गोपाल सबके सामने हवा में कट्टा लहरा रहा था पर पुलिस बस देख रही थी, क्यों?

CAA पर जारी विवाद के बीच कल जामिया इलाके में तब बड़ा विवाद पैदा हो गया जब गोपाल नामक एक सिरफिरे लड़के ने जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से राजघाट तक निकलने वाले मार्च से पहले गोली चला दी, जो शादाब आलम नाम के युवक को जा लगी। वो प्रदर्शनकारियों की तरफ बंदूक लहराते हुए कह रहा था कि ‘मैं तुम्हें आजादी देता हूं’। इसके बाद लोगों को धमकाते हुए उस शख्स ने गोली चला दी। हालांकि, वहाँ हैरानी की बात तो यह रही कि दिल्ली पुलिस उस शख्स के पीछे हाथों में हाथ डाले खड़ी रही और उस लड़के द्वारा बंदूक लहराने के बावजूद भी उसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। बाद में पुलिस ने उसे काबू कर लिया लेकिन तब तक वह एक व्यक्ति को गोली मार चुका था।

यह हैरानी भरा इसलिए है क्योंकि दिल्ली पुलिस स्थिति को काबू करने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए जानी जाती है। जिस तरह दिल्ली पुलिस ने JNU और जामिया मामले में हस्तक्षेप कर हिंसा को फैलने से बचाया और जिस तरह दिल्ली पुलिस ने CAA पर हो रही हिंसा को लेकर सीलमपुर जैसे इलाकों में समय रहते कदम उठाए थे, ऐसे में इस मामले पर दिल्ली पुलिस के सुस्त रवैये ने सबको निराश किया।

बता दें कि गोली चलाने वाला आरोपी जामिया का स्टूडेंट नहीं है। इस गोली कांड को अंजाम देने से पहले गोपाल ने कई बार जामिया से अपने फेसबुक अकाउंट पर लाइव भी किया था। इससे पहले उसने कई ऐसे पोस्ट भी फेसबुक पर लिखे थे, जिससे उसकी मंशा साफ झलक रही थी कि वो कुछ करने वाला है। उसने एक पोस्ट में लिखा था, ‘शाहीन भाग, खेल खत्म’। इतना ही नहीं, उसने अपने एक अन्य पोस्ट में लिखा है ‘चंदन भाई ये बदला आपके लिए है।’

दिल्ली पुलिस को उस व्यक्ति के हाथ में बंदूक देखते ही उसे काबू करने के उपाय ढूँढने चाहिए थे। जरूरत पड़ने पर पुलिस को हथियारों के इस्तेमाल करने से भी गुरेज नहीं करना चाहिए था, लेकिन पुलिस ने मूकदर्शक बने रहने में ही भलाई समझी।

चूंकि दिल्ली पुलिस केंद्र के अधिकार में आती है, तो पुलिस के इस सुस्त रवैये के कारण अब वामपंथी गैंग को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और अमित शाह पर उंगली उठाने का मौका मिल गया है और साथ ही दिल्ली पुलिस पर भी पक्षपाती होने का आरोप लगाया जा रहा है, जिसे आसानी से रोका जा सकता था।

https://twitter.com/Traluk__/status/1223209606907863041?s=20

दिल्ली पुलिस से ज़्यादा सक्रिय तो हमें मीडियाकर्मी दिखे, जो उस बंदूकधारी को बड़े तेजी से फॉलो कर रहे थे। दिल्ली पुलिस को उस वक्त अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए तुरंत उसे काबू में करना चाहिए था।

 

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