कल यानि रविवार को एक बड़ी ही अविश्वासनीय खबर में जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी दविंदर सिंह को दो हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के साथ गिरफ्तार किया गया है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) विजय कुमार ने पुष्टि की कि एंटी-हाईजैकिंग स्क्वॉड के डीएसपी दविंदर सिंह को गिरफ्तार किया है। वो एंटी टेरर ग्रुप के सदस्य हैं, लेकिन इसके बावजूद उनसे आतंकी की तरह पूछताछ की जाएगी।
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार डीएसपी दविंदर सिंह को जम्मू-कश्मीर में एंटी-टेरर ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाने के लिए राष्ट्रपति मेडल से भी नवाजा जा चुका है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी ने बताया कि दविंदर सिंह के आवास से पुलिस ने 3 AK-47 राइफल और 5 हैंड ग्रेनेड बरामद किए हैं।
दविंदर सिंह को उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब वो आतंकियों के साथ एक कार में सवार होकर कहीं जा रहे थे। पहले पुलिस को कार में दो आतंकियों के सवार होने की जानकारी थी, लेकिन बाद में जब पुलिस ने जांच की, तो पता चला कि उन आतंकियों के साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी दविंदर सिंह भी कार में सवार हैं।
बता दें कि हिजबुल आतंकी नवीद पर अक्टूबर और नवंबर महीने में दक्षिण कश्मीर में 11 गैर कश्मीरियों की हत्या में शामिल होने का आरोप है, जिनमें मजदूर और ट्रक ड्राइवर शामिल थे। पिछले वर्ष अगस्त महीने में जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद कई हमले किए गए थे जो गैर-मुस्लिमों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था ताकि सेब के व्यापार से जुड़े गैर कश्मीरियों को नुकसान पहुंचाया जा सके। पुलिस ने बताया कि वो नवीद की गतिविधियों पर कई दिनों से नजर रखे हुए थे और जब उसने अपने भाई को फोन किया तो उसके ठिकाने का पता चला। पुलिस ने वनपोह नामक जगह में एक गाड़ी को रोका जिसमें हिजबुल आतंकी जो कि एक पूर्व विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) भी रहा है, उसके साथी आसिफ और डीसीपी दविंदर सिंह यात्रा कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कार में सवार आतंकियों के साथ DSP ने 12 लाख रुपये की डील की थी जिसके बदले वो उन आतंकियों को सुरक्षित चंडीगढ़ पहुंचाने वाला था। यही नहीं रिपोर्ट्स की मानें तो इस डील को पूरा करने के लिए दविंदर सिंह ने ऑफिस से चार दिनों की छुट्टी भी ली थी।
जम्मू-कश्मीर के जिस डीएसपी कल गिरफ्तार किया गया था, वर्तमान में श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (SIA) में तैनात था। इससे पहले, वह स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) का भी हिस्सा थे, जो जम्मू-कश्मीर में एक एलीट फोर्स है। इस एलीट फोर्स के साथ अपने कार्यकाल के दौरान, दविंदर सिंह को अपने सफल आतंकवाद-रोधी अभियानों के कारण पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के पद तक पदोन्नति मिला।
हालांकि, डीएसपी दविंदर सिंह को जबरन वसूली की शिकायतों के बाद एसओजी से हटा दिया गया था और कुछ समय के लिए निलंबित भी कर दिया गया था। बाद में उसे बहाल किया गया और पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) में तैनात किया गया। इसके बाद, उसे एंटी-हाइजैकिंग दस्ते में तैनात किया गया था। अंत में, वह पिछले साल श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैनात था।
पुलिस का कहना है कि डीएसपी दविंदर के साथ अफजल गुरु के साथ कनेक्शन की भी जांच की जा रही है। यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि डीएसपी दविंदर सिंह इससे पहले 2001 के संसद हमले के मामले में सुर्खियों में छा गए थे। मुख्य आरोपी, अफजल गुरु ने अपने सुप्रीम कोर्ट के वकील, सुशील कुमार को वर्ष 2004 में एक पत्र लिखा था। इस पत्र में, अफजल गुरु ने कहा था कि दविंदर सिंह ने उसे हमलावरों में से एक नाम लेने के लिए मजबूर किया गया था, साथ ही उसके लिए एक फ्लैट किराए पर लिया और उसके लिए एक कार भी खरीदी।
अफजल गुरु ने दावा किया था कि बडगाम एसएसपी आशाक हुसैन के बहनोई एटलफ हुसैन ने उसकी रिहाई के लिए उसके परिवार और डीएसपी दविंदर सिंह के बीच एक डील किया था, जिसके बदले में डीएसपी दविंदर सिंह ने उन्हें मोहम्मद को राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंचाने के लिए कहा था।
आपको बता दें कि भारतीय संसद पर 13 दिसंबर 2001 को आतंकी हमला हुआ था। इस हमले को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के खूंखार आतंकियों ने अंजाम दिया था। इस आतंकी हमले में कुल 14 लोगों की जान गई थी। इस हमले की साजिश रचने में शामिल रहे आतंकी अफजल गुरु को दोषी ठहराया गया था और फांसी की सजा दी गई थी।