ये योगी का स्टाइल है, प्रोटेस्ट को रोकने के लिए हर CM को यही तरीका अपनाना चाहिए

योगी आदित्यनाथ

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ कल दिल्ली के कुछ इलाकों समेत यूपी के कई जिलों में हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। यूपी के लखनऊ में कल बड़े पैमाने पर हिंसा देखने को मिली थी। सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी हमें कल हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। हालांकि, इन विरोध प्रदर्शनों को लेकर जो रुख यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनाया है, वो शायद ही किसी और ने अपनाया हो। उन्होंने कल हिंसक प्रदर्शनकारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि प्रदर्शन के नाम पर हिंसा की इजाज़त नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करने का भी एक शानदार तरीका निकाला।

दरअसल, कल हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अहम बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि “हम उपद्रवी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। जो भी हिंसा का दोषी होगा उसकी संपत्तियां सीज की जाएंगी। इससे हिंसा में हुई क्षति की भरपाई की जाएगी”। यानि उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि जो लोग बसों को जला रहे हैं, गाड़ियों को आग के हवाले कर रहे हैं, उन्हीं से इस नुकसान की भरपाई की जाएगी।

इसी के साथ योगी आदित्यनाथ ने इन प्रदर्शनों को लेकर कई बड़े बयान दिये। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि “हम ऐसी हिंसा से सख्ती से निपटेंगे। जो लोग इसमें शामिल हैं, उनसे नुकसान की भरपाई करेंगे। जो लोग हिंसा में शामिल हैं, उनके चेहरे सीसीटीवी में कैद हो गए हैं। धारा 144 पूरे प्रदेश में लागू है। बिना इजाजत कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। प्रदर्शन हिंसक नहीं हो सकता। आम लोगों को दिक्कत नहीं पहुंचाई जानी चाहिए। विपक्ष अफवाह फैला रहा है”।

बता दें कि गुरुवार को प्रदर्शनकारियों ने लखनऊ के डालीगंज और हजरतगंज इलाके में जमकर उत्पात मचाया। इलाके में जमकर तोड़-फोड़ और पथराव हुआ। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा। लखनऊ में उपद्रवियों ने मीडिया के ओबी वैन को भी आग के हवाले कर दिया। उधर, पश्चिमी यूपी के संभल में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद इंटरनेट बंद कर दिया गया।

इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने विरोध प्रदर्शन के दौरान लखनऊ व संभल में हुई घटनाओं पर कड़ी नाराजगी जताई । उन्होंने प्रदेशभर के पुलिस कप्तानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग कर कहा कि यूपी में दोबारा ऐसी घटनाएं न होने पाएं। उन्होंने खासकर लखनऊ व संभल में सुधार लाने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने शुक्रवार को विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए। बता दें कि शुक्रवार को भी यूपी में ऐसे ही हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिलने का खतरा है। इसी के बाद कल शाम यूपी के गाजियाबाद में इंटरनेट और SMS सेवाओं को बंद कर दिया गया था। इसके अलावा आज भी उत्तर प्रदेश के 24 जिलों में इंटरनेट सेवा बाधित है। कुल मिलाकर जो सख्त रुख हमें यूपी सरकार की ओर से देखने को मिला है, वह अब तक किसी अन्य राज्य सरकार ने नहीं दिखाया है। इसके उलट कई राज्यों की सरकारों ने तो इन प्रदर्शनों का समर्थन किया है।

बात अगर पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे राज्यों की की जाये, तो यहां की सरकारों ने अब तक प्रदर्शनकारियों को भड़काने का ही काम किया है। ममता बनर्जी तो एक कदम आगे बढ़कर इस मुद्दे पर एक बड़ी रैली का आयोजन कर मुस्लिमों को भड़काने का काम कर चुकी हैं। इसके अलावा वे अमित शाह के खिलाफ भी कई भड़काऊ बयान दे चुकी हैं। उन्होंने अमित शाह पर हमला बोलते हुए हाल ही में कहा था “गृह मंत्री को अपना काम समझना चाहिए, उनका काम देश में आग लगाना नहीं है। जब नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ देश में आग लग रही है, तो आप ‘होगा ही होगा’ क्यों कह रहे हो। कितने जेल बनाओगे, कितने डिटेंशन कैंप बनाओगे, पहले नक्शा दिखाओ.. हम भी देखते हैं कि कितने जेल बनाओगे”। इसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी कह चुके हैं कि इस वक्त इस कानून को लेकर आने की क्या जरूरत थी। इसके अलावा उन्होंने अभी से इन विरोध प्रदर्शनों को लेकर राजनीतिक रोटियाँ सेकने का काम शुरू कर दिया है। हाल ही में केजरीवाल ने भाजपा पर इन दंगों को भड़काने का आरोप लगाया था।

ऐसे में यूपी के सीएम ने जिस तरह स्थिति को काबू में करने का तरीका खोजा है, वह प्रशंसा के लायक है। और सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों की सरकारों को भी इसी तरह हिंसक विरोध प्रदर्शनकारियों से ही सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करने की ज़रूरत है। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना विरोध नहीं कहलाता, बल्कि गुंडागर्दी और दंगा-फसाद कहलाता है। यूपी के सीएम ने जिस तरह इन गुंडों को आड़े हाथ लिया है, उसी से इन गुंडों के हौसले पस्त हो सकते हैं। अन्यथा, सरकारी संपत्ति को नुकसान होते देख कई राजनेता सिर्फ राजनीतिक रोटियाँ सेकने में ही विश्वास रखते हैं।

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