केरल राज्य में बढ़ रही लव-जिहाद की घटनाओं के खिलाफ अब समाज के हर धड़े ने आवाज़ उठाना शुरू कर दिया है। केरल में हिंदुओं के बाद अब ईसाई धर्म के लोग भी लव-जिहाद से इस हद तक परेशान हो चुके हैं कि राज्य के पादरियों को सामने आकर राज्य सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगानी पड़ रही है। अब राज्य के ईसाई कैथोलिक समुदाय की उच्च संस्था Kerala Catholics Bishop Council ने कहा है कि राज्य में लव जिहाद की समस्या वास्तविक है, और देश की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक पार्टियों को यह बात स्वीकार करनी चाहिए।
Kerala Catholics Bishop Council के डिप्टी जनरल ने Indian express को दिये बयान में राज्य की ‘सेक्युलर’ पार्टियों पर धावा बोलते हुए कहा कि “इन्हें यह स्वीकारना होगा कि लव जिहाद एक सच्चाई है”। Council ने साथ में यह भी कहा कि ईसाई लड़कियों को फंसाकर ISIS के जाल में धकेला जा रहा है। Council के अधिकारी ने अपने बयान में कहा “समाज में एक तरह के लोग लगातार कट्टर होते जा रहे हैं, और उनके अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से संबंध हैं। केरल की सेक्युलर पार्टियां इसे मानने को ही तैयार नहीं हैं। लगातार घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं लेकिन मुख्यधारा की कोई पार्टी इसे मानती ही नहीं है”।
इसी तरह कुछ दिनों पहले केरल की कैथोलिक सायरो-मालाबार चर्च के पादरियों की शीर्ष संस्था ने भी आरोप लगाया था कि राज्य में ईसाई समुदाय की लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बनाया जा रहा है और उनको इस्लामिक स्टेट के जाल में फंसाया जा रहा है साथ ही उनका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में भी किया जा रहा है। पादरियों की इस प्रमुख संस्था ने कहा था कि “केरल में बहुत ही सुनियोजित तरीके से लव जिहाद को अंजाम दिया जा रहा है। राज्य में लव जिहाद तेजी से अपनी जड़ें जमाता जा रहा है, जो समाज में शांति और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काफी गंभीर खतरा है”।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NMC) ने पिछले वर्ष सितंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस सम्बन्ध में पत्र भी लिखा था। तब केरल के कोझिकोड में एक ईसाई व्यक्ति ने अपने बेटी के साथ ब्लैकमेलिंग का मामल दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में उसने कहा था कि उसकी बेटी को ब्लैकमेल कर उसे इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। तब अल्पसंख्यक आयोग ने इस ख़बर को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का ध्यान इस तरफ आकृष्ट कराया था। अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष जॉर्ज कुरियन ने पत्र में स्वीकार किया था कि धर्मान्तरण के मामले काफ़ी ज्यादा बढ़ गए हैं। उन्होंने बताया था कि “इस कार्य को एक सुनियोजित तरीके से और संगठनात्मक रूप से अंजाम दिया जा रहा है। पीड़ितों को ‘लव जिहाद’ के तहत फँसाकर आतंकी गतिविधियों में उनका इस्तेमाल किया जा रहा है”। केरल से आने वाले जॉर्ज कुरियन ख़ुद ईसाई हैं और उन्हें मई 2017 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया था।
ऐसा नहीं है कि केरल की पूर्व सरकारों को राज्य में हो रहे इन धर्मांतरण की घटनाओं के बारे में पता नहीं था। केरल की विधानसभा में खड़े होकर एक सवाल के जवाब में पूर्व सीएम ओमन चांडी ने कहा था कि वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2012 तक कुल 7713 लोगों को इस्लाम धर्म में धर्मांतरित किया गया है। यह शर्म की बात है कि कैसे राज्य सरकारों ने इस अपराध के खिलाफ आंख बंद कर इसे मौन स्वीकृति देने का काम किया है।