमित शाह ने समझाया कि कैसे नागरिकता संशोधन विधेयक किसी भी स्थिति में संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता। इसके लिए उन्होने पूर्ववर्ती सरकारों के निर्णयों का उदाहरण भी दिया, और कहा, ‘मैं पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये बिल संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है। सभी ने अनुच्छेद 14 का उल्लेख किया। ये अनुच्छेद कानून बनाने से रोक नहीं सकता। पहली बार नागरिकता पर फैसला नहीं हो रहा है। 1971 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा था कि बांग्लादेश से आए लोगों को नागरिकता दी जाएगी। कांग्रेस शासन में युगांडा से आए लोगों को नागरिकता दी गई”।

परंतु जब विपक्ष मुस्लिम समुदाय को बाहर रखने के प्रावधान पर विरोध में अड़ी रही, तो अमित शाह भड़क गए और उन्होंने प्रमुख रूप से कांग्रेस को आईना दिखाते हुए कहा, “हमें इस बिल की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? स्वतंत्रता के बाद यदि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन न किया होता, तो हमें इस बिल की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। काँग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन किया!”

इसके अलावा जब अधीर रंजन चौधरी ने अमित शाह को घेरने का प्रयास किया, तो अमित शाह अधिक आक्रामक होते हुए बोले, ‘ये बिल देश के अल्पसंख्यकों के .001 फीसदी खिलाफ भी नहीं है। वॉकआउट मत करना। मैं इस बिल पर हर सवाल का जवाब देने को तैयार हूं। इस बिल में कहीं भी मुसलमान नहीं लिखा हुआ है। मेरे बयान के बाद विपक्ष को भी बोलने का मौका मिलेगा। सभी मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। तथ्यों को तोड़ मरोड़कर सदन को गुमराह न करें’।

परंतु जब अधीर रंजन चौधरी वहां पर भी नहीं रुके, तो अमित शाह ने कांग्रेस की पोल खोलते हुए कहा, ‘सरकार को पांच साल के लिए चुना है, हमें सुनना पड़ेगा’। उन्होंने कहा, “भारत से सटे तीन देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान का प्रमुख धर्म इस्लाम है। अफगानिस्तान का संविधान कहता है कि यहां का धर्म इस्लाम है, संविधान के मुताबिक, पाकिस्तान राज्य का धर्म भी इस्लाम है। पाकिस्तान, बांग्लादेश में मुसलमान पर अत्याचार होगा? ये कभी नहीं होगा। तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की धार्मिक प्रताड़ना होती है। कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन किया। विभाजन नहीं हुआ होता तो इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती। कांग्रेस ने हमें मजबूर किया”।

सच कहें तो वर्षों बाद देश को अमित शाह जैसे आक्रामक गृह मंत्री मिले हैं। उन्होंने जिस तरह से बिना किसी हिचकिचाहट के तीन तलाक संशोधन बिल, यूएपीए बिल, अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार को हटाने वाला बिल और अब नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपने विचार रखे हैं, वो सिद्ध करता है कि वे देश को हर संकट से दूर रखने के लिए कितने प्रतिबद्ध है।

 

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