केरल राज्य में बढ़ रही ‘लव जिहाद’ की घटनाओं को लेकर अब प्रभावशाली कैथोलिक चर्च ने राज्य सरकार पर ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया है। कैथोलिक सायरो-मालाबार चर्च के पादरियों की शीर्ष संस्था ने आरोप लगाया है कि राज्य में ईसाई समुदाय की लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बनाया जा रहा है और उनको इस्लामिक स्टेट के जाल में फंसाया जा रहा है साथ ही उनका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में भी किया जा रहा है। कैथोलिक चर्च के इन आरोपों का जहां एक तरफ विश्व हिन्दू परिषद ने स्वागत किया है, तो वहीं इस्लामिक संस्था पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने चर्च के इन बयानों की आलोचना की है, और इन आरोपों का खंडन किया है।
बता दें कि चर्च ने अपने बयान में दुनिया भर में ईसाइयों के खिलाफ हो रहे हमलों का जिक्र किया है। पादरियों की इस प्रमुख संस्था ने कहा है कि “केरल में बहुत ही सुनियोजित तरीके से लव जिहाद को अंजाम दिया जा रहा है। राज्य में लव जिहाद तेजी से अपनी जड़ें जमाता जा रहा है, जो समाज में शांति और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काफी गंभीर खतरा है”। दुनिया भर में ईसाईयों पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए चर्च ने कहा, “क्रिसमस पर नाइजीरिया में ईसाईयों की हत्या दिल दहलाने वाली थी। यह चिंता का विषय है कि लव जिहाद केरल की सामाजिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को खतरे में डाल रहा है। यह एक वास्तविकता है कि केरल में सुनियोजित तरीके से ‘लव जिहाद’ के लिए ईसाई लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है”।
इसके अलावा चर्च ने अपनी बात को सही साबित करने के लिए पुलिस के आंकड़ों का भी सहारा लिया। चर्च ने एक पुलिस रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि “जिन 21 लोगों को आईएस में भर्ती किया गया था, उनमें से आधे ईसाई थे जिन्होंने अपना धर्म बदला था। यह घटना पूरे समुदाय के लिए एक आंख खोलने वाली होनी चाहिए”।
VHP भी अब खुलकर इस चर्च के समर्थन में आ गया है और संस्था ने कहा है कि वह तो पहले से ही लव जिहाद को लेकर सबको आगाह करने का काम कर रहे हैं। VHP ने एक बयान में कहा है कि “आपराधिक पृष्ठभूमि के युवा हिंदू और ईसाई लड़कियों को प्रेम के जाल में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। इसके बाद उनका ड्रग्स की तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है। हम पहले भी यह कहते रहे हैं लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अब हम खुश हैं कि चर्च के पादरी भी लव जिहाद के खतरों की बात कर रहे हैं। यह समय है कि हम एकजुट होकर इसका सामना करें”।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NMC) ने पिछले वर्ष सितंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस सम्बन्ध में पत्र भी लिखा था। तब केरल के कोझिकोड में एक ईसाई व्यक्ति ने अपने बेटी के साथ ब्लैकमेलिंग का मामल दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में उसने कहा था कि उसकी बेटी को ब्लैकमेल कर उसे इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। तब अल्पसंख्यक आयोग ने इस ख़बर को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का ध्यान इस तरफ आकृष्ट कराया था। अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष जॉर्ज कुरियन ने पत्र में स्वीकार किया था कि धर्मान्तरण के मामले काफ़ी ज्यादा बढ़ गए हैं। उन्होंने बताया था कि “इस कार्य को एक सुनियोजित तरीके से और संगठनात्मक रूप से अंजाम दिया जा रहा है। पीड़ितों को ‘लव जिहाद’ के तहत फँसाकर आतंकी गतिविधियों में उनका इस्तेमाल किया जा रहा है”। केरल से आने वाले जॉर्ज कुरियन ख़ुद ईसाई हैं और उन्हें मई 2017 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया था।
ऐसा नहीं है कि केरल की पूर्व सरकारों को राज्य में हो रहे इन धर्मांतरण की घटनाओं के बारे में पता नहीं था। केरल की विधानसभा में खड़े होकर एक सवाल के जवाब में पूर्व सीएम ओमन चांडी ने कहा था कि वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2012 तक कुल 7713 लोगों को इस्लाम धर्म में धर्मांतरित किया गया है। यह शर्म की बात है कि कैसे राज्य सरकारों ने इस अपराध के खिलाफ आंख बंद कर इसे मौन स्वीकृति देने का काम किया है।