NIA बैन तो बहाना है वास्तव में नक्सलियों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार

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PC: Patrika

जब सत्ता सिर पर चढ़ जाए तो अपने ही किए फैसले कभी गलत लगते हैं तो कभी सही। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के साथ भी यही हो रहा है। एक चौंका देने वाली खबर में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से NIA एक्ट को असंवैधानिक करार देने की याचिका की है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुच्छेद 131 के तहत यह याचिका दायर की है। अनुच्छेद 131 के अंतर्गत केंद्र के साथ विवाद के मामले में राज्य सीधे उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है। राज्य सरकार का यह दावा है कि इस कानून से राज्य प्रधानता प्रभावित होती है और यह केंद्र को निर्बाध अधिकार प्रदान करता है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की कई बेंच द्वारा इस मामले पर कई विरोधाभासी न्यायिक घोषणाएँ की गयी हैं, कि क्या किसी केंद्रीय कानून की संवैधानिक वैधता को अनुच्छेद 131 के प्रावधानों के तहत किसी राज्य द्वारा चुनौती दी जा सकती है। इसलिए, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दायर की गयी याचिका पर सुनवाई होगी या नहीं।

यहाँ पर यह ध्यान देने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने ऐसा करके NIA act में वर्ष 2019 में किए किए गए संशोधनों को चुनौती नहीं दी है बल्कि वर्ष 2008 में अपनी ही सरकार द्वारा पारित कानून को चुनौती दे रही है। इसका मतलब यह हुआ कि जब NIA ने अपना कार्य अच्छे से करना शुरू किया तो कांग्रेस को ही परेशानी होने लगी।

बता दें कि छत्तीसगढ़ एक नक्सल प्रभावित राज्य है। ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार नक्सलियों को फिर से मदद प्रदान करने के लिए NIA एक्ट को हटाना चाहती है। NIA ने देश के अंदर होने वाले आतंकी हमलों से देश को सुरक्षित रखा है। इस एजेंसी ने नक्सलवाद से निपटने में भी एक अहम भूमिका निभाई है। देश की यह प्रमुख आतंकवाद-रोधी जांच एजेंसी नक्सल फंडिंग को खत्म करने की मोदी सरकार की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्ष 2018 में, गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा था कि NIA का एक विशेष दल वामपंथी उग्रवाद के मामलों की जांच करेगा।

यही नहीं NIA ने अर्बन नक्सलियों और नक्सलियों के बीच सांठगांठ को उजागर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले साल, छत्तीसगढ़ की एक विशेष एनआईए अदालत ने पांच लोगों को नक्सलियों से सहानुभूति रखने और कूरियर के रूप में विस्फोटक की आपूर्ति करने तथा राशन देने के लिए 10 साल की सजा सुनाई थी।

NIA के बढ़ते प्रभाव से कांग्रेस सरकार को यह डर सताने लगा है कहीं उनकी पोल न खुल जाए शायद इसीलिए उसने अपनी ही सरकार द्वारा लाये गये NIA को असंवैधानिक करार देने के लिए याचिका दायर कर रही है।

वास्तव में, एनआईए की ऐसी भूमिका रही है कि 2013 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं पर नक्सली हमले के बाद, तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री, सुशील कुमार शिंदे ने कहा था, “मैंने रमन सिंह (तत्कालीन छत्तीसगढ़ सीएम) से बात की है और वह सहमत हुए हैं।” कांग्रेस ने तब तो NIA पर भरोसा किया लेकिन अब केंद्र की सरकार जाते ही NIA से इस पार्टी को दिक्कत होने लगी है। इसका मतलब स्पष्ट है कि कांग्रेस को इस बात का डर सता रहा कि कहीं उसकी पोल न खुल जाए। वैसे भी ये

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