हर विकासवादी और इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में बाधा उत्पन्न करने वाली बदनाम कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ मुंबई पासपोर्ट ऑफिस की शिकायत पर अब जल्द ही मामला दर्ज़ किया जा सकता है। पासपोर्ट ऑफिस के मुताबिक मेधा पाटकर ने उन्हें यह नहीं बताया कि उनके खिलाफ कौनसे आपराधिक मामले अभी लंबित हैं। उनके इस अपराध के लिए अब उन्हें 2 साल की सज़ा या/और 5 हज़ार रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
पासपोर्ट कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, विभाग ने विदेश मंत्रालय को एक पत्र लिखा है, जिसमें मेधा पाटकर की तरफ से 2017 में पासपोर्ट नवीनीकरण का आवेदन भरते समय अपने खिलाफ लंबित मुकदमों का जिक्र नहीं करने के लिए आपराधिक मामला चलाने की इजाज़त मांगी है। अधिकारियों का कहना है कि मेधा पाटकर का पासपोर्ट स्वत: ही उस समय जब्त हो गया था, जब उन्होंने इस मामले में जवाब मांगने के लिए नोटिस भेजे जाने के विरोध में नौ दिसंबर को पासपोर्ट सरेंडर कर दिया था।
बता दें कि पिछले साल जून में एक पत्रकार ने मेधा के खिलाफ पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए गलत तथ्य दिए जाने की शिकायत की थी। शिकायत में मेधा के खिलाफ नौ आपराधिक मामलों का दस्तावेजी सबूतों के साथ ब्योरा दिया गया था, जो मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में मेधा के खिलाफ लंबित हैं। मेधा ने 30 मार्च, 2017 को अपने पासपोर्ट आवेदन में खुद पर कोई आपराधिक मुकदमा नहीं होने का दावा किया था। शिकायत के आधार पर आरपीओ ने डीजीपी मध्यप्रदेश से मुकदमों की जानकारी मांगी थी तो उन्होंने भी पांच मामलों में चार्जशीट दाखिल हो जाने का तथ्य बताया था। इसके बाद 18 अक्तूबर, 2019 को आरपीओ ने पाटकर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
बता दें कि मेधा पाटकर ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ के दौरान फेमस हुईं थी। नर्मदा बचाओ आंदोलन को सरदार सरोवर डैम प्रोजेक्ट के खिलाफ एजेंडा चलाने के लिए मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में काफी प्रमुखता से आयोजित किया गया था। इन सब के बाद यह स्पष्ट है कि मेधा को विकास विरोधी लोगों की आइकॉन कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जो लोग आज देश में जारी सभी विकासवादी प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाना चाहते हैं, मेधा तो उनके लिए मानो भगवान का ही एक रूप है।
बता दें कि हाल ही में वीज़ा नियमों के उल्लंघन के आरोप में आतिश तासीर की ओवेरसीज नागरिकता रद्द कर दी गयी थी। अब मेधा पाटकर के खिलाफ भी वीज़ा नियमों के उल्लंघन के तहत ही कार्रवाई की जा सकती है। उनके पासपोर्ट को रद्द किया जा सकता है और इसके साथ ही उनपर दंडनीय कार्रवाई भी की जा सकती है।
मेधा पाटकर जैसे लोग नैतिकता के नाम पर और पर्यावरणविद होने के नाम पर जी भर के अपना एजेंडा चलाते हैं और जब निजी जीवन में उनपर ईमानदारी दर्शाने की ज़िम्मेदारी आती है, तो वे फिसड्डी साबित होते हैं। ऐसे लोगों ने विरोध प्रदर्शनों को ही अपना रोजगार बना लिया है जिनके जीवन का एकमात्र मकसद मानो विरोध करना और एजेंडा चलाना ही रह गया हो। मेधा पाटकर के खिलाफ अब सख्त से सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए, ताकि भविष्य में उसके देश-विरोधी, विकास-विरोधी और गरीब-विरोधी एजेंडे पर लगाम लगाई जा सके।