लगता है फीस वृद्धि को लेकर जेएनयू के वामपंथी ब्रिगेड की कुंठा गयी नहीं है। अभी हाल ही में जेएनयू के छात्रों ने राष्ट्रपति भवन की ओर कूच करने का ऐलान किया। इसके विरुद्ध जब जेएनयू के दक्षिणपंथी शिक्षक यूनियन JNUTF ने विरोध किया, और स्थिति को सामान्य करने की मांग की, तो वहाँ के वामपंथी छात्रों ने न केवल उपद्रव मचाया, बल्कि JNUTF (Jawaharlal Nehru University (JNU), the JNU Teachers Federation) के सदस्यों के साथ बदसलूकी और गली गलौज भी की।
Right-leaning JNU teachers’ body, JNUTF, was allegedly attacked by left-oriented students during former’s sit-in on campus demanding restoration of normalcy. "We were attacked, abused & roughed up. Shall lodge complaint against hooligans," Sanskrit Professor Brajesh Pandey. pic.twitter.com/COqigKsf47
— PB-SHABD (@PBSHABD) December 9, 2019
इस घटना को कवर करने वाली प्रसार भारती न्यूज़ सेवा के ट्वीट के अनुसार, “JNUTF जब जेएनयू की स्थिति को समान्य करने के लिए प्रयास कर रहा था तभी पर वामपंथी छात्रों ने उनपर हमला किया”। संस्कृत प्रोफेसर बृजेश पाण्डेय के अनुसार, ‘हम पर हमला किया गया, गाली गलौज की गयी और बदसलूकी भी की गयी। इन गुंडों के विरुद्ध हम कार्रवाई करेंगे”।
जेएनयू प्रशासन द्वारा अक्टूबर के अंत में फीस वृद्धि के निर्णय के विरुद्ध वामपंथी गुट के प्रदर्शन बद से बदतर होते जा रहे हैं, और JNUTF पर हुआ हमला इसी का प्रत्यक्ष प्रमाण है। बता दें कि जेएनयू प्रशासन ने एक सूची जारी की थी, जिसके अंतर्गत संस्थान द्वारा प्रदान की की जा रहीं कुछ सुविधाओं के शुल्क में बढ़ोत्तरी की गयी थी। उदाहरण के लिए महज 20 रुपये प्रतिमाह की दर पर मिलने वाला सिंगल सीटर हॉस्टल रूम 600 रुपये प्रतिमाह के दर पर किया गया है। फिर भी भारत के अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के मुक़ाबले काफी सस्ता है।
हालांकि, वामपंथी ब्रिगेड ने इसे उनके वर्चस्व के लिए एक खतरे के रूप में देखा और फीस वृद्धि के विरोध के नाम पर, वामपंथी ब्रिगेड ने परिसर के भीतर खूब दंगा मचाना शुरू कर दिया। एक ओर उन्होंने दीक्षांत समारोह को बाधित किया और एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को लगभग बंधक बनाकर रखा। इसके बाद एडमिन ब्लॉक के पास स्थित स्वामी विवेकानन्द की मूर्ति को उदघाटन से पहले वामपंथी उपद्रवियों ने न केवल खंडित किया, अपितु मूर्ति के नीचे उन्होंने सत्ताधारी पार्टी भाजपा के लिए अपशब्द भी लिखे।
परंतु बात वहीं तक नहीं रुकी। घटना को कवर करने आए विभिन्न एजेंसी के पत्रकारों के साथ भी जेएनयू के उपद्रवियों ने बदसलूकी की। ज़ी न्यूज़ के लिए कवरेज कर रहीं दो महिला पत्रकारों को प्रदर्शनकारी छात्रों के एक समूह ने घेर लिया, जिन्होंने उन्हें ‘गोदी मीडिया गो बैक’ [‘साइकोफेंट मीडिया’ के कर्मियों से दूर रहना], ‘ज़ी न्यूज़ गो बैक’ और ‘ज़ी न्यूज़ मुर्दाबाद!’ जैसे नारे लगाए थे। अगर यह काफी नहीं था, तो प्रदर्शनकारियों ने महिला पत्रकारों के साथ छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया, यहां तक कि उनके उपकरणों के साथ लाइव कवरेज को बाधित करने का कार्य किया।
इतना ही नहीं, 12 नवंबर को ज़ी न्यूज़ की भांति घटना की कवरेज कर रहे IANS की एक टीम पर भी इन अराजकतावादियों ने हमला किया था। अपने इस अंधविरोध में जेएनयू के इन अराजकतावादियों ने जेएनयू की महिला सुरक्षाकर्मियों तक को नहीं छोड़ा। 14 नवंबर की रात को महिला सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया गया, और उनके साथ बदसलूकी की गयी।
सच कहें तो फीस वृद्धि के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन तो केवल बहाना है, क्योंकि जेएनयू के वामपंथी गुट को भी मालूम है कि उनके विरोध प्रदर्शन का कोई ठोस आधार नहीं है। वे केवल भाजपा को नीचा दिखाने और जेएनयू पर अपनी पकड़ा बनाए रखने हेतु निकृष्टता की सभी सीमाएं लांघने को तैयार है।