बेटी बचाओ, बेटी पढाओ अभियान लाया रंग, हरियाणा में लड़कियों की जनसंख्या में जबरदस्त सुधार

लिंगानुपात

PC: Ghatna Chakra

अगर किसी समस्या को हल करने के प्रयास शिद्दत से किए जाएं, तो हमें उसके सकारात्मक परिणाम अवश्य देखने को मिलते हैं। ऐसा ही कुछ हमें हरियाणा में देखने को मिला है जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों के दौरान राज्य के लिंगानुपात में बड़ा सुधार देखने को मिला है। वर्ष 2015 में जब हरियाणा के पानीपत से प्रधानमंत्री मोदी ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की थी, तब हरियाणा में लिंगानुपात के आंकड़े बड़े चिंताजनक थे। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में प्रति 1000 लड़कों पर सिर्फ 834 लड़कियां थी, लेकिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार की मेहनत के बदौलत आज यह संख्या 923 तक पहुंच चुकी है, और इसमें लगातार सुधार देखने को मिल रहा है।

बता दें कि राज्य सरकार के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा ने पिछले पांच वर्षों में जन्म के समय लिंगानुपात में 52 अंकों की वृद्धि दर्ज की है। 2019 में कुल 5,18,725 शिशुओं के जन्म पंजीकृत किए गए, जिनमें 2,48,950 लड़कियां और 2,69,775 लड़के थे। पंचकुला और अंबाला जिलों में क्रमशः 963 और 959 लिंगानुपात दर्ज किए गए हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार आदर्श लिंग अनुपात 950 से बेहतर है। महेंद्रगढ़ जिले में लिंगानुपात में 172 अंको का सुधार हुआ है। राज्य में यहां जन्म के समय सबसे कम लिंगानुपात दर्ज किया जाता था। महेंद्रगढ़ जिले में 2014 में 745 की तुलना में 2019 में लिंगानुपात 917 दर्ज किया गया।

बेशक यह हरियाणा जैसे राज्य के लिए गर्व की बात है लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए सरकार द्वारा कड़ी मेहनत की गई। एक तरफ जहां बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत लोगों को जागरूक किया गया, तो वहीं सरकार द्वारा भ्रूण जांच केन्द्रों पर उचित कार्रवाई करने में भी सक्रिय भूमिका निभाई गई। सरकार ने बड़े पैमाने पर जागरूक अभियान चलाये, जिसके तहत गांवो और अस्पतालों में बेटी के जन्म पर खुशी मनाने की रीति को बढ़ावा दिया गया।

इसके अलावा गणतन्त्र दिवस और स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर लड़कियों से ध्वजारोहण करवाया गया ताकि समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया जा सके। ग्राम पंचायतों को लिंगानुपात में सुधार करने के लिए पुरुस्कृत किया गया और शहरों में प्रभात फेरियों का आयोजन किया गया। इतने विस्तृत जागरूक अभियान का ही यह नतीजा निकला कि लोगों ने बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी अपनाना शुरू कर दिया। दूसरी तरफ सरकार ने भ्रूण हत्या और भ्रूण जांच के खिलाफ सख्त कानून बनाए और उन्हें सख्ती से लागू भी किया गया।

हरियाणा सरकार ने प्री-कॉन्सेप्शन एक्ट, प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक एक्ट और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 730 एफ़आईआर दर्ज की गई, जो कि वर्ष 2015 के बाद से किसी भी राज्य के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा है। इसके अलावा हरियाणा सरकार द्वारा 1000 से ज़्यादा डॉक्टर्स, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों, अल्ट्रासाउंड टेकनीशियन्स को गिरफ्तार भी किया गया। इन योजनाओं के अलावा कन्या भ्रूणहत्या की जानकारी देने वाले मुखबिर को 1 लाख रुपये नकद पुरस्कार देना हो, या फिर छद्म उपभोक्ताओं के द्वारा अभियुक्तों को पकड़ने के लिए चलाये जाने वाले विशेष अभियान हो, या फिर अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर निगरानी रखने के लिए विशेष टीमों का गठन करना हो, मनोहर लाल खट्टर के इन निर्णयों ने हरियाणा में परिवर्तन लाने की मुहिम को एक नई दिशा दी है। इतना ही नहीं, हरियाणा ने राज्य में हुये अपराधों के संबंध में यूपी, दिल्ली एनसीआर, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान में भी छापा डालने में कोई संकोच नहीं दिखाया, और राज्य से बाहर भी राज्य की पुलिस ने 185 FIR दर्ज़ की।

समाज के अथक प्रयास एवं खट्टर सरकार के लिए गए निर्णयों से हरियाणा में निस्संदेह व्यापक बदलाव आए हैं। भारत पिछले कुछ वर्षों से ऐसे कई समस्याओं को समाप्त करने में लगा हुआ है, जिन्हें वर्षों तक अनदेखा किया गया था, और हरियाणा की सफलता इसी बात का जीता जागता प्रमाण है।

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