फ़ैज़ की कविता को लेकर चल रहे विवाद की होगी जांच, IIT कानपुर ने अब शुरू की पड़ताल

फैज

लिबरलों के बीच चल रही नाराज़गी के बीच, आईआईटी कानपुर पाकिस्तान के शायर फैज अहमद ‘फैज’ की नज्म  पर हुए विवाद की जांच करेगी। मंगलवार को संस्थान ने इसके लिए एक पैनल गठित किया।

बता दें कि 17 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों पर पुलिस ने कार्रवाई के विरोध में आईआईटी कानपुर के छात्रों ने फैज की नज्म गाई थी जिसको फैकल्टी के सदस्यों ने ‘हिंदू विरोधी’ बताया था। इस मामले की शिकायत निदेशक अभय करंदीकर से की गई जिसके बाद इस मामले पर ध्यान देने के लिए पैनल का गठन किया गया।

आईआईटी का पैनल छात्रों द्वारा धारा 144 तोड़कर जुलूस निकालने और छात्रों की सोशल मीडिया पोस्ट की भी जांच करेगा। फैज की जिस नज्म के खिलाफ शिकायत हुई, उसमें आखिरी पंक्ति में बस नाम रहेगा अल्लाह का‘ कहा गया है।

आईआईटी के उपनिदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने कहा, “वीडियो में छात्र फैज की कविता गाते हुए दिख रहे हैं, जिसे हिंदू विरोधी भी माना जा सकता है। इसके अलावा छात्रों ने प्रदर्शन के दौरान देश विरोधी नारेबाजी की और सांप्रदायिक बयान दिए।”

नज्म पर सवाल उठाने वाली लाइन सब तख़्त गिराए जाएंगे, बस नाम रहेगा अल्लाह का, जो गाएब भी है हाजिर भी‘ पर ऐतराज जता रहे हैं। बता दें कि यह कविता फैज ने 1979 में सैन्य तानाशाह जिया-उल-हक के संदर्भ में लिखी थी और पाकिस्तान में सैन्य शासन के विरोध में लिखी थी।

हालांकि, यह देखने वाली बात है कि IIT कानपुर में विवादास्पद कविता के गायन के विरोध से लिबरलों में हलचल मच गयी है और वे सोशल मीडिया पर #FaizAhmedFaiz को ट्रेंड करवा रहे हैं। उनका तर्क यह है कि विरोध करने वाले फैज के उस नज़्म का true essence’ नहीं समझ रहे हैं जो पाकिस्तान में सैन्य तानाशाही की पृष्ठभूमि में लिखी गई थी।

https://twitter.com/TheDeshBhakt/status/1212616220983218177?s=20

 

यह आश्चर्यजनक है कि जिन लोगों ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम का विरोध किया और इसे गाने से इनकार कर दिया, वे इस विवादास्पद नज़्म की पुनरावृत्ति को सही ठहरा रहे हैं। सोशल मीडिया पर लिबरलों की इसी हिपोक्रेसी पर उनका मज़ाक भी खूब उड़ाया जा रहा है।

https://twitter.com/akash_mundra/status/1212632779696922624?s=20

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया विश्वविद्यालय और आस पास का इलाका एक युद्ध क्षेत्र में बदल गया था। इस प्रदर्शन में चार डीटीसी बसों को आग लगा दी गई, पुलिस पर पत्थरबाजी की गयी, पेट्रोल बम भी मारे गए। इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की और लाठी चार्ज किया था। इस घटना  पर अपना समर्थन दिखाने के लिए IIT कानपुर में भी छात्रों द्वारा प्रदर्शन किया गया था।

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