शुक्रवार को पाकिस्तान से बेहद दर्दनाक तस्वीरें सामने आई है। दरअसल, गुरुनानक के जन्मस्थान ननकाना साहिब के गुरुद्वारे पर हिंसक भीड़ ने जमकर पत्थरबाजी की, और उसे तोड़ गिराने की धमकियाँ भी दी। एक व्यक्ति ने तो यहाँ तक कह दिया की यहाँ पर किसी सिख को नहीं रहने दिया जाएगा और इस जगह का नाम बदलकर ग़ुलाम ए मुस्तफा रख दिया जाएगा। इस घटना की भारत में काफी निंदा की गयी परन्तु इस मौके पर एनडीटीवी काफी परेशान दिखा परन्तु इसकी परेशानी की वजह से ये घटना नहीं थी बल्कि इस मीडिया न्यूज़ पोर्टल का एजेंडा फेल होने का डर था।
#BREAKING : Hundreds of angry Muslim residents of #NankanaSahib pelted stones on #GurdwaraNankanaSahib on Friday. They have surrounded the Gurdwara . The mob was lead by the family of Mohammad Hassan the boy who allegedly abducted and converted sikh girl #JagjitKaur . pic.twitter.com/L5A7ggKcD9
— Ravinder Singh Robin ਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ رویندرسنگھ روبن (@rsrobin1) January 3, 2020
दरअसल, ननकाना साहिब के एक ग्रंथी की बेटी जगजीत कौर को अगवा कर उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया था। सूत्रों की माने तो पीड़िता को उसके परिवार के पास जब भेजा गया, तो उसे उसके परिवार ने वापिस भेजने से मना कर दिया था। इसपर अपहरणकर्ता मुहम्मद हसन और उसके परिवार ने भीड़ को इकट्ठा कर ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर धावा बोल दिया और वहां जमकर पत्थरबाजी की।
इस विषय पर कवरेज करते हुए एनडीटीवी के पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने अपनी चिंता जाहिर की और ट्वीट कर कहा, “यह निस्संदेह बहुत बुरी खबर है, पर मैं आशा करता हूं कि इससे सीएए के समर्थन में फैलाए जा रहा प्रोपेगेंडा को फ़ायदा न मिले। वैसे भी सीएए का कट ऑफ 2014 तक ही सीमित है, और इससे पाकिस्तान में उपस्थित अल्पसंख्यकों या फिर अन्य देशों के ऐसे लोगों को कोई खास फ़ायदा नहीं पहुंचेगा” –
Terrible news. Let’s hope it’s not used for pro-CAA propaganda. The CAA cutoff is 2014, and so of little use to minorities presently in Pakistan or the other notified countries. https://t.co/ZGhbvg9xNF
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) January 4, 2020
एक होते हैं नीच, फिर होते हैं निकृष्ट, और फिर आते हैं एनडीटीवी के पत्रकार। जब भी कोई ये सोचता है कि एनडीटीवी के पत्रकार अपने एजेंडे को सर्वोपरि रखने के लिए और नहीं गिरेंगे, तो वे इसे चुनौती के तौर पर लेकर उससे भी नीचे गिरके दिखाते हैं। ननकाना साहिब में जो सिख समुदाय के साथ हुआ, वो बेहद शर्मनाक है और संवेदनशील है, परंतु एनडीटीवी के पत्रकारों, विशेषकर श्रीनिवासन जैन को इस बात की ज़्यादा चिंता है कि कहीं सीएए पर उनके द्वारा फैलाया जा रहे प्रोपेगेंडा को कोई नुकसान न हो।
पर सच बताएं तो कुछ हद तक इनका डर लाज़मी भी है, क्योंकि इनके लाख चाहने पर भी पूरा देश सीएए के विरुद्ध एकजुट नहीं हो पाया है। अपने घटिया ट्वीट में भी एनडीटीवी के इस पत्रकार ने जाने अनजाने अपना डर भी उजागर किया है। परंतु श्रीनिवासन जैन अकेले ऐसे पत्रकार नहीं है, जिन्होंने सीएए के विषय पर ऐसे विचार सामने रखे हैं। हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का पत्रकार निधि राज़दान ने साक्षात्कार लिया था, जो साक्षात्कार कम, और सीएए के विरुद्ध उनके द्वारा फैलाये जा रहे झूठ को एक मंच देता हुआ ज़्यादा दिखाई दे रहा था।
उदाहरण के तौर पर केजरीवाल ने सीएए और एनआरसी की एकदम बेतुकी तुलना करते हुए एक उदाहरण दिया कि इससे उन लोगों को भी नुकसान होगा, जो एक राज्य से दूसरे राज्य नौकरी के लिए जाते हैं।
इंटरव्यू में अरविंद केजरीवाल झूठ पर झूठ बोले जा रहे थे और निधि राज़दान भी इसमें पूरा सहयोग दे रही थीं। इतना ही नहीं, साक्षात्कार के दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो निधि राज़दान केवल वही प्रश्न पूछेंगी, जो अरविंद केजरीवाल या उनकी टीम ने उनके लिए तैयार किए गये हों। इसे हिपोक्रिसी नहीं तो क्या कहेंगे?
परंतु ये पहली बार नहीं है जब किसी विषय पर इतनी बेशर्मी से एनडीटीवी ने अपने एजेंडा का प्रसार किया हो। जम्मू कश्मीर से जब अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब एनडीटीवी ने इसके विरुद्ध प्रोपेगेंडा फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कर्फ़्यू पर झूठी खबर फैलानी हो, कश्मीरी पण्डितों के झूठे इंटरव्यू लेने हो, या फिर छोटे बच्चों के जेल जाने को लेकर फेक न्यूज़ क्यों न फैलानी हो, एनडीटीवी का सिद्धान्त हमेशा स्पष्ट रहा है – एजेंडा ऊंचा रहे हमारा। अब यह और बात है कि जनता एनडीटीवी को उतना ही भाव देती है, जितना एनडीटीवी पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों की हालत को।