उन्नाव केस: पोस्टमार्टम रिपोर्ट, वकील के साथ चैट से साफ पता चलता है कि मामला बड़ा पेचीदा है

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PC: BBC

उन्नाव उन्नाव उन्नाव !!! उनाव रेप कैपिटल यूपी, बालात्कारियों का जिला, न जाने कितने उप नाम दिए गए उत्तर प्रदेश स्थित उन्नाव को। मामला था एक युवती का रेप के बाद उसे आग से जला देने की। लेकिन क्या किसी ने भी दूसरे पक्ष की बात सुनने की जहमत उठाई? या फिर यह जानने की कोशिश की कि पीड़ित लड़की का आरोपित व्यक्तियों के साथ संबंध क्या थे? नहीं न? यही मीडिया से भूल हो गई और अब कुछ ऐसे खुलासे आ रहे हैं जिससे पीड़िता और पीड़िता के परिजनों पर ही कुछ सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।

पहले बात करते है आरोप क्या था?

शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दिया था, जिसमें उसने कहा था कि दोनों आरोपियों- शिवम और शुभम त्रिवेदी ने दिसंबर 2018 में उसका अपहरण किया था और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया।

उक्त लड़की ने इस साल मार्च में इन दोनों आरोपियों के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज कराई। रिपोर्ट्स के अनुसार, महिला ने इस साल दो प्राथमिकी दर्ज कराई थी। शिवम और शुभम के खिलाफ 5 मार्च, 2019 को बिहार बाह्टा पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 376 डी (सामूहिक बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत पहला मामला दर्ज किया गया था। दूसरा 6 मार्च को लालगंज में शिवम के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। शिवम को 19 सितंबर 2019 को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने शुभम को फरार घोषित किया था। शिवम को 25 नवंबर, 2019 को जमानत पर रिहा किया गया था।

जमानत के लिए, शिवम के वकील ने अदालत में यह बताया था कि इस जोड़े ने शादी किया लेकिन “जब शिवम के माता-पिता द्वारा इनके संबंध को स्वीकार नहीं किया गया था, तो महिला ने प्राथमिकी दर्ज कराई”। इसके बाद रिपोर्ट्स के अनुसार जेल में बंद शुभम त्रिवेदी को इस साल 30 नवंबर को जमानत पर रिहा कर दिया गया था। लड़की ने यह भी आरोप लगाया था कि रिहा होने के बाद, शुभम त्रिवेदी ने उसका लगातार पीछा किया और उसे धमकी देता रहा।

प्रारंभिक रिपोर्ट्स से यह भी पता चलता है कि पीड़िता रायबरेली कोर्ट में जा रही थी जब बलात्कार के आरोपी सहित पांच पुरुषों द्वारा उसका अपहरण कर उसे जला दिया गया था, इन्हीं पाचों आरोपियों के नाम मजिस्ट्रेट के सामने महिला ने अपने बयान में बताया था।

सच क्या था

अब यह बात सामने आ रही है कि उन्नाव बलात्कार-हत्या मामले में मुख्य आरोपी  शिवम त्रिवेदी ने पीड़िता के साथ शादी के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और फिर दिसंबर 2018 में इस शादी को तोड़ दिया था।

शादी के अनुबंध में लिखा है, हम यह घोषणा करते हैं कि हमने 15 जनवरी, 2018 को मंदिर में हिंदू परंपरा के अनुसार अपनी मर्जी से शादी कर ली है। हम दोनों एक साथ पति-पत्नी के तौर पर रह रहे हैं। हम इस अनुबंध पर हस्ताक्षर इसलिए कर रहे हैं, ताकि हमें किसी तरह की कानूनी परेशानी का सामना न करना पड़े।”

यानि शादी जनवरी 2018 में ही हुई और पीड़िता ने मार्च 2019 में यह आरोप लगाया कि दिसंबर 2018 में उसका रेप किया गया। यह स्पष्ट तौर पर पेचीदा मामला नज़र आ रहा है जिस पर पूरे देश में उत्तर प्रदेश को बदनाम किया गया।

यह तो पहली ब्रेकिंग थी। इसके बाद और भी खुलासे होते गए। रिपोर्ट्स के अनुसार पीड़िता ने पुलिस को अपने आखिरी बयान में यह बताया था कि उसे आरोपियों ने मारा-पीटा और चाकू भी घोपा। उसने यह भी बताया कि वह रायबरेली के लिए एक ट्रेन पकड़ने के लिए बैसवारा रेलवे स्टेशन जा रही थी, पांच शख्स – हरिशंकर त्रिवेदी, राम किशोर त्रिवेदी, शुभम त्रिवेदी, शिवम त्रिवेदी और उमेश बाजपेयी – पहले से ही उसका इंतज़ार कर रहे थे। उन्होंने उसे घेर लिया, उसके सिर पर रॉड से वार किया और गर्दन में चाकू घोंप दिया। फिर उन्होंने उस पर पेट्रोल डाला और उसे आग लगा दी। उसकी चीख के कारण भीड़ जमा हो गई और उनमें से एक ने बिहार पुलिस स्टेशन को फोन किया।

लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट्स कुछ और ही कहानी बयान करते हैं। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार गांव वालों ने बताया कि जलने के बाद भी पीड़िता घटनास्थल से एक किलोमीटर तक पैदल चलकर आई। इसके बाद उसने घर के बाहर काम कर रहे एक व्यक्ति से मदद मांगी। पीड़िता ने खुद ही 112 पर फोन किया और पुलिस से आपबीती बताई। इसका मतलब स्पष्ट है कि पीड़िता ने झूठ बोला था। इस मामले का सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं है।

स्वराज्य की स्वाति गोयल शर्मा ने भी इसी तरह का रिपोर्ट किया है कि उसके चीखने से कोई आया नहीं था बल्कि वह खुद लोगों के पास गयी थी। पीड़िता ने एक और झूठा बयान दिया कि उसके सिर पर रॉड से वार किया और गर्दन में चाकू घोंप दिया गया लेकिन यह भी बात सवालों के घेरे में है और पोस्टमार्टम में यह कहीं से भी किसी प्रकार के वार की रिपोर्ट नहीं है।

द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता के भाई ने बताया पिछले कई दिनों से लगातार प्रधान के परिवार की ओर से केस वापस लेने की धमकी मिल रही थी। अब मौका देखकर उनकी बहन को जला दिया गया। वहीं आरोपी के परिवार ने पीड़िता पर सवाल उठाते हुए कहा कि दोनों आरोपी सुबह घर पर मौजूद थे। अगर जलाने में शामिल होते तो घर क्यों आते, वहीं से भाग जाते। इतनी सुबह पीड़िता अकेले ट्रेन पकड़ने क्यों जा रही थी, क्यों कोई उसके परिवार का साथ नहीं था।

स्वराज्य की रिपोर्ट के अनुसार सावित्री यानि शुभम की मां ने बताया कि उस लड़की ने 12 दिसंबर [2018] को शुभम के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया, लेकिन हमारे पास यह साबित करने के लिए सुबूत हैं कि वह उस दिन एक स्थानीय अस्पताल में हाइड्रोसील का ऑपरेशन करा रहा था।

इसके अलावा Breaking Tube के अनुसार पीड़िता और उसके वकील की एक आपत्तिजनक चैट वायरल हुई है जिसमें पीड़िता और वकील के बीच हुई अंतरंग चैट में वकील आरोपितों से समझौते के लिए कह रहा है। इसके एवज में दो लाख रुपये दिलाने की भी बात कही गई है। वकील चैट मैसेज में पीड़िता को इस पैसे से सुखद जिंदगी बिताने की बात कह रहा है। दरअसल, वकील महेश सिंह राठौर ही पीड़िता का वकील था और इसी ने पूरे मामले की पैरवी की थी। अब ऐसे में कयास लगाए लगाए जा रहे हैं पीड़िता के पीछे वकील ही साजिश रच रहा था।

Breaking Tube के अनुसार आरोपी शुभम त्रिवेदी की बहन ने बताया कि शिवम पीड़िता से शादी करने को तैयार था, लेकिन वकील महेश राठौर के साथ उस पीड़ित लड़की का अफेयर चल रहा था जिसके बाद वह शादी से इंकार कर दिया। बहन के मुताबिक शिवम को कहीं से पता चला कि पीड़िता का वकील के साथ संबंध है तो उसने लड़की की फेसबुक आईडी खोली और सभी चैट्स पढ़ लिए। बहन ने बताया कि शिवम ने ही लड़की की फेसबुक आइडी बनाई थी, इसीलिए उसे पासवर्ड पता था। शिवम ने जैसे ही शादी से इंकार किया, लड़की ने शिवम और उसके भाई शुभम पर गैंगरेप का झूठा केस दर्ज करा दिया।

स्वराज्य में भी यही रिपोर्ट सामने आई है। सवाल सभी मोड पर दिख रहा है। पीड़िता के बयान झूठे हैं, रेप पर भी सवालिया निशान है, पीड़िता ने तो गैंग रेप का आरोप लगा दिया था। अगर दूसरे पक्ष की बात मानें तो वकील और पीड़िता ने मिलकर यह साजिश रचा।

मामले इतना पेचीदा होने के बावजूद लखनऊ के कमिश्‍नर मुकेश मेश्राम ने ऐलान किया है कि पीड़िता की बहन को नौकरी दी जाएगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत परिवार को दो घर दिया जाएगा। इससे पहले राज्‍य सरकार की ओर से पीड़िता के परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया गया था। अगर यह मानवीय तरीके से देखा जाए तो ठीक है लेकिन एक रेप विक्टिम के तौर पर दिया जा रहा है तो गलत होगा क्योंकि मामला अभी जांच के दायरे में है।

अब यह तो स्पष्ट तौर पर एक ऐसा मामला बन गया है जहां गलती दोनों तरफ की है। यह कहानी प्यार, धोखे और फिर झूठे आरोप की है जिसमें मीडिया ने एक पक्ष को बिना सुने ही दूसरे पक्ष को सही मान लिया। सरकार ने भी यही गलती की और दबाव में आकर एक पक्ष की बात सुनी और बिना जांच किए ही मुआवजे का ऐलान कर दिया।

अभी तो इस मामले की कलई खुलनी शुरू हुई है, अब देखना यह है कि आगे क्या-क्या खुलासे सामने आते हैं। इस मामले की जांच बेहद गहन तरीके से करना चाहिए ताकि दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष को अन्याय का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही जो भी दोषी हो उस पर सरकार कड़ी कार्रवाई करे।

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