भारत द्वारा पाम ऑयल के इम्पोर्ट को सीमित सूची में डालते ही मलेशिया और नेपाल जैसे देशों की चिंताएं बढ़ चुकी हैं। मलेशिया जहां पहले भारत का टॉप पाम ऑयल एक्स्पोर्टर देश था, तो वहीं हाल ही के कुछ सालों में Nepal ने भी भारत को पाम ऑयल एक्सपोर्ट करना शुरू किया था। आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 में नेपाल भारत को पाम ऑयल बिलकुल भी एक्सपोर्ट नहीं करता था, लेकिन मात्र 2 वर्षों में ही यानि वर्ष 2019 तक वह 10.3 बिलियन रुपये की कीमत का पाम ऑयल एक्सपोर्ट करने लगा था, वो भी सिर्फ भारत को। अब जब भारत ने पाम ऑयल के आयात को सिमित कर दिया है, तो इससे Nepal को भी बड़ा झटका लगा है और कुछ दिनों पहले तक बॉर्डर विवाद पर भारत को धमकी देने वाला नेपाल अब भारत के साथ अपना अच्छे सम्बन्धों की दुहाई देने लगा है।
नेपाल ने भारत के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “भारत के साथ द्विपक्षीय समझौते के तहत, हमें नेपाली क्षेत्र में मूल्यवर्धन प्राप्त करने वाले सामानों के निर्यात का विशेषाधिकार प्राप्त है, और हम आशा करते हैं कि यह भारत द्वारा पाम ऑयल की स्थिति पर निर्णय लेते समय देखा जाएगा”। इससे पहले पाम के आयात को सीमित करने के मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था “पाम ऑयल के आयतकों को विदेश से तेल खरीदते समय भारत और दूसरे देशों के साथ संबंध को ध्यान में रखना चाहिए। किसी भी देश के साथ राजनीतिक सम्बन्धों का असर उस देश के साथ व्यापारिक रिश्तों पर ज़रूर पड़ता है”।
यह माना जा रहा था कि विदेश मंत्रालय ने इस बयान से मलेशिया पर निशाना साधा है। जिस तरह मलेशिया के पीएम महातिर मोहम्मद ने भारत की CAA और कश्मीर मुद्दे पर आलोचना की थी, यह उसी का नतीजा है। परन्तु, भारत के इस फैसले का असर सिर्फ मलेशिया तक ही सीमित नहीं है, और यह नेपाल के इन बयानों से यह समझा जा सकता है क्योंकि हाल ही में नेपाल का भारत के खिलाफ कड़ा रुख देखने को मिला है।
वर्ष 2017 में जब से Nepal में कम्युनिस्ट सरकार सत्ता में आई है, तभी से नेपाली सरकार का रुख चीन की तरफ कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। चीन भी नेपाल को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, और नेपाल में बड़ी मात्रा में निवेश करने की बात कर रहा है। उधर पिछले कुछ समय में Nepal और भारत के बीच कई विवादों ने जन्म लिया है। अभी हाल ही में दोनों देशों के बीच कालापानी विवाद खड़ा हुआ है। दरअसल, भारत ने अपने नक्शे में भारत-नेपाल बॉर्डर पर स्थित कालापानी को अपना हिस्सा दिखाया था, जिसपर नेपाल ने आपत्ति जताई थी। चीन की हरकतों पर नज़र रखने के लिए यह जगह भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से अति-महत्वपूर्ण है, लेकिन चीन से नज़दीकियाँ बढ़ा रहे Nepal के पीएम ने भारत सरकार के नए नक्शे पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि वह कालापानी इलाके से अपनी फौज तत्काल हटा ले। ओली ने यह भी दावा किया था कि Nepal-भारत और तिब्बत के ट्राई जंक्शन पर स्थित यह इलाका उसके क्षेत्र में आता है। हालांकि, अब जब भारत ने पाम ऑयल के इंपोर्ट को सीमित करने का फैसला लिया है, तो यह देखना दिलचस्प है कि कैसे नेपाल कूटनीतिक लिहाज से तुरंत बैकफुट पर आ गया है। वहीं एक ही समय में Nepal और मलेशिया को आर्थिक झटके देकर भारत ने एक ही तीर से दो निशाने लगाये हैं।