NDTV, CNN और BBC- 3 दक्षिणपंथी सरकारों के सामने ये 3 लिबरल मीडिया संस्थान अब धूल चाट रहे हैं

BBC

लिबरल मीडिया दुनियाभर में शुरू से ही वामपंथी सरकारों के साथ हाथ मिलाकर अपने विरोधियों के खिलाफ एक सुनियोजित एजेंडा चलाती आई है। हालांकि, दुनिया में जैसे-जैसे दक्षिणपंथी सरकारों का उदय होता जा रहा है, और लोगों में राष्ट्रवाद की भावना पैदा होती जा रही है, ठीक वैसे वैसे एजेंडावादियों मीडिया संस्थानों की दुकाने बंद होती जा रही हैं। अमेरिका में ट्रम्प सरकार आने के बाद जो हाल CNN का हुआ, भारत में मोदी सरकार आने के बाद जो हाल NDTV का हुआ, अब लगता है वही हाल UK में BBC का होने जा रहा है।

हाल ही में सम्पन्न हुए चुनावों में UK की conservative पार्टी को भारी बहुमत मिला है, और चुनावों से पहले यही conservative पार्टी BBC पर पक्षपात करने का आरोप लगा चुकी है। अब यह खबर सामने आई है कि 6 महीनों के अंदर ही BBC के मौजूदा Director general टोनी हॉल अपने पद से इस्तीफा देने वाले हैं। उनके और UK सरकार के बीच चैनल की फंडिंग को लेकर विवाद चल रहा है, और ऐसे में उनकी छुट्टी होना अब तय माना जा रहा है।

अब ट्रम्प सरकार आने के बाद अमेरिका के CNN का हाल ही देख लीजिये। जैसे-जैसे डोनाल्ड ट्रम्प ने सार्वजनिक तौर पर CNN को फेक न्यूज़ की उपाधि देना शुरू किया, वैसे-वैसे अमेरिका की जनता ने भी इस चैनल को नकार दिया। वर्ष 2019 की दूसरी तिमाही में CNN के कुल दर्शक सिर्फ 5 लाख 41 हज़ार रह गए, जो कि फॉक्स न्यूज़ के मुक़ाबले आधे भी नहीं थे। जैसे-जैसे अमेरिका की जनता दक्षिणपंथ की ओर झुकने लगी, वैसे ही इस लिबरल मीडिया संस्थान की TRP में भारी कमी देखने को मिली है।

भारत में NDTV का भी यही हाल है। वर्ष 2014 से पहले जो NDTV भारत सरकार से जुड़ी exclusive खबरें चलाता था, आज उसी NDTV को भारतीय TV दर्शक पूरी तरह नकार चुके हैं। NDTV आज देश के टॉप 5 हिन्दी न्यूज़ चैनलों में भी नहीं गिना जाता है। एक तरफ जहां money laundry करने के आरोपों की वजह से NDTV की साख गिरी है, तो वहीं भारत में दक्षिणपंथी केंद्र सरकार के अंधाधुंध विरोध के कारण भी इस चैनल को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। चैनल के चीफ एडिटर रवीश कुमार अपने prime time की लोकप्रियता गिरने की कुंठा में सीधे तौर पर मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। एक बार उन्होंने कहा था “अगर ये तानाशाही नहीं तो क्या है? लोग अपने घरों में मेरा शो नहीं देख सकते। उन्हें उनके घर में ही दरकिनार किया जा रहा है”।

BBC वैसे तो सरकारी चैनल है, जो कि सरकारी पैसे पर चलता है। लेकिन, पिछले कुछ समय में इस चैनल की फंडिंग को लेकर सरकार और इस चैनल के बीच विवाद चल रहा है। पिछले वर्ष BBC को UK सरकार ने भारी भरकम 3.7 बिलियन यूरो के फंडस जारी किए थे। इसके बाद भी BBC ने यह ऐलान किया है कि अब उसकी सेवाओं को प्राप्त करने के लिए देश के बुजुर्गों समेत सभी नागरिकों को subscription फीस देनी होगी जिसके कारण विवाद पैदा हो गया है। लोग सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि सरकार द्वारा दिये जाने वाले फंड का BBC कहां इस्तेमाल कर रहा है।

BBC द्वारा यह ऐसे समय में किया जा रहा है जब BBC लगातार युवा दर्शकों को खोता जा रहा है। आपको जानकार हैरानी होगी कि BBC के दर्शकों की औसत उम्र 60 साल से ज़्यादा है। BBC दुनियाभर में जिस तरह अपना पक्षपाती एजेंडा चलाता रहा है, वह किसी से छुपा नहीं है और इसीलिए ब्रिटेन की युवा आबादी और खासकर 30 वर्ष से कम उम्र के लोग तो लगभग BBC का बहिष्कार कर चुके हैं। स्पष्ट है कि BBC भी अमेरिका के CNN, और भारत के NDTV की तरह अपनी एजेंडावादी खबरों के कारण TRP की दौड़ में पिछड़ता जा रहा है और बोरिस जॉनसन की सरकार के साथ चल रहा BBC का विवाद इसका एक बड़ा कारण हो सकता है।

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