उनका जन्म मुस्लिम परिवार में हुआ, वो बाद में हिन्दू योगी बने और अब उन्हें पद्म पुरस्कार से नवाज़ा गया है

Sri M

PC: Ram Dass

भारत देश ही विविधताओं का है जहां रसखान जैसे अनेक उदाहरण देखने को मिल जाएंगे जो अपने संप्रदाए से ऊपर उठकर देश के बारे में सोचते हैं। इस 21 वीं सदी में भी एक ऐसे ही रसखान हैं जिन्हें इस वर्ष पद्म सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये हैं Sri M। इनका वास्तविक नाम है Mumtaz Ali Khan। यहाँ रसखान एक समूहवाचक संज्ञा है यानि वो व्यक्ति जो एक विशेष संप्रदाय में जन्म लेता है लेकिन सेवा देश की करता है और अपनी भक्ति इस देश की संस्कृति से करता है।

बता दें कि इस वर्ष भी कई ऐसे लोगों को पद्म पुरस्कार दिये जा रहे हैं जिन्होंने देश और समाज के लिए वास्तविक रूप से जमीनी स्तर पर अच्छा काम किया है। इन्हीं लोगों में से एक हैं Sri M।

Sri M का जन्म केरल की राजधानी तिरुवनन्तपुरम के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। Sri M की नानी के सूफी कनेक्शन थे और बचपन में उन्होंने Sri M को कई सूफी कहानियाँ सुनाईं जिसके बाद उनका इस देश की संस्कृति से गहरा जुड़ाव बढ़ता गया था।

उन्होंने सत्संग फाउंडेशन की स्थापना की है और केरल के मदनपल्ली में एक स्कूल चलाते हैं। वह एक सफल लेखक हैं और प्राचीन भारत के ज्ञान की व्याख्या करते हैं। इसके साथ ही वो पीपल ग्रोव स्कूल नमक एक बोर्डिंग स्कूल भी चलाते हैं जिसका उद्घाटन भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने वर्ष 2006 में किया था। यही नहीं वह द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की स्पीकिंग ट्री नामक स्तम्भ में भी लिखते हैं। उनका मानना है कि भारतीय आध्यात्मिकता प्रत्येक व्यक्ति को जाति और पंथ की परवाह किए बिना सक्षम बनाती है।

वह जब किशोरावस्था में थे तब उनकी मुलाक़ात एक संत से हुई थी और उसके बाद उनका ध्यान spiritual potential की ओर गया और उनके जीवन को एक नया मोड़ मिला। उसके बाद अक्सर वह संतों से मिला करते थे, इस वजह से उनके मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया और वह हिमालय की ओर प्रस्थान कर गए। इसी दौरान बद्रीनाथ के व्यास गुफा में उनकी मुलाक़ात गुरु महेश्वरनाथ बाबाजी से हुई। तब से, उनके जीवन की यात्रा एक ओर निर्धारित हो गयी और वह थी आत्मा की खोज। हिमालय में एक शिष्य के रूप में बिताए गए उनके असाधारण जीवन को उनकी आत्मकथा में लिखा गया है जिसका शीर्षक है, Himalayan Master: A Yogi’s Autobiography।’ उन्होंने कुछ और किताबें लिखीं हैं जिनमें ईसा उपनिषद और ‘ऑन मेडिटेशन’ जैसी किताबें भी शामिल है। उन्होंने एक उपन्यास भी लिखा, जिसका शीर्षक, शून्य” है।

उनके आध्यात्मिक मिशन का मुख्य आकर्षण ‘Walk of Hope’ था जिसे उन्होंने 12 जनवरी, 2015 (स्वामी विवेकानंद की जयंती) पर शुरू किया था और 29 अप्रैल, 2016 को जम्मू में संपन्न किया था। उस दौरान पीएम मोदी ने भी उनसे मुलाक़ात की थी।

यही नहीं 16 महीनों में श्री एम ने 7,500 किमी की पैदल यात्रा की थी। उस दौरान हज़ारों समर्थक उनके साथ थे। इसे मानव एकता मिशन का नाम दिया। इसके माध्यम से वे लोगों के बीच आशा, प्रेम, शांति, सद्भाव और एकता का संदेश देना चाहते थे।

Shree M ‘एकम सत, विप्रा बहुधा वदन्ति’ की सनातनी ज्ञान पर ज़ोर देते हैं। वह एक ऐसे योगी हैं जिन्होंने सृजन की एकरूपता का अनुभव किया और वही वे अपने लेखों किताबों और भाषणों से प्रचारित करने के प्रयास भी करते हैं। आज के समय में यह अति आवश्यक है कि लोग कट्टरता छोड़ सृजन की एकरूपता को समझे। यही हमारे देश की संस्कृति है। वास्तव में, साधारण में असाधारण आयाम खोजना ही आध्यात्मिकता है। यही काम Shree M ने किया है। देश ने उन्हें पद्म श्री का सम्मान देकर उनकी सादगी को पहचान दी है। अगर देश के सभी नागरिक अध्यात्म और सादगी को पहचानेंगे तो फिर कट्टरता का सवाल ही नहीं रहेगा। यह सभी को Shree M यानि Mumtaz Ali Khan से सीखना चाहिए जिन्होंने एक मुस्लिम परिवार में जन्म लेने के बावजूद इस देश की संस्कृति और अध्यात्म को पहचाना और उसे आत्मसात किया।

 

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