पाकिस्तान में आये दिन अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों पर हमले होने की खबरें आती रहती हैं। अब भारत सरकार ने पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए हर घटना के बाद विदेश मंत्रालय में पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों को समन करना शुरू कर दिया है। बता दें कि सिर्फ इसी वर्ष विदेश मंत्रालय में कम से कम दो बार पाकिस्तानी अधिकारियों की पेशी लग चुकी है। इससे ना सिर्फ अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों पर Pakistan एक्सपोज हुआ है, बल्कि पाकिस्तान पर अपराधियों पर एक्शन लेने का दबाव भी बना है।
ऐसा ही हमें कल भी देखने को मिला। भारत ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में शादी के मंडप से एक हिन्दू लड़की का अपहरण होने की घटना पर कड़ा संज्ञान लेते हुए मंगलवार को पाक उच्चायोग के एक वरिष्ठ अधिकारी को तलब किया और कड़े शब्दों में आपत्ति पत्र जारी किया। इसमें Pakistan सरकार से यह भी कहा कि वह मामले की जांच करे और अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय सहित अपने नागरिकों की रक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करे। इसके अलावा भारत ने सिंध प्रांत के थारपरकर में 26 जनवरी को माता रानी भटियानी मंदिर में हुई तोड़फोड़ की घटना को लेकर भी आपत्ति पत्र जारी किया। पिछले दो दिनों में हुई ये दो घटनाएँ दिखाती हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक होना किसी अपराध से कम नहीं है। यही कारण है कि भारत में अब पाकिस्तानी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जा रही है।
इससे पहले इसी महीने पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों को विदेश मंत्रालय में समन किया जा चुका है। 17 जनवरी को पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से संबंधित नाबालिग लड़कियों के अपहरण के मामलों पर कड़ा विरोध जताने के लिये विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में Pakistan उच्चायोग के एक वरिष्ठ अधिकारी को तलब करते हुये गंभीर चिंता दर्ज करायी थी। तब खबर आई थी कि हिन्दू अल्पसंख्यक समुदाय से तालुक्क रखने वाली दो नाबालिग लड़की शांति मेघवाड़ और सरमी मेघवाड़ का 14 जनवरी को अपहरण कर लिया गया है। इसके अलावा उन्हीं दिनों एक और अन्य घटना में एक और नाबालिग लड़की महक का 15 जनवरी को सिंध प्रांत के जकोबाबाद जिले से अपहरण कर लिया गया था।
वहीं जब इसी महीने में Pakistan में सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल ननकाना साहिब पर हमला हुआ था, तो भारत ने कड़े शब्दों में इसकी निंदा की थी और इसके साथ ही पाकिस्तान पर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लेने का दबाव बनाया था। तब भारत ने कहा था “हम पाकिस्तान से मांग करते हैं कि वो तुरंत ही सिख समुदाय की सुरक्षा के लिए क़दम उठाए। भारत गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर हुए हमले की निंदा करता है।”
पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक्सपोज करने के लिए भारत सरकार ने जो यह नई तरकीब निकाली है, वह सराहनीय है। भारत ने इसके माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान में होने वाली किसी भी हिन्दू-विरोधी घटना पर भारत सरकार की पैनी नज़र रहती है, और उसके लिए Pakistan को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जवाब देना ही होगा। मोदी सरकार ने एक तरफ जहां CAA के माध्यम से वर्ष 2014 से पहले पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने का काम किया है, तो वहीं अब वह पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं के अधिकारों के लिए भी पाकिस्तान के अधिकारियों की जवाबदेही तय कर रही है।