‘तुम छोटे आदमी हो, यहां से भाग जाओ’, अखिलेश यादव ने ड्यूटी कर रहे डॉक्टर को हड़काया

अखिलेश यादव

PC: India Today

कोई व्यक्ति कितना असंवेदनशील हो सकता है, इसका एक उदाहरण कन्नौज के एक सरकारी अस्पताल में देखने को मिला जब UP के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इलाज कर रहे मुख्य डॉक्टर को ही RSS का घोषित कर भगा दिया। यही नहीं अखिलेश ने डॉक्टर को यह भी कह दिया कि तुम एक बहुत छोटे कर्मचारी हो, बाहर भाग जाओ यहां से।

दरअसल, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सोमवार को उन मरीजों और उनके परिजानों से मिलने पहुंचे थे, जो पिछले सप्ताह कन्नौज के छिबरामऊ में एक सड़क हादसे का शिकार हो गए थे। अखिलेश यादव अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों से मुआवजा राशि देने की बात कर रहे थे, इसी दौरान इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर बीच में बोल पड़े। इससे अखिलेश यादव अपना आपा खो बैठे।

अखिलेश यादव ने कहा कि, “तुम मत बोलो, तुम सरकारी आदमी हो। हम जानते हैं क्या होती है सरकार। इसलिए मत बोलो क्योंकि तुम सरकार के आदमी हो। तुम्हें नहीं बोलना चाहिए।

अखिलेश यादव ने आगे कहा, “तुम सरकार का पक्ष नहीं ले सकते। तुम बहुत छोटे कर्मचारी हो। आरएसएस के हो सकते हो, बीजेपी के हो सकते हो, लेकिन मुझे नहीं समझा सकते” इसके बाद अखिलेश ने उन्हें बाहर भगाते हुए कहा, “एक दम दूर हो जाओ, बाहर भाग जाओ यहां से।”

वहीं इस संबंध में चिकित्सक डॉ. डीएस मिश्रा का कहना है कि पूर्व सीएम ने उनके साथ अभद्रता की है। डॉक्टर डीएस मिश्रा ने कहा, मैं वहां पर खड़ा था, क्योंकि मैं उनका अटैंडिंग ऑफिसर था। जब मरीज के परिवार ने दावा किया कि उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला तो मैंने उन्हें सही करना चाहा कि उन्हें चेक मिल गए हैं।‘ साथ ही उन्होंने कहा कि वह इमरजेंसी ड्यूटी पर थे फिर भी अखिलेश यादव ने उन्हें वहां से चले जाने के लिए कहा। उन्हें भाजपा व आरएसएस का व्यक्ति बताकर कमरे से बाहर निकाल दिया। वह इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात थे।

अखिलेश यादव का अपने से लगभग दोगुनी उम्र के डॉक्टर के साथ यह बर्ताव कितना अशोभनीय है यह तो किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। इस तरह ड्यूटि पर तैनात किसी डॉक्टर को डांटने और उसे छोटा आदमी कह कर भगाना कहां तक सही है?  यह बात कहना गलत नहीं होगा कि जिसके मन में अपने पिता के लिए सम्मान नहीं है तो भला वो एक उम्रदराज डॉक्टर का क्या सम्मान करेगा। इसके साथ ही अखिलेश का ये रुख अंहकार को भी दर्शाता है।

बता दें कि यह हादसा उस वक्त हुआ था, जब 46 यात्रियों को लेकर जा रही एक बस की ट्रक से टक्कर हो गई थी और उसमें आग लग गई थी। इस हादसे में करीब 20 लोगों की मौत हो गई थी। आग इतनी भयंकर थी कि फायर ब्रिगेड की चार गाड़ियों को आग बुझाने में 40 मिनट लग गए थे। इस हादसे में 21 लोगों को बचा लिया गया था, जिन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

संवेदनशीलता मनुष्य की सबसे प्रमुख विशेषता होती है और यह संवेदनशीलता सभी जीवों के लिए आवश्यक है। ऐसे मामलों में आप selective नहीं हो सकते। व्यक्ति जब नेता बन जाता है तो अक्सर यह देखा जाता है कि वह असंवेदनशील हो जाता है। अखिलेश यादव का ड्यूटि पर तैनात एक डॉक्टर के साथ यह बर्ताव इसी बात का सूचक है।

यह पहली बार नहीं था जब अखिलेश यादव इस तरह से व्यवहार कर रहे थे। पिछले वर्ष अप्रैल में वाराणसी में एक प्रेसवार्ता के दौरान अखिलेश यादव एक पत्रकार पर भड़क गए थे और उसे बिका हुआ पत्रकार तक कहा डाला था। अखिलेश यादव को उस समय भी अपने इस अहंकारी रुख के कारण काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था परन्तु ऐसा लगता है कि उससे उन्होंने कोई सीख नहीं ली है।

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