CAA के खिलाफ बेहद निकृष्ट एजेंडा चलाने के बावजूद भी इस कानून को लगातार लोगों का समर्थन मिलता जा रहा है, और इससे कांग्रेसी अब बुरी तरह बौखला गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब भाजपा के CAA के पक्ष में डोर-टू-डोर कैम्पेन को लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में काफी निराशा का माहौल है।
इसके तुरंत बाद कर्नाटका के पूर्व CM सिद्धारमैया की ओर से यह बयान आया कि कांग्रेस को CAA के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करना चाहिए। सिद्धारमैया ने कहा कि CAA का विरोध करना हर कांग्रेसी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा “मुस्लिमों को बाहर रख आप क्या संदेश देना चाहते हैं? श्रीलंका, नेपाल म्यांमार और भूटान से आए शरणार्थी भी तो हैं”।
इसी तरह कर्नाटका प्रदेश कांग्रेस कमिटी की CAA-NRC पर आयोजित कार्यशाला में पूर्व IAS अधिकारी सईद ज़मीर पाशा ने कहा कि “भाजपा के कार्यकर्ता घर-घर जाकर CAA के बारे में लोगों को समझा रहे हैं और अब लोग हमसे सवाल पूछने लगे हैं। अगर अभी हमने कुछ नहीं किया तो चीज़ें हमारे हाथ से निकल जाएंगी”।
कर्नाटका की जयनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस की MLA ने भी यही चिंता जताई। उन्होंने कहा “पिछले एक महीने से भाजपा के कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को सीएए के प्रति जागरूक कर रहे हैं। हमारी पार्टी भी कम से कम CAA और NRC को लेकर पर्चे तो बँटवा ही सकती है”।
महिला कांग्रेस नेता कविता रेड्डी ने भी कुछ ऐसे ही बयान दिये और कहा कि वे भाजपा का मुक़ाबला करने में सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा “अगर हम संविधान की बात करेंगे तो आम लोग समझ नहीं पाएंगे। हमें CAA NRC को लेकर लोगों को समझाने के लिए एक आसान सूची बनानी होगी।
इससे यह साफ हो जाता है कि कांग्रेस बिना किसी कारण के ही CAA का विरोध कर रही है, जिससे CAA को लोगों का और ज़्यादा समर्थन मिला है। अब कांग्रेस को भी यह समझ नहीं आ रहा है कि वे अपने इस हिन्दू-विरोधी एजेंडे को आगे कैसे बढ़ाएँ। इसलिए जमीनी स्तर पर तो CAA का विरोध करना कांग्रेस के लिए और बड़ी मुसीबत बन गया है। अब साफ होता जा रहा है कि CAA के विरोध से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होने वाला है।
हालांकि, पार्टी के कार्यकर्ताओं से इस तरह का फीडबैक लेकर भी कांग्रेस का हाइकमान टस से मस होने को तैयार नहीं है। उन्हें यह समझ ही नहीं आ रहा है कि CAA का विरोध करने से उसी के वोटबैंक का नुकसान होने वाला है। वहीं दूसरी तरफ सीएए को लेकर लगभग 3 हफ्ते पहले लॉंच हुआ भाजपा का डोर-टू-डोर कैम्पेन बेहद सफल साबित होता नज़र आ रहा है। इसकी सफलता का एक ही कारण है कि लोग भी ऐसा ही सोचते हैं जैसा भाजपा सोचती है। यही कारण है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों के CAA विरोधी एजेंडे के बावजूद देश की जनता अब भी BJP का ही समर्थन कर रही है जिससे अब कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर होना शुरू हो गया है।