ऐसा लगता है कि जब भी भाजपा विरोधी पार्टी किसी राज्य में चुनाव जीतती है वह भाजपा के किए गए कार्यों को पलटना शुरू कर देती है। पहले महाराष्ट्र और अब झारखंड में भी यही देखने को मिला है। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल की गठबंधन ने चुनाव जीता है और अब एक रिपोर्ट के अनुसार अपने शपथ ग्रहण से पहले ही Anti-Conversion Law या धर्मांतरण विरोधी कानून को रिव्यु करने की बात करने लगे।
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार हेमंत सोरेन ने ऐलान किया है कि वे सरकार बनाने के बाद सबसे पहले नागरिकता संशोधन कानून पर विचार करेंगे। इसके बाद धर्मांतरण विरोधी कानून पर भी विचार किया जाएगा। किसी भी विपक्षी पार्टी द्वारा किसी कानून या लिए गए फैसले का रिव्यु करने का स्पष्ट मतलब होता है कि वे उस कानून या फैसले को रोक देंगे। ऐसा लग रहा है कि हेमंत सोरेन भी यही करेंगे और धर्मांतरण विरोधी कानून को रोक कर झारखंड जैसे tribal राज्य में धर्मांतरण को बढ़ावा देंगे। इस कानून से पहले झारखंड में धर्मांतरण अपने चरम पर था और ईसाई मिसनरी गरीब तबके के लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाते थे।
बता दें कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार द्वारा झारखंड के राज्य विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी कानून को पारित किया गया था जिसमें जबरदस्ती धर्म परिवर्तन पर 3 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना या दोनों और महिला, एसटी, एससी के धर्म परिवर्तन के मामले में 4 साल की सजा या 1 लाख रुपये जुर्माना या दोनों सजा का प्रावधान है।
ये एक बहुत ही आवश्यक विधेयक था जिसे राज्य में लागू किया जाना जरुरी था क्योंकि राज्य में मिशनरियों का पहले से ही एक व्यापक नेटवर्क है और वो आदिवासियों और हाशिए वाले समुदायों को भोजन और चिकित्सा सुविधा देने का लालच देकर उनके धर्म का परिवर्तन करते थे। यही नहीं इसके बाद वर्ष 2018 में रघुवर दास द्वारा एक और बड़ा फैसला लिया गया जिसके मुताबिक आदिवासी जिन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर इसाई या अन्य धर्म अपना लिया है उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2001-2011 की अवधि में राज्य के जनसंख्या ग्राफ में जबरदस्त वृद्धि देखी गई, लेकिन सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि ईसाइयों की जनसंख्या में 29.7% की वृद्धि हुई। राज्य में मुसलमानों की जनसंख्या में 28.4% की भारी वृद्धि हुई और हिंदुओं की जनसंख्या में 21% की वृद्धि हुई थी।
धर्मांतरण की समस्या हिंदुओं के लिए गंभीर बनती जा रही थी, उनपर अपने धर्म को बदलने के लिए तरह-तरह के दबाव डाले जाने लगे थे तो कुछ आसानी से मिशनरियों के बहकावे में आने लगे थे। भाजपा सरकार ने अपने प्रयासों से राज्य की संस्कृति को बचाने के लिए और विदेशी तत्वों के प्रभाव को कम करने के लिए काम किया था जिसपर अब हेमंत सोरेन पानी फेरने जा रहे हैं।
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रांची कैथोलिक आर्चडायसिस समेत राज्य के निबंधित 88 गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के खिलाफ फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) 2010 के तहत विदेशी फंडिंग की जांच के लिए एसआईटी को निर्देश दिए थे। इन संस्थाओं के खिलाफ राज्य की केंद्र सरकार को शिकायत मिली थी कि ये एनजीओ द्वारा प्राप्त विदेशी फंड का दुरुपयोग आदिवासियों के धर्मांतरण के लिए करती हैं। इस शिकायत के बाद राज्य सरकार ने तुरंत सख्त कदम उठाते हुए ऐसी संस्थाओं का एफसीआरए रद्द करने के आदेश दिए और साथ ही इनके खिलाफ जांच करने के भी आदेश दिए थे।
अब ऐसा लग रहा है हेमंत सोरेन धर्मांतरण करने वालों को खुली छूट देना चाहते है इसी वजह से वे इस कानून पर रिव्यु करना चाहते हैं। एक बेहद महत्वपूर्ण कानून को निरस्त करके, ये नवनिर्वाचित सरकार धर्मांतरण की गतिविधियों को बढ़ावा देने जा रही है। इससे राज्य में नक्सल-मिशनरी सांठगांठ को भी मजबूत मिलेगी। ऐसा लगता है कि यह गठबंधन झारखंड में किए गए आर्थिक विकास को फिर से मिट्टी में मिलना चाहता है।