सन् 84 के दाग धुले नहीं कि कमलनाथ सरकार ने मध्य प्रदेश में भी सिख विरोधी तेवर दिखाने शुरू कर दिये

MP के सिखों ने अब तुरंत गृह मंत्रालय से हस्तक्षेप करने की मांग की है

कमलनाथ

(PC: The Print)

मध्य प्रदेश राज्य में स्थिति अभी ठीक नहीं चल रही है। खबर आ रही है कि मध्य प्रदेश में सिख समुदाय पर आए दिन अत्याचार हो रहे हैं। इसके संबंध में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष एवं राजनीतिज्ञ मंजिन्दर सिंह सिरसा ने गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कमलनाथ के राज में कई गांवों से सिखों को पलायन करने पर विवश किया जा रहा है।

बता दें कि सिरसा के अनुसार शिवपुर जिले के करहाल तहसील में कमलनाथ की सरकार कथित रूप से सिखों के विरुद्ध लोगों को भड़काने वाले तत्वों को बढ़ावा देती  है। इतना ही नहीं, असामाजिक तत्वों ने यह धमकी भी दी है कि जो भी सिखों की सहायता करेगा, उसे भी प्रताड़ित किया जाएगा और 1984 की घटनाओं को दोहराया जाएगा। इसी को लेकर मंजिन्दर सिंह सिरसा ने गृह मंत्री अमित शाह से मामले पर हस्तक्षेप की मांग की है, जिसको लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल ही में जांच पड़ताल के लिए एक कमेटी का गठन भी किया है।

परंतु मात्र एक कमेटी के गठन से कमलनाथ मध्यप्रदेश की दिन ब दिन बिगड़ते हालत से लोगों का ध्यान नहीं हटा सकते। जब से उन्होंने प्रदेश की कमान संभाली है, राज्य को आए दिन किसी न किसी समस्या का सामना करना पड़ता है। जिस मध्यप्रदेश में बिजली सरप्लस में उत्पन्न होती थी, वहाँ कमलनाथ सरकार के आते ही अंधाधुंध कटौती शुरू हो गयी।

लोड बढ़ने की वजह से उद्योगों तक पहुंच रही बिजली का प्रवाह बेहद कमजोर हो गया है जिससे कि उद्योगपतियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। पर समस्या वहीं नहीं रुकती। कमलनाथ ने सत्ता ग्रहण करते ही ये सिद्ध कर दिया कि वे जनता के प्रति नहीं, अपितु काँग्रेस के हाइकमान के प्रति ज़्यादा वफादार है। आपातकाल में इन्दिरा सरकार के विरोध करने वाले व्यक्तियों को जो पेंशन शिवराज सिंह चौहान की सरकार द्वारा दिया जाता थी, उसे कमलनाथ ने सत्ता में आते ही बंद करा दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने राज्य में बेरोजगारी के लिए यूपी और बिहार के लोगों को ही दोषी ठहरा दिया। यह और बात है कि बेरोजगारी भत्ता देना तो बहुत दूर की बात, कमलनाथ के कार्यकाल में बेरोजगारों की संख्या में महज एक वर्ष में चौगुना इजाफा हुआ।

इसके अलावा कमलनाथ पर आपातकाल में काँग्रेस विरोधियों पर अत्याचार ढाने और 1984 में इन्दिरा गांधी की मृत्यु के पश्चात सिखों के विरुद्ध हिंसा भड़काने का आरोप भी है। कमलनाथ जिस केस में आज भी कोर्ट के चक्कर लगाते हैं, उसी के परिप्रेक्ष्य में उन्होने स्वीकार किया था कि स्वयं राजीव गांधी ने उन्हे वहाँ जाने और स्थिति ‘को संभालने’ का हुक्म दिया था।

द प्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कमलनाथ ने स्वीकार किया था कि 1984 में गुरुद्वारा रकाबगंज पर व राजीव गांधी के कहने पर गये थे। इस इंटरव्यू में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि “राजीव गांधी अभी नए नए प्रधानमंत्री बने थे, मैं उनके साथ था। उसी दौरान एक फ़ोन आता है कि गुरुद्वारा रकाबगंज में भारी संख्या में कांग्रेस के लोग इकठ्ठा हुए हैं और हमला करने वाले हैं। तो उन्होंने मुझसे कहा कि तुम तुरंत वहां जाओ और ये सब रोको।” अब जरा कमलनाथ के साल 2016 में बरखा दत्त को दिए एक इंटरव्यू को देखें तो उनके बोल कुछ और ही थे।

अब मध्य प्रदेश में जिस तरह से सिखों को अनेकों मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, उससे इतना तो स्पष्ट है कि कमलनाथ प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालने में पूर्णतया विफल रहे हैं, और वे जब तक मध्य प्रदेश की कमान संभालेंगे, तब तक मध्य प्रदेश पर संकट के बादल यूं ही छाए रहेंगे। सिखों पर अत्याचार करने को लेकर उनपर शुरू से ही आरोप लगते रहे हैं, और अब उनके राज में मध्य प्रदेश में भी हमें इसी का नमूना देखने को मिलता दिखाई दे रहा है।

 

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