जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई पूछता नहीं वो पाकिस्तान चला है ईरान-US के बीच मध्यस्थता करवाने

पाकिस्तान

PC: Zee News

पाकिस्तान, शायद दुनिया का सबसे Irrelevant यानि अप्रासंगिक देश! दुनिया में कोई इस देश की सुनता नहीं, और ना ही इसे किसी वैश्विक मंच पर सम्मान मिलता है। खराब अर्थव्यवस्था और भारत की कूटनीति इसके कुछ कारण हो सकते हैं। हालांकि, अपने आप को अहम भूमिका में लाने के लिए यह देश दुनिया के हर विवाद में अपनी नाक घुसाता है और मध्यस्थता करने के बहाने अपने आप को relevant दिखाने की कोशिश करता है।

सऊदी की अरामको तेल उत्पादन केंद्र पर ड्रोन हमले के बाद ईरान और सऊदी अरब के बीच सुलह करवाने की कोशिश हो, या फिर अब अमेरिका द्वारा ईरान के कमांडर सुलेमानी की हत्या के बाद कुरैशी का ईरान, अमेरिका और सऊदी अरब का प्रस्तावित दौरा, हर बार पाकिस्तान ने इन देशों के बीच सुलह करवाने की कोशिश की है, लेकिन नतीजे में आज तक पाकिस्तान के हाथ ‘शून्य’ ही लगा है। इसके उलट ये सभी देश समय-समय पर पाकिस्तान के साथ ही खिलवाड़ करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।

दरअसल, ईरान-अमेरिका के बीच चल रहे विवाद के दौरान अब Pakistan के विदेश मंत्री शाह-महमूद कुरैशी ने अमेरिका, ईरान और सऊदी अरब का दौरा करने की बात कही है। डॉन न्यूज ने शनिवार को यहां एक वरिष्ठ राजनयिक सूत्र के हवाले से कहा कि वह पहले रविवार को तेहरान जाएंगे, इसके बाद कुरैशी 13 जनवरी को रियाद और फिर अंत में 17 जनवरी को वॉशिंगटन का दौरा करेंगे। विदेश मंत्री कुरैशी संकटपूर्ण स्थिति से उबारने में पाकिस्तान की मदद की इच्छा व्यक्त करने के लिए तीनों देशों में अपने समकक्षों के साथ वार्ता करेंगे। कुरैशी ने संबंधित देशों के अपने समकक्षों के साथ पहले भी फोन पर वार्ता की है। इसके अलावा उन्होंने रूस और इराक के अपने समकक्षों के साथ भी बात की है।

एक बार फिर पाकिस्तान की यह पूरी कोशिश है कि कैसे भी करके वह दुनिया में अपने आप को प्रासंगिकता (RELEVANT) साबित कर सके। इससे पहले भी ईरान-सऊदी अरब विवाद के दौरान इमरान खान ने इन दोनों देशों का दौरा कर इनके बीच मध्यस्थता करने की कोशिश की थी, लेकिन Pakistan को किसी ने महत्व नहीं दिया।

सऊदी अरब के कर्ज़ों पर पलने वाले पाकिस्तान की कई बार सऊदी अरब अंतर्राष्ट्रीय बेइज्जती कर चुका है। यूएन में खड़े होकर जिस तरह कश्मीर मुद्दे को खान ने मुस्लिम दुनिया का मुद्दा घोषित किया था, और मलेशिया और तुर्की के साथ मिलकर जिस तरह पाकिस्तान ने अपना एक अलग इस्लामिक ब्लॉक बनाने की कवायदें तेज की थीं, मोहम्मद बिन सलमान को यह बिल्कुल भी रास नहीं आया था और पाक की एक पत्रिका ने यह खुलासा किया था कि गुस्से में ही MBS ने खान को दिया अपना प्लेन बीच रास्ते में वापस बुला लिया और फिर खान को एक कमर्शियल फ्लाइट से न्यूयॉर्क से पाक आना पड़ा था। इसके अलावा हाल ही में मलेशिया में कुआलालुंपुर समिट में हिस्सा लेने जा रहे इमरान खान को सऊदी अरब बुलाकर मोहम्मद बिन सलमान ने ऐसी घुट्टी पिलाई कि इमरान खान को मलेशिया का अपना दौरा रद्द करना पड़ा। यह सिद्ध करता है कि पाकिस्तान की इन देशों के बीच क्या औकात है, जिनके बीच वह मध्यस्थता कराने चला है।

दूसरी ओर पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल छवि, Pakistan में ऐसे सारे अवगुण हैं जो उसे महत्वहीन मध्यस्थ बनाते हैं। अच्छा यही होगा कि पाकिस्तान और उसकी सेना अपनी अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की ओर ध्यान दें, ना कि वैश्विक राजनीति में अपनी नाक घुसाने में। बेमतलब विवादों में पड़ने का पाकिस्तान का इतिहास रहा है, और अब वह दोबारा उसी रास्ते पर निकल पड़ा है।

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