इस साल अमेरिकी चुनावों से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump फरवरी महीने में भारत दौरे पर आ सकते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जिस तरह से अमेरिका के ह्यूस्टन में पीएम मोदी के लिए ‘Howdy Modi’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, ठीक उसी तरह Donald Trump के लिए भी अहमदाबाद में एक ऐसा ही कार्यक्रम होने की संभावना है। हालांकि अभी इसकी सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स ही सामने आई है, लेकिन अगर यह होता है तो विश्व के दो बड़े नेताओं की एक दूसरे के साथ कैमिस्ट्री को नया आयाम मिलेगा।
इससे यह भी पता चलता है कि विश्व अब कितना सिमटता जा रहा है। एक तरफ पहले Trump ने पीएम मोदी के कई बड़े फैसलों को अपना समर्थन दिया तो वहीं दूसरी तरफ पीएम मोदी ने भी पहले ‘HowdyModi’ के कार्यक्रम से Trump को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दिया और अब उन्हें अपने गृह राज्य में लाकर उनका स्वागत करने जा रहे हैं। इससे न सिर्फ दोनों नेताओं के बीच दोस्ती बढ़ेगी बल्कि अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में भी डोनाल्ड Trump हो जबरदस्त फायदा मिलेगा।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार यह लगभग तय हो गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फरवरी महीने में भारत दौरे पर आएंगे। हालांकि, अभी तक तारीखों पर मुहर नहीं लगी है। माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप तीन दिवसीय दौरे पर भारत आएंगे, जिस दौरान वह नई दिल्ली के अलावा अहमदाबाद भी जा सकते हैं। पिछले साल सितंबर में ह्यूस्टन में हुए ‘Howdy Modi’ कार्यक्रम की तर्ज पर डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के लिए उसी तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जा सकता है।
यह कार्यक्रम विश्व की राजनीति में एक माइलस्टोन साबित होगा, क्योंकि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और यह सभी को पता है कि अमेरिका में भारतीयों का अच्छा-खासा प्रभाव है। अमेरिका के चुनावों में ये आबादी एक निर्णायक भूमिका निभाती है। अगर Trump के लिए गुजरात के अहमदाबाद में कार्यक्रम होता है, तो उससे अमेरिका में रह रहे अमेरिकी भारतीयों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और वे सभी Trump के समर्थन में वोट कर सकते हैं।
बता दें कि अमेरिका में गुजरातियों की संख्या अधिक है और वे Trump के लिए अहम वोट बैंक साबित हो सकते हैं। अमेरिका की बात करें तो वहां भारतीय मूल के लगभग 40 लाख लोग रहते हैं, जो कुल अमेरिकी आबादी का 1.3 प्रतिशत हैं, और उनका अमेरिका की राजनीति पर अच्छा-खासा प्रभाव भी है। इस आबादी ने 2020 के राष्ट्रपति अभियानों के लिए 3 मिलियन डॉलर से अधिक का योगदान दिया है जो कि हॉलीवुड के प्रतिष्ठित दान देने वालों से अधिक है। इसी कारण से भारतीय मूल के लोगों की दुनिया के सबसे ताकतवर देश में लॉबी इतनी मजबूत है।
ऐसी स्थिति में स्वयं प्रधानमंत्री मोदी का Donald Trump के साथ कार्यक्रम करना नहले पर दहला साबित होगा। वैसे भी जब ह्यूस्टन में Howdy Modi का कार्यक्रम हुआ था, तब माना गया था कि पीएम मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से ट्रम्प को चुनावी माइलेज दिया है। इससे अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोग, जिन्होंने Trump की मुख्य विपक्षी पार्टी डेमोक्रेट्स को वोट देने का मन बनाया होगा, वो भी अब दोबारा सोचने पर मजबूर हो जाएंगे और Trump को वोट देंगे।
सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं, बल्कि Trump भी अप्रत्यक्ष रूप से पीएम मोदी का समर्थन कर चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump ने अपने कार्यकाल में अब तक भारत के किसी भी फैसले पर आपत्ति नहीं जताई, चाहे वो पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक हो या बालाकोट में एयर स्ट्राइक। इससे अलावा Trump ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद भी बंद कर दी, जिससे पाकिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद को फंडिंग मिलना लगभग बंद हो गयी। अनुच्छेद 370 पर भी अमेरिका की Trump सरकार ने इसे भारत का आंतरिक मामला बता कर, पाकिस्तान और चीन द्वारा चलाये जा रहे भारत विरोधी एजेंडे को बर्बाद कर दिया। अगर अमेरिका चाहता तो भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता था।
यह पीएम मोदी और डोनाल्ड Trump की दोस्ती और पीएम मोदी का वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रभाव के कारण ही संभव हो पाया है कि भारत ने इतने बड़े-बड़े फैसलों को बिना किसी कूटनीतिक दबाव के अंजाम तक पहुंचाया। Trump को पता है कि पीएम मोदी कोई आम लीडर नहीं हैं, जिन्हें आसानी से झुकाया जा सके। इसलिए उन्होंने दोस्ती निभाने और उसे और प्रगाढ़ करने में ही भलाई समझी है और अब उन्हें इसका फायदा आने वाले चुनावों में भी देखने को मिलेगा। उन्हें पता है कि अमेरिकी भारतीयों में पीएम मोदी सबसे अधिक लोकप्रिय है और प्रभाव रखते हैं। अब अहमदाबाद में होने वाले प्रोग्राम से राष्ट्रपति चुनावों में ट्रम्प को बड़ा फायदा होना तय माना जा रहा है, वो भी ऐसे समय में जब उनके विपक्षी Impeachment के जरिये उन्हें office से बाहर करने की जी-तोड़ मेहनत में जुटे हैं।
इसे भारत द्वारा अमेरिका के चुनावों में दख्लंदाजी तो बिलकुल नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह ही आज के सिकुडते विश्व की सच्चाई है। दुनिया जैसे-जैसे छोटी होती जा रही है, वैसे-वैसे आपसी निर्भरता बढ़ती जा रही है और भारत-अमेरिका के रिश्तों में हमें यही होता दिखाई दे रहा है।