हाल ही में अमित शाह के नेतृत्व वाले गृह मंत्रालय, असम सरकार और बोडोलैंड की मांग करने वालों के एक गुट ने एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया है। इस एग्रीमेंट के अंतर्गत बोडोलैंड की मांग करने वाले अब इस मांग से न सिर्फ पीछे हटेंगे, अपितु असम की अखंडता भी बनी रहेगी। प्रतिबंधित संगठन, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड से संबन्धित सभी गुटों के प्रतिनिधियों ने इस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया है।
पीएम मोदी ने इस निर्णय पर प्रसन्नता जताते हुए ट्वीट किया, “आज जिस बोडो एकॉर्ड पर हस्ताक्षर किया गया है, वो अपने आप में कई मायनों में अनोखा है। एक ही छत के नीचे कई पक्ष एक साथ आए हैं। जो पहले उग्र विरोधियों के साथ संबंध रखते थे, वो अब मुख्यधारा में जुड़ गए हैं और राष्ट्र के प्रगति में अपना हाथ बंटाएंगे।”
Bodo Accord inked today stands out for many reasons.
It successfully brings together the leading stakeholders under one framework.
Those who were previously associated with armed resistance groups will now be entering the mainstream and contributing to our nation’s progress. pic.twitter.com/h7hCRI1o5H
— Narendra Modi (@narendramodi) January 27, 2020
इस एग्रीमेंट के अंतर्गत बोडो टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट के पुनर्गठन किया जाएगा, जिसमें बोडो संप्रदाय बहुल क्षेत्रों को वर्तमान BTAD [बोडो टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट] क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा। बीटीएडी को बोडो टेरिटोरियल region का नाम दिया जाएगा। इसके अलावा बोडो भाषा को असम की राजकीय भाषा माना जाएगा।
इस ऐतिहासिक सफलता से अब वर्षों से चली आ रही हिंसा पर लगाम लगेगी। जैसे अमित शाह ने कहा, बोडोलैंड को लेकर होने वाली हिंसा के कारण पिछले कुछ दशकों में 4000 से अधिक लोग मारे गए हैं। परंतु नए एकॉर्ड के कारण बोडो के उग्रवादी संगठन अब हथियार डालने को तैयार हो गए हैं।
अमित शाह ने बताया, “आज केंद्र सरकार, असम की राज्य सरकार और बोडो समुदाय के प्रतिनिधियों ने एक अहम एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया है। इस एग्रीमेंट से असम और बोडो समुदाय का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित हुआ है। 30 जनवरी को 1550 उग्रवादी अपने 130 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण करेंगे। एक गृह मंत्री के नाते मैं सबको आश्वासन देता हूँ कि सभी वादे एक निश्चित प्रक्रिया के अनुसार पूरे होंगे”।
सरकार ने अपनी तरफ से बोडो समुदाय के हित में काम करना शुरू कर दिया है। जो बोडो उग्रवादी हिंसक संघर्ष में मारे गए हैं, उनके परिवारों को सरकार 5 लाख रुपये का मुआवजा देगी। इसके अलावा जो उग्रवादी आत्मसमर्पण करेंगे, उन्हें सरकार पुनरुत्थान हेतु एक निश्चित रकम प्रदान करेगी। असम सरकार एनडीएफ़बी के कैडरों के विरुद्ध दर्ज केस वापिस लेगी, विशेषकर उन मामलों को जहां गंभीर आरोप नहीं है। जिन पर गंभीर आरोप लगे हैं, उनके केस व्यक्तिगत आधार पर देखे जाएँगे। इसके अलावा इसी एग्रीमेंट के एक अहम फैसले के अंतर्गत बोडो टेरिटोरियल काउंसिल के अंतर्गत आने वाले विधानसभा सीटों की संख्या 40 सीटों से बढ़ाकर 60 सीटों तक की जाएगी।
यही नहीं, इस ऐतिहासिक एग्रीमेंट के अंतर्गत बोडो समुदाय से संबन्धित क्षेत्रों के विकास के लिए 1500 करोड़ रुपये का एक आर्थिक पैकेज 3 वर्षों में प्रदान किया जाएगा, जिसमें असम सरकार और केंद्र सरकार का बराबर योगदान रहेगा। स्वायत्तता बनाये रखने हेतु एग्रीमेंट में निर्णय लिया गया है कि बोडो बहुल जिलों में उच्च अफसरों बीटीएडी के सदस्यों की सलाह लेने के बाद ही चुना जाएगा।
इस समझौते से केंद्र सरकार और असम के राज्य सरकार को आशा है कि अब आखिरकार असम राज्य में शांति का वास होगा। इससे पहले भी बोडो समुदाय के साथ समझौते हुए हैं, परंतु वे बाद में बोडो उग्रवादियों द्वारा रद्द कर दिये गए। पहला समझौता 1993 में हुआ था, जिसके कारण बोडो ऑटोनॉमस काउंसिल का निर्माण हुआ था, परंतु सीमित राजनीतिक शक्ति होने के कारण ये समझौता असफल रहा। दूसरा समझौता 2003 में हुआ था, परंतु ये भी असफल रहा था।
परंतु हाल ही में हस्ताक्षरित बोडो एकॉर्ड के अनुसार बोडो क्षेत्र को ज़्यादा प्रशासनिक शक्ति दी जाएगी। इसके अलावा मोदी सरकार ने सभी पक्षों को इस एग्रीमेंट का हिस्सा बनाने में सफलता पायी है, चाहे वे उग्रवादी ही क्यों न हो। अब चूंकि बोडो समुदाय से संबन्धित उग्रवादी दल हथियार डालने को तैयार हो चुके हैं, इसीलिए इस त्रिपक्षीय समझौते के असफल होने की संभावना कम है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसी परिप्रेक्ष्य में बताया है, “इस एग्रीमेंट में बोडो क्षेत्रों का सम्पूर्ण विकास होगा, और उनकी संस्कृति एवं भाषा को भी संरक्षित करने में मदद मिलेगी”। बोडो एकॉर्ड निश्चित रूप से मोदी सरकार की बड़ी सफलताओं में से एक है और इससे पूर्वोत्तर भारत को एक उज्ज्वल और सुरक्षित भविष्य मिलना है।