नासिर आज़मी की ‘जी मीडिया’ से नौकरी जा रही थी, मौका देख खेला विक्टिम कार्ड, खुली पोल

नासीर आज़मी

CAA यानि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच कुछ लोग अपने आप को सुर्खियों में लाने के लिए किस हद तक ढोंग रच रहे हैं, उसी का एक नमूना हमें 22 दिसंबर को देखने को मिला। दरअसल, ज़ी मीडिया कंपनी में कार्यरत नासीर आज़मी नामक एक शख्स ने फेसबुक और ट्विटर पर 22 दिसंबर को एक पोस्ट डाली जिसमें उसने लिखा कि वह ज़ी मीडिया को त्यागपत्र दे रहा है, क्योंकि चैनल ने CAA, JNU, जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी और कन्हैया को लेकर भ्रामक खबरें फैलाई थी। उसने अपने आप को मुस्लिमों के मसीहा की तरह पेश करते हुए यह बताया कि उसने नैतिकता के नाम पर ज़ी मीडिया के 6 चैनलों से इस्तीफा देने की घोषणा की है।

22 दिसंबर को उसने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा ‘ज़ी मीडिया को छोड़ दिया। जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के छात्रों, मुझे लगता है कि ज़ी मीडिया पत्रकारिता के सभी पैमाने पर असफल हो चुका है, जिसे मैंने अपने जीवन के अति-महत्वपूर्ण समय दिया है। ज़ी न्यूज़ JNU, कन्हैया कुमार, और अब हाल ही में AMU और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी जैसे मुद्दों पर पूरी तरह विफल साबित हुआ। चैनल ने जामिया के मुद्दे पर CAA और NCR को लेकर पूरी तरह भ्रामक रिपोर्टिंग की। इसी कारण से मैंने पत्रकारिता और मुस्लिम छात्रों को अपना समर्थन जताने के लिए ज़ी न्यूज़ से इस्तीफा देने की घोषणा की है। ज़ी मीडिया भी मांगे आज़ादी। (ऐसा लगता है मानो आप 1947 से पहले वाले गुलामी के भारत में आ गए हैं, यही हाल ज़ी न्यूज़ का भी है), जय हिन्द’।

अपनी इस पोस्ट में उसने अपने आप को CAA और जामिया मिलिया मामले पर ज़ी न्यूज़ की रिपोर्टिंग से बड़ा आहत दिखाने की कोशिश की, लेकिन जल्द ही इस व्यक्ति का पूरा ड्रामा सबके सामने एक्सपोज हो गया। दरअसल, इस व्यक्ति को ज़ी न्यूज़ द्वारा 4 दिसंबर से लेकर एक महीने तक नोटिस पीरियड पर रखा हुआ था, क्योंकि इस कर्मचारी का प्रदर्शन लगातार स्तरहीन होता जा रहा था। 4 दिसंबर को ही नसीर आज़मी को ज़ी मीडिया से पत्र मिल चुका था, जिसमें उससे इस एक महीने के दौरान अपने प्रदर्शन को सुधारने के लिए कहा गया था।

अपने घटिया प्रदर्शन के चलते इस कर्मचारी को यह आभास हो गया था कि इसे कंपनी से निकाल दिया जाएगा। उसे यह भी डर था कि इस तरह से निकाले जाने से शायद ही किसी और कंपनी में उसे जॉब मिले, इसीलिए उसने अपने बुरे प्रदर्शन को क्रांति में बदलने के दांव चला और अपने आप को नैतिकता का चैम्पियन दिखाने की कोशिश की। हालांकि, अब उसका यह ढोंग पूरी तरह एक्सपोज हो चुका है।

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