‘राजस्थान गईं लेकिन कोटा में बच्चों की मांओं से मिलना जरूरी नहीं समझा’, प्रियंका वाड्रा को मायावती ने लताड़ा

मायावती

भारत में नागरिकों की जान शुरू से ही बेहद सस्ती रही है। राजनेताओं को राजनीति सबसे अधिक प्यारी रही है, फिर चाहे दूसरी तरफ कितने ही मासूमों और नागरिकों की जान क्यों न जाती रहे। इसी का नमूना आजकल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पेश कर रही है। प्रियंका गाँधी की इस गंदी राजनीति पर एक बार फिर से बसपा सुप्रीमों मायावती ने निशाना साधा है।

दरअसल, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा वाराणसी के राजस्थान में कांग्रेस नेता जुबेर खान के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए पहुंची हैं। इसपर मायावती ने प्रियंका गाँधी की दोहरी राजनीति पर हमला करते हुए एक के बाद एक तीन ट्वीट किये। प्रियंका गांधी वाड्रा की गंदी राजनीति पर मायावती ने कहा, बीएसपी किसी भी मामले में कांग्रेस, बीजेपी व अन्य पार्टियों की तरह अपना दोहरा मापदंड अपनाकर घटिया राजनीति नहीं करती है। जिसके कारण ही आज पूरे देश में हर तरफ किसी ना किसी मामले को लेकर हिंसा, तनाव व अशान्ति आदि व्याप्त है।”

अपने अगले ट्वीट में मायावती ने कहा लेकिन ऐसे माहौल में भी अन्य पार्टियों की तरह कांग्रेस पार्टी भी अपने आपको बदलने को तैयार नहीं है, जिसका ताजा उदाहरण कांग्रेसी शासित राजस्थान के कोटा अस्पताल में वहाँ सरकारी लापरवाही के कारण बड़ी संख्या में मासूम बच्चों की हुई मौत का मामला है।

इसके बाद कोटा त्रासदी पर प्रियंका की चुप्पी और CAA के विरोध प्रदर्शनों में जान गँवाने वाले दंगाइयों को मिलकर उन्हें सांत्वना देने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा पर मायावती ने बिना नाम लिए तीखा प्रहार करते हुए कि कांग्रेस की नेता यूपी में तो आयदिन यहाँ घड़ियालू आँसू बहाने आ जाती है। लेकिन राजस्थान में कल वह अपने निजी कार्यक्रम के दौरान अपना थोड़ा भी समय कोटा में उन बच्चों की मांओं के आँसू पोछने के लिए देना उचित नहीं समझती है जबकि वह भी एक माँ है जो यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है।

इससे पहले भी मायावती ने प्रियंका गाँधी वाड्रा के यूपी में राजनीतिक ड्रामे पर हमला करते हुए कहा था कि ‘यदि कांग्रेस की महिला राष्ट्रीय महासचिव राजस्थान के कोटा में जाकर मृतक बच्चों की “मांओं” से नहीं मिलती हैं तो यहाँ अभी तक किसी भी मामले में यू.पी. पीड़ितों के परिवार से मिलना केवल इनका यह राजनैतिक स्वार्थ व कोरी नाटकबाजी ही मानी जायेगी, जिससे यू.पी. की जनता को सर्तक रहना है’।

गौरतलब है कि राजस्थान के कोटा जिले के जेके लोन अस्पताल में दिसंबर के अंतिम 2 दिन में कम से कम 9 और शिशुओं की मौत हो गई। अब तक अस्पताल में मरने वाले शिशुओं की संख्या 100 से ऊपर तक पहुंच चुकी है। लेकिन इसको लेकर कांग्रेस सरकार की गंभीरता का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सीएम गहलोत बच्चों की मौत को मामूली सी घटना बता चुके हैं। दूसरी तरफ इस मुद्दे से दूरी बनाकर प्रियंका गांधी वाड्रा यूपी में CAA के विरोध के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने में व्यस्त रहीं। उनका सबसे बड़ा राजनीतिक ड्रामा तब देखने को मिला था जब 28 दिसंबर को लखनऊ में पार्टी कार्यालय के दौरे से पहले प्रियंका गांधी पूर्व आईपीएस अफसर दारापुरी के परिवारजनों से मिलने जा रही थीं। प्रियंका गांधी वाड्रा को तब सीएए का विरोध करने के लिए कथित रूप से हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा था  “मैं आईपीएस अफसर दारापुरी के परिवारवालों से मिलने जा रही थी। परंतु पुलिस वालों ने मुझे न केवल रोका, अपितु मेरे साथ धक्का मुक्की भी की और मेरा गला दबाने की भी कोशिश की। मुझे पैदल चलकर जाना पड़ा”

बता दें कि राजस्थान के कोटा में अस्पताल में बच्चों के मरने का सिलसिला अभी भी जारी है। ऐसे में मायावती का इस तरह से प्रियंका गांधी वाड्रा पर सवाल दागना कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी की उत्तर प्रदेश में वाड्रा के ड्रामे से बढ़ते वर्चस्व का डर है। फिर भी राजनीतिक स्वार्थ के चलते ही सही मायावती ने जो सवाल पूछे हैं उसने प्रियंका गांधी वाड्रा की पाखंडता को उजागर किया है। अब प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हैं या नहीं ये आने वाले समय में ही पता चल पायेगा।

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