यूरोपियन संसद जल्द ही CAA और कश्मीर से जुड़े 6 प्रस्ताव पर चर्चा और वोट कर सकती है। EU की संसद बुधवार यानि 29 जनवरी को इन प्रस्तावों पर चर्चा करेगी और फिर 30 जनवरी को इन प्रस्तावों पर वोटिंग होगी। इन प्रस्तावों पर चर्चा करने के लिए संसद के 751 सदस्यों में से 626 सदस्यों ने अपनी रजामंदी दी है। हालांकि, इसके खिलाफ अब भारत ने भी कड़ा रुख अपना लिया है। कल भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने यूरोपियन संसद के अध्यक्ष को पत्र लिखकर यह गुजारिश की, कि एक लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में इस तरह बाहरी दख्ल को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। इसके बाद EU के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा है कि कश्मीर और CAA पर संसद का जो भी फैसला होगा, वह EU का आधिकारिक रुख नहीं माना जाएगा और EU शुरू से ही भारत के साथ रिश्तों को मजबूत करने के लिए काम करता रहा है। इसके अलावा फ्रांस ने भी साफ किया है कि उसके लिए CAA भारत का आंतरिक मामला है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने CAA के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर यूरोपीय संसद (ईयू) के अध्यक्ष डेविड मारिया ससौली को खत लिखकर आपत्ति जताई। ओम बिड़ला ने लिखा “इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन का सदस्य होने के नाते हमें एक-दूसरे की संप्रभु प्रक्रिया का सम्मान करना, चाहिए खासकर लोकतंत्र में। एक विधायिका का दूसरी विधायिका पर फैसला सुनाना गलत है। यह ऐसी परंपरा है जिसका निहित स्वार्थ के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है। इसलिए इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाए”।
ओम बिड़ला के साथ ही उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने भी ईयू के रुख पर चिंता और नाराजगी जताते हुए कहा, भारत के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा, विदेशी संस्थाओं का किसी देश के आंतरिक मामले में दखल देना चिंता की बात है। इस कानून पर देश की संसद के दोनों सदनों ने मुहर लगाई है।
इसके बाद EU के आधिकारिक प्रवक्ता ने सामने आकर यह स्पष्ट किया है कि इन प्रस्तावों को लेकर जो भी EU संसद का फैसला होगा, वह यूरोपीय संघ का आधिकारिक बयान नहीं होगा। ईयू के प्रवक्ता ने कहा, “अपनी प्रक्रिया के तहत यूरोपीय संसद ने एक मसौदा प्रस्ताव जारी किया है। यह जानना जरूरी है कि यह महज मसौदा है जिसे यूरोपीय संसद के अलग-अलग राजनीतिक समूहों ने पेश किया है। हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यह यूरोपीय संघ की स्थिति को नहीं दर्शाता है। ब्रसेल्स में 13 मार्च को भारत के साथ 15वां सम्मेलन होना है। इसमें रणनीतिक भागीदारी पर चर्चा होगी। भारत यूरोपीय संघ के लिए एक अहम भागीदार देश है”।
भारत अभी बिलकुल नहीं चाहता कि कोई भी देश या संघ भारत के आंतरिक मामलों पर चर्चा करे या उसको लेकर कोई टिप्पणी करे। ऐसे में अभी अपनी कूटनीति के माध्यम से भारत EU पर ये चर्चा ना करने के लिए दबाव बना रहा है और इसी दबाव में EU के प्रवक्ता ने ये बयान जारी किया है। अब देखना यह होगा कि EU की संसद अपने चर्चा करने के फैसले पर अडिग रहती है या नहीं।