जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गया है। एक बेहद कायराना हमले में कुछ नकाबपोश हमलावरों ने जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को पीटना शुरू किया, जिसके कारण कई लोगों को गंभीर चोटें भी आई। वामपंथी विचारधारा के बुद्धिजीवियों इस घटना पर उबल पड़े, और एबीवीपी के सदस्यों पर हमला करने का आरोप लगाया। योगेंद्र यादव और प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे नेता तुरंत वहां पहुंच गए और एबीवीपी के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी घेरने का प्रयास करने लगे।
ऐसे ही लोगों में शामिल थी पत्रकार बरखा दत्त, जिन्होंने जेएनयू के उपद्रवी छात्रों का समर्थन करते करते वक्त गज़ब का सेल्फ गोल दाग दिया। बरखा दत्त हमलावरों को एबीवीपी से जोड़ते जोड़ते काँग्रेस की भूमिका ही उजागर कर दी। जिस स्क्रीनशॉट का उपयोग बरखा ने एबीवीपी को घेरने हेतु किया, वो एक काँग्रेस समर्थित ग्रुप का नंबर निकला, जिस पर सोशल मीडिया ने उन्हें जमकर ट्रोल किया।
एक व्हाट्सएप ग्रुप में चर्चा का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए बरखा ने ट्वीट किया, “यह संदेश एक ग्रुप ‘यूनिटी अगेन्स्ट लेफ्ट’ से आया है। निजता कानून के कारण मुझे कुछ पोर्शन हटाने पड़े, परंतु मुख्य संदेश यही था, “जेएनयू का समर्थन करने वालों के खिलाफ कुछ करना है” –
परंतु स्क्रीनशॉट शेयर करने में वे ये भूल गयी की ग्रुप के सदस्य का फोन नंबर तो सार्वजनिक है। सोशल मीडिया के खोजी यूज़र्स को बस थोड़ी सी इंवेस्टिगेशन करनी थी और तुरंत पता चला की ये नंबर तो कांग्रेस के सोशल मीडिया सेल के लिए काम करने वाले एक व्यक्ति का है। एक ट्रूकॉलर सर्च में भी इस बात की पूर्ण पुष्टि हुई। अंजाने में ही सही, पर बरखा ने अपने ही आकाओं की करतूतों को जनता के समक्ष उजागर कर दिया –
बस फिर क्या था, सोशल मीडिया ने बरखा दत्त को जमकर ट्रोल किया। एचवीआर के नाम से ट्विटर अकाउंट चलाने वाले एक यूजर ने लिखा, “कई व्हाट्सएप स्क्रीनशॉट के जरिये वामपंथी ये सिद्ध करना चाहते हैं कि एबीवीपी ने जेएनयू में हिंसा की। मैं किसी का बचाव नहीं कर रहा। अगर आपको सच जानना है, तो बस चैट में दिये नंबरों को गूगल कर लीजिये। अमित शाह जी, जेएनयू का स्थायी समाधान तुरंत निकालें” –
Lots of whatsapp screenshots are being circulated all over the Facebook claiming that ABVP organised vioIence in JNU. I won't defend anyone. If you want to know the truth, just google the numbers seen in those chats..@AmitShah Do permanent soln of JNU#JNUCampus #LeftAttacksJNU pic.twitter.com/WZv3769aFT
— Hitesh Vinod Rathod (@rhitesh711) January 5, 2020
वहीं वसुधा नाम की एक यूजर ने बरखा दत्त के ऐसी कई असफलताओं पर तंज़ कसते हुए कहा, “बरखा दत्त – पनौती लाने में अब तक कि सबसे consistent प्लेयर” –
Barkha Dutt – the most consistent player at spreading panauti 😂🤣#SOSJNU #LeftAttacksJNU pic.twitter.com/PMWj0pYd27
— Vasudha (@WordsSlay) January 5, 2020
यहाँ तक कि पोल खुलने पर काँग्रेस भी मामले से पल्ला झाड़ने की एक असफल कोशिश करती हुई दिखी। उन्होने पहले उक्त साइट को डिलीट करने का प्रयास किया, और फिर कहा कि उनकी सोशल मीडिया टीम कई लोगों को अपनी सेवाएँ प्रदान कराती है। यह ऐसे ही एक विक्रेता की निजी चैट है, जिससे काँग्रेस का कोई लेना देना नहीं है”। ऐसे ही थोड़ी न मोदीजी ने कहा था।
सच कहें तो बरखा दत्त सीएए के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों की आड़ में अपने खत्म होते करियर का पुनरुत्थान करना चाहती है। परंतु वे हर मोर्चे पर मात खाती आई हैं। लदीदा और आएशा जैसे कट्टरपंथी छात्राओं को महिमामंडित करने का भी बरखा दत्त ने भरसक प्रयास किया, जो उनके कट्टरपंथी पोस्ट्स के उजागर होते ही फ़ेल हो गया।
जो जेएनयू में हुआ, वो निस्संदेह क्षमा के योग्य नहीं है और गुनहगारों को अवश्य दंडित किया जाना चाहिए। परंतु जिस तरह से बरखा दत्त जैसी पत्रकारों ने इस मुद्दे में अपना एजेंडा चलाने की असफल कोशिश की, और अब उसी प्रयास में वे अपने ही आकाओं की भूमिका उजागर कर बैठी। अब देखना यह होगा कि क्या 10 जनपथ बरखा की इस ‘भूल’ को माफ करेगी की नहीं।